
उत्तरकाशी में टनल ढही, बड़ा हादसा, 40 मजदूर फंसे
चारधाम प्रोजेक्ट की टनल में फंसे मजदूरों के रेस्क्यू के दौरान भी धंस रही टनल
35 इंची चौड़े स्टील पाइप डालकर निकाला जाएगा मजदूरों को
लापरवाही से हुआ हादसा, मजदूरों के परिवार सकते में
देहरादून। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में दीपावली यानि 12 नवम्बर सुबह 4 बजे एक निर्माणाधीन टनल के धंसने से इसमें काम कर रहे 40 मजदूर अंदर फंस गए हैं। पिछले 58 घंटों से चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन लेकिन अभी तक टनल से मजदूर नहीं निकाले जा सके।
गौरतलब है कि चारधाम प्रोजेक्ट के तहत टनल ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है। जानकारों की मानें तो इस टनल में कार्यरत अधिकतर मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं।
इस टनल के निर्माण में नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDCL), NDRF, SDRF, ITBP, BRO और नेशनल हाईवे की टीम में 200 से अधिक लोग 24 घंटे काम कर रहे हैं।
NHIDCL के डायरेक्टर टेक्निकल अतुल कुमार ने बताया कि टनल से मलबा हटाने के दौरान ऊपर से लगातार मिट्टी धंस रही है। इससे रेस्क्यू में दिक्कत आ रही है। हमने अब स्टील पाइप के जरिए मजदूरों को निकालने का प्लान किया है।
24 घंटे और लग सकते रेस्क्यू ऑपरेशन में
कुमार ने बताया कि मजदूरों को बचाने में अभी भी 24 घंटे से अधिक समय लग सकता है। इस ऑपरेशन के तहत मजदूरों तक पहुंचने के लिए हाइड्रोलिक जैक और ऑगर ड्रिलिंग मशीन की मदद से 900MM यानी 35 इंच के डायमीटर का स्टील पाइप टनल के अंदर डाला जाएगा। मशीन और पाइप मौके पर पहुंच चुके हैं।
उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट की मानें तो सभी मजदूर सुरक्षित हैं। उत्तराखंड सरकार ने घटना की जांच के लिए छह सदस्यीय कमेटी बनाई है जो पूरे मामले की जांच करेगी।
लापरवाही से हुआ हादसा
जानकार सूत्रों की मानें तो टनल में प्लास्टर नहीं होने की वजह से टनल का 60 मीटर हिस्सा धंस गया था। इसके चलते टनल में काम कर रहे 40 मजदूर फंस गए हैं। साढ़े 4 किलोमीटर लंबी और 14 मीटर चौड़ी इस टनल टनल के स्टार्टिंग पॉइंट से 200 मीटर तक प्लास्टर किया गया था। उससे आगे कोई प्लास्टर नहीं था, इस कारण ये हादसा हुआ।
चारधाम प्रोजेक्ट की है यह टनल
यह टनल चार धाम रोड प्रोजेक्ट के तहत बन रही यह टनल हर मौसम में खुली रहेगी। यानी बर्फबारी के दौरान भी इसमें से लोग आना-जाना कर सकेंगे। इसके बनने के बाद उत्तरकाशी से यमुनोत्री धाम के बीच की दूरी 26 किमी तक कम हो जाएगी।