झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन: राजनीतिक युग का अंत

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन: राजनीतिक युग का अंत

आदिवासी संघर्ष की मिसाल ‘दिशोम गुरु’ नहीं रहे, झारखंड ने खोया अपना जननायक

लंबे समय से बीमार चल रहे थे दिशोम गुरुजी, दिल्ली में ली अंतिम सांस

हेमंत सोरेन बोले – “आज मैं शून्य हो गया हूं”

राजनीतिक हस्तियों और आम जनता ने जताया शोक

रांची ब्यूरो, (dusrikhabar.com)।  झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन का 81 वर्ष की आयु में दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। उन्होंने लम्बे समय से चल रही बीमारी के बाद सोमवार को अंतिम सांस ली। शिबू सोरेन के निधन की जानकारी उनके बेटे और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया के माध्यम से दी।

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झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके शिबू सोरेन, जिन्हें लोग स्नेहपूर्वक दिशोम गुरुजी के नाम से जानते हैं, अब इस दुनिया में नहीं रहे। बताया जा रहा है कि वे पिछले कई हफ्तों से किडनी संबंधी और उम्रजनित बीमारियों से जूझ रहे थे। 

13 साल की उम्र में पिता की हत्या, संघर्ष की ओर बढ़ा जीवन

11 जनवरी 1944 को रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड के नेमरा गांव में जन्मे शिबू सोरेन का बचपन बेहद संघर्षमय रहा। महज 13 वर्ष की आयु में महाजनों ने उनके पिता की हत्या कर दी। इस घटना ने उनकी ज़िंदगी की दिशा बदल दी। उन्होंने पढ़ाई छोड़कर महाजनों के खिलाफ आदिवासियों को संगठित करना शुरू किया।

शिबू सोरेन JMM

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‘धान कटनी आंदोलन’ और दिशोम गुरु की उपाधि

1970 में शिबू सोरेन ने धान कटनी आंदोलन शुरू किया, जिसने उन्हें जनता के नेता के रूप में स्थापित कर दिया। सूदखोर महाजनों के विरुद्ध उनकी सक्रियता ने उन्हें आदिवासी समाज में नायक बना दिया। एक बार जान बचाने के लिए उन्होंने बाइक सहित बराकर नदी में छलांग लगा दी और तैरकर बाहर निकल आए। लोगों ने इसे दैवीय चमत्कार माना और वे ‘दिशोम गुरु’ कहलाए — जिसका संथाली में अर्थ है ‘देश का गुरु’।

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राजनीतिक करियर: तीन बार मुख्यमंत्री, लेकिन सीमित कार्यकाल

शिबू सोरेन पहली बार 2 मार्च 2005 को झारखंड के मुख्यमंत्री बने, पर बहुमत साबित न कर पाने पर 10 दिन में इस्तीफा देना पड़ा। फिर 27 अगस्त 2008 को दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन उपचुनाव हारने के कारण पांच महीने में पद छोड़ना पड़ा। तीसरी बार 30 दिसंबर 2009 को मुख्यमंत्री बने और 31 मई 2010 को पद से हटे। इस प्रकार, उनके तीनों कार्यकाल मिलाकर सिर्फ 10 महीने 10 दिन ही सत्ता में रहे।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने आधिकारिक एक्स (Twitter) हैंडल से लिखा, “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं।”

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शिबू सोरेन का राजनीतिक जीवन संघर्ष, आदिवासी हितों की लड़ाई और सामाजिक न्याय की मिसाल रहा है। वे झारखंड आंदोलन के सबसे प्रमुख चेहरा रहे और JMM को एक जनआंदोलन से राजनीतिक पार्टी बनाने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि, 2020 के बाद से उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली थी, लेकिन पार्टी और राज्य को वे लगातार मार्गदर्शन देते रहे।

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बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “उनका व्यक्तित्व प्रेरणादायक था, उन्होंने झारखंड के हित में जीवन भर कार्य किया।”

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