
गीतांजली हॉस्पिटल में फेफड़ों के कैंसर पर विशेष संगोष्ठी: विशेषज्ञों ने दिए महत्वपूर्ण सुझाव
गीतांजली हॉस्पिटल में फेफड़ों के कैंसर पर संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने दिए निदान से उपचार तक महत्वपूर्ण सुझाव
फेफड़ों के कैंसर की चुनौतियों और तकनीकों पर गहन चर्चा
विशेषज्ञ डॉक्टरों ने EBUS, सर्जरी और रेडियोथेरेपी की भूमिका समझाई
संगोष्ठी में डॉक्टरों की सक्रिय भागीदारी, नवीन तकनीकों पर मिला प्रशिक्षण
सुश्री सोनिया,
उदयपुर,dusrikhabar.com। उदयपुर स्थित गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में आज आयोजित विशेष संगोष्ठी में फेफड़ों के कैंसर के निदान और आधुनिक उपचार पद्धतियों पर विस्तृत चर्चा की गई। गीतांजली कैंसर सेंटर और डिपार्टमेंट ऑफ रेस्पिरेटरी एंड पल्मोनरी मेडिसिन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में देश के प्रमुख विशेषज्ञों ने अपने अनुभव साझा किए। संगोष्ठी का उद्देश्य चिकित्सा क्षेत्र में उभरती नवीन तकनीकों को चिकित्सकों तक पहुंचाना था।
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गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, उदयपुर में आज गीतांजली कैंसर सेंटर और डिपार्टमेंट ऑफ रेस्पिरेटरी एंड पल्मोनरी मेडिसिन द्वारा “फेफड़ों के कैंसर का निदान एवं उपचार” विषय पर एक विशेष संगोष्ठी आयोजित की गई।
इस संगोष्ठी का मुख्य फोकस था—फेफड़ों के कैंसर से जुड़े विभिन्न पहलू, उसकी चुनौतियां, निदान में EBUS की भूमिका और आधुनिक समय में उपलब्ध उन्नत उपचार पद्धतियां।

विशेषज्ञ वक्ताओं डॉ. गौरव छाबड़ा, डॉ. अमित गुप्ता, डॉ. रेनू मिश्रा, डॉ. आशीष जखेटीया और डॉ. रमेश पुरोहित ने फेफड़ों के कैंसर से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने EBUS (एंडोब्रोंकियल अल्ट्रासाउंड) की तकनीकी महत्ता, कैंसर स्टेजिंग में इसकी भूमिका, सर्जिकल अप्रोचेस, एडवांस्ड थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के महत्व पर विस्तार से बात की।
कार्यक्रम के अंत में आयोजित प्रश्नोत्तर सत्र में उपस्थित डॉक्टरों, PG छात्रों और रेसिडेंट्स ने सक्रिय रूप से भाग लिया और अपनी जिज्ञासाएं विशेषज्ञों से साझा कीं।
मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. (प्रो.) हरप्रीत सिंह ने कहा कि ऐसी शैक्षणिक गतिविधियां डॉक्टरों को नवीनतम चिकित्सा तकनीकों से अपडेट करती हैं और मरीजों को बेहतर उपचार देने में महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं। संगोष्ठी में जीएमसीएच के विभिन्न विभागों के संकाय सदस्य, पीजी, रेसिडेंट और जूनियर डॉक्टर बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
फेफड़ों के कैंसर: कारण, लक्षण और उपचार
आपको बता दें कि फेफड़ों का कैंसर दुनिया में तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्या है। इसका सबसे बड़ा कारण धूम्रपान माना जाता है। सिगरेट, बीड़ी, हुक्का, वेप और सेकेंड-हैंड स्मोक के लंबे समय तक संपर्क में रहना फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। इसके अलावा वायु प्रदूषण, रेडॉन गैस, एस्बेस्टस, रासायनिक धातुओं के संपर्क और पारिवारिक इतिहास भी इसके जोखिम बढ़ाते हैं।
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इसके प्रमुख लक्षणों में लगातार रहने वाली खांसी, खून वाली खांसी, सांस फूलना, तेज वजन घटना, सीने में दर्द, आवाज में भारीपन और बार-बार होने वाला संक्रमण शामिल हैं। कई बार शुरुआती चरण में कोई लक्षण दिखाई नहीं देता, जिससे बीमारी देर से पता चलती है।
फेफड़ों के कैंसर का उपचार स्टेज और मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है। सामान्यतः इसमें सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और आधुनिक टार्गेटेड थेरेपी शामिल हैं। समय पर जांच और निदान से उपचार की सफलता की संभावना बढ़ जाती है। नियमित स्वास्थ्य जांच और धूम्रपान से दूर रहना इसका सबसे प्रभावी बचाव है।
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