
‘उदयपुर फाइल्स’ पर विवाद गहराया: मौलाना अरशद मदनी I&B मंत्रालय, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला…!
सूचना और प्रसारण मंत्रालय से जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की
अपील में ‘घृणा फैलाने’ और ‘भारत की छवि धूमिल करने’ का आरोप
फिल्म निर्माता ने सुप्रीम कोर्ट में दी मामले को चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल रखेंगे मौलाना मदनी का पक्ष
नई दिल्ली/उदयपुर, (dusrikhabar.com)। फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर विवाद और अधिक गहरा गया है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में आधिकारिक रूप से अपील दाखिल की है। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट में भी इस मुद्दे पर याचिका दाखिल की गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने सेंसर सर्टिफिकेट पर पुनर्विचार के निर्देश दिए थे।
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मौलाना मदनी के अधिवक्ताओं ने 14 जुलाई 2025 को मंत्रालय में अपील दाखिल की, जिसमें फिल्म को “घृणा फैलाने वाला” और “भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि के लिए नुकसानदायक” बताया गया है। याचिका में दावा किया गया है कि फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ समाज में विभाजन और सांप्रदायिक तनाव पैदा कर सकती है।
फिल्म निर्माता ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती
उधर, फिल्म निर्माता अमित जानी ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सुनवाई के लिए हामी भर दी है।
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सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल रखेंगे मौलाना मदनी का पक्ष
मौलाना अरशद मदनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखेंगे। याचिका में कहा गया है कि भारत की गंगा-जमुनी तहजीब को ऐसी फिल्मों से नुकसान पहुंचता है। फिल्म के कई दृश्यों को भड़काऊ बताते हुए कहा गया है कि यह सांप्रदायिक शांति को प्रभावित कर सकती है।
नूपुर शर्मा प्रकरण का हवाला
याचिका में नूपुर शर्मा विवाद का हवाला देते हुए कहा गया है कि उस समय भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को गहरी चोट पहुंची थी और सरकार को सफाई देनी पड़ी थी। ठीक उसी प्रकार यह फिल्म भी भारत की विदेशों में छवि को प्रभावित कर सकती है।
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सेंसर बोर्ड द्वारा हटाए गए दृश्य भी नहीं रोक पाए विवाद
भले ही सेंसर बोर्ड ने फिल्म के 55 दृश्य हटाने के निर्देश दिए थे, लेकिन याचिका में कहा गया कि फिल्म की मूल भावना आज भी भड़काऊ है। निर्माता के इतिहास और प्रचार गतिविधियों को देखते हुए भी इस फिल्म को राष्ट्रहित के खिलाफ बताया गया है।
मंत्रालय एक सप्ताह में लेगा निर्णय
दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को एक सप्ताह के भीतर इस अपील पर सुनवाई कर निर्णय देना होगा। तब तक फिल्म की रिलीज पर रोक जारी रहेगी।
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