उस्ताद शुजात खां के सितार से चाँदनी रात में झिलमिलाया संगीत का सौंदर्य

उस्ताद शुजात खां के सितार से चाँदनी रात में झिलमिलाया संगीत का सौंदर्य

राजस्थान पर्यटन विभाग और स्पिक मैके के संयुक्त आयोजन “अनहद” की दूसरी कड़ी में प्रस्तुति

राग शुद्ध कल्याण की स्वर लहरियों से महका राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर का प्रांगण

शुजात खां की गायकी और सितार वादन ने रची संगीत और आत्मा की अनूठी संगति

जयपुर,dusrikhabar.com। जयपुर की एक मनमोहक चाँदनी रात में जब हवा में संगीत घुला, तो राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर सुरों का मंदिर बन गया। राजस्थान पर्यटन विभाग और स्पिक मैके द्वारा आयोजित मासिक श्रृंखला “अनहद” की दूसरी कड़ी में प्रसिद्ध सितारवादक उस्ताद शुजात खां ने अपने राग शुद्ध कल्याण से ऐसा वातावरण रचा कि हर श्रोता उस जादुई संगीत में खो गया।

कार्यक्रम की मुख्य झलकियां

शनिवार शाम आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ पर्यटन विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री राजेश यादव द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ। इस अवसर पर राजस्थापन के मुख्य सचिव सुधांश पंत, अतिरिक्त मुख्य सचिव संदीप वर्मा, और पर्यटन आयुक्त रुक्मणि रियाड़ विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे।
कार्यक्रम का उद्देश्य शास्त्रीय संगीत और ललित कलाओं को प्रोत्साहन देना था — जिसे उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी की पहल पर शुरू किया गया है।

संगीत में घुली आत्मा की मधुरता:

इमदादखानी घराने के विख्यात सितारवादक उस्ताद शुजात खां, जो अपनी गायकी और वादन दोनों के लिए प्रसिद्ध हैं, ने जब राग शुद्ध कल्याण को अपने सुरों में पिरोया, तो वातावरण में अद्भुत संगीत सौंदर्य बिखर गया।
उनकी प्रस्तुति में भूपाली की सरलता और कल्याण थाट की गरिमा का ऐसा सम्मिलन देखने को मिला, मानो हर स्वर में आत्मा की रोशनी झिलमिला रही हो। उन्होंने कभी गुनगुनाकर, तो कभी मींड और जमावट से इस राग की भावधारा को इतना जीवंत किया कि लगा जैसे चाँदनी स्वयं सुरों पर झूम रही हो।

ताल और स्वर का अनूठा संगम:

कार्यक्रम में तबले और ढोलक की संगत ने माहौल को और भी जीवंत बना दिया। जब सितार के तार और तबले की थाप एक साथ गूँजे, तो लगा मानो स्वर और ताल के बीच आत्मीय संवाद हो रहा हो। श्रोताओं ने तालियों की गूंज से कलाकारों का स्वागत किया और पूरे वातावरण में भारतीय शास्त्रीय संगीत की गरिमा झलक उठी।

संगीत प्रेमियों के लिए अविस्मरणीय संध्या:

यह शाम जयपुरवासियों के लिए किसी संगीतिक पर्व से कम नहीं थी।
“अनहद” श्रृंखला का उद्देश्य है कि शास्त्रीय संगीत को आम जन तक पहुँचाया जाए और राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को और समृद्ध किया जाए।

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