
देश के अगले उपराष्ट्रपति होंगे घनश्याम तिवाड़ी…! तिवाड़ी ने मंगलवार को परिवार सहित की पीएम मोदी से मुलाकात
अचानक जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे के बाद घनश्याम तिवाड़ी दौड़ में सबसे आगे
हनुमानजी के सेवक घनश्याम तिवाड़ी को लेकर राजनीति का बाजार गर्म
राजस्थान में लंबे समय तक भाजपा से दूर रहे घनश्याम तिवाड़ी संभवत अब उपराष्ट्रपति पद के लिए मोदी की पसंद
मंगलवार को पूरे परिवार के साथ पीएम मोदी से की तिवाड़ी ने मुलाकात
घनश्याम तिवाड़ी के लिए फलदायी और शुभ साबित हो रहा मंगलवार
धनखड़ के इस्तीफे को लेकर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उठाए सवाल-बोले अस्वस्थ होने वाले अचानक नहीं देते इस्तीफा, मैं 50 साल से जानता हूं जगदीप धनखड़ को
जल्द चुनाव की घोषणा, भाजपा के सभी सांसदों से लिया गया कौरे कागज पर हस्ताक्षर
विजय श्रीवास्तव,
दिल्ली/जयपुर (dusrikhabar.com)। देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने राजनीतिक हलचलें तेज कर दी हैं। राजनीतिक गलियारों में सरगर्मी चरम पर है। जहां एक ओर उनके इस निर्णय पर हैरानी जताई जा रही है, वहीं दूसरी ओर भाजपा के वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी का नाम बतौर नए उपराष्ट्रपति तेजी से चर्चा में है। सोमवार की शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तिवाड़ी की उनके पूरे परिवार के साथ मुलाकात और राज्यसभा में तिवाड़ी के सक्रिय नेतृत्व के बाद इन अटकलों को और हवा मिली है। जानकार सूत्रों की मानें तो धनखड़ मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही में भी नहीं पहुंचे, जबकि पहले से तय कार्यक्रम में वे सभापति के रूप में मौजूद रहने वाले थे।
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पीएम मोदी से आवास पर आत्मीय मुलाकात के दौरान प्रसन्न मुद्रा में घनश्याम तिवाड़ी।
पीएम मोदी से मुलाकात और अटकलों की शुरुआत
राज्यसभा में सभापति की ज़िम्मेदारी संभाल रहे घनश्याम तिवाड़ी, आज अपने परिवार के साथ प्रधानमंत्री मोदी से मिले। इस मुलाकात के बाद सत्ता गलियारों में कयासों का दौर तेज़ हो गया कि तिवाड़ी को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया जा सकता है।
धनखड़ का अचानक इस्तीफ़ा और शून्य की घोषणा
कल शाम अचानक जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफ़ा दे दिया। राज्यसभा की कार्यवाही में वे मौजूद नहीं रहे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनका इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया।
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इस्तीफा रहस्य: चुपचाप राष्ट्रपति भवन, न कोई संदेश, न बयान
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने हर किसी को चौंका दिया है, ना मीडिया को जानकारी, ना कोई प्रेस वार्ता और ना ही कोई “राष्ट्र के नाम संदेश”। ऐसे के चुपचाप राष्ट्रपति भवन पहुंच गए जगदीप धनखड़? धनखड़, जो सदैव मीडिया के प्रति खुले और संवादप्रिय माने जाते रहे, ऐसे में उनका अचानक से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र सौंपकर चुपचाप पद छोड़ देना, राजनीतिक संकेतों से भरपूर माना जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बड़ा बयान
इधर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी धनखड़ के इस्तीफे के पीछे कोई बड़ा दबाव होना बताया है। पूर्व सीएम गहलोत ने कहा कि धनखड़ संसद के भीतर-बाहर लगातार किसानों के मुद्दे उठा रहे थे और एक बार कृषि मंत्री को भी फटकार लगाई थी। गहलोत ने दावा किया कि उन्हें पहले ही लग रहा था कि लोकसभा अध्यक्ष और उपराष्ट्रपति दबाव में हैं, जो अब सच साबित हुआ। उन्होंने सवाल उठाया—”दिनभर सदन चलने के बाद अचानक इस्तीफा क्यों हुआ? क्या बीजेपी कोई राजनीतिक प्लान चला रहे हैं?” गहलोत ने यह भी कहा कि उनके धनखड़ के परिवार से 50 साल पुराने संबंध हैं, इसलिए यह घटनाक्रम और भी चौंकाने वाला है।
मुख्य बिंदु:
गहलोत का दावा – “किसानों की बात करने की कीमत चुकाई धनखड़ ने”
“लोकसभा अध्यक्ष और उपराष्ट्रपति दोनों दबाव में थे”
“क्या RSS-BJP चला रही है कोई गुप्त राजनीतिक प्लान?”
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राज्यसभा में तिवाड़ी की भूमिका और कोरे कागज पर सांसदों के हस्ताक्षर
मंगलवार सुबह घनश्याम तिवाड़ी ने राज्यसभा की अधिसूचना पढ़ी — ध्वजा और आचार संहिता—जिसमें भाजपा सांसदों ने कोरे कागज़ पर हस्ताक्षर किए, माना जा रहा है यह अगली चुनावी तैयारी की झलक है।
विपक्ष की आलोचना और राजनाथ सिंह की हलचल
विपक्षी दलों ने स्वास्थ्य कारणों पर संदेह जताया। कांग्रेस नेताओं ने कहा—यह केवल स्वास्थ्य का मामला नहीं, गहरे राजनैतिक कारण हैं।
घनश्याम तिवाड़ी का आज का घटनाक्रम: PM से मुलाकात + भाजपा सांसदों का समर्थन ब्योरा—इनसे संकेत मिलते हैं कि उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए तैयार किया जा रहा है
उपराष्ट्रपति चुनाव अगला कदम: संविधान के तहत अब जल्द चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी ।

अपने परिवार के साथ मंगलवार को पीएम मोदी से मिले राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी।
कौन हैं सांसद घनश्याम तिवाड़ी
40 वर्ष का राजनीतिक अनुभव लिए घनश्याम तिवाड़ी फिलहाल भाजपा के राज्यसभा सांसद हैं। घनश्याम तिवाड़ी ने पिछले पांच वर्षों में राजस्थान की राजनीति से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करवाई है। वर्ष 2018 में भाजपा से असहमति के चलते उन्होंने ‘भारत वाहिनी पार्टी’ बनाई, लेकिन विधानसभा चुनाव में असफलता के बाद कांग्रेस का दामन थाम लिया, जहां उन्होंने कुछ समय तक वैकल्पिक विचारधारा के साथ सक्रियता दिखाई, लेकिन कांग्रेस में भी उन्हें वह मंच नहीं मिला जिसकी वे अपेक्षा कर रहे थे। राजनीतिक अस्थिरता के इस दौर के बाद उन्होंने 2020 में फिर से भाजपा में वापसी की। वापसी के बाद तिवाड़ी ने संगठन में एक बार फिर प्रभावी भूमिका निभानी शुरू की और पार्टी के वैचारिक मार्गदर्शन केंद्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से पुनः निकटता बनाई। वे राज्यसभा सदस्य बनाए गए और संसद में उपसभापति के रूप में भी भूमिका निभाई।
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तिवाड़ी की संघ (RSS) पृष्ठभूमि मजबूत रही है और हाल के वर्षों में वे फिर से संघ के वैचारिक कार्यक्रमों में सक्रिय दिखाई दिए। उन्होंने शिक्षा, स्वदेशी, संस्कृति और ग्राम विकास जैसे मुद्दों पर संघ की नीतियों को दोहराया। अब, उपराष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार के रूप में उनका नाम चर्चा में है, जो उनकी विचारशील राजनीति और संघ से निकटता को दर्शाता है।
राज्यसभा सदस्य बनने के बाद वे सदन में अनुशासित, स्पष्टवक्ता और राष्ट्रहित के मुद्दों पर मुखर चेहरा बने। शिक्षा, सांस्कृतिक विरासत और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर उन्होंने लगातार सवाल उठाए और प्रस्ताव दिए। बीते दो वर्षों से वे राज्यसभा के पीठासीन पद पर भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। वहीं, संघ में फिर से सक्रिय होकर वे वैचारिक राजनीति की मुख्यधारा में लौटे हैं और संघ के कई प्रमुख मंचों पर उन्होंने वैदिक शिक्षा, स्वदेशी आंदोलन और परिवार व्यवस्था पर जोर दिया है। तिवाड़ी की राजनीतिक परिपक्वता और वैचारिक दृढ़ता उन्हें वर्तमान में उपराष्ट्रपति पद के लिए मजबूत उम्मीदवार बना रही है।
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