
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव : गर्भकल्याणक की क्रियाओं के साथ प्रारंभ
जयकारों की गूंज, श्रीजी के साथ और आचार्य के सानिध्य में 108 महिलाओं ने निकाली घटयात्रा
81 बीज मंत्रों से हुआ वेदी शुद्धि संस्कार
जयपुर,(dusrikhabar.com)। एशिया की सबसे बड़ी कॉलोनियों में शुमार मानसरोवर के न्यू सांगानेर रोड़ स्थित मान्यावास के इंजीनियर्स कॉलोनी के नवनिर्मित जिनालय में तीन लाल पंचकल्याणक महोत्सव शनिवार को गर्भकल्याणक की क्रियाओं के साथ प्रारंभ हुआ, शनिवार को प्रातः 5.30 बजे आचार्य शशांक सागर महाराज ससंघ सान्निध्य और बाल ब्रह्मचारी पंडित धर्मचंद शास्त्री और ब्रह्मचारी जिनेश भैया का निर्देशन में मंगलाष्टक पाठ के गुणगान और मूलनायक भगवान शांतिनाथ स्वामी के कल्षाभिषेक और शांतिधारा से दिन की शुरुवात हुई।
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महोत्सव समिति प्रचार संयोजक अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि श्रीजी के कल्षाभिषेक के पश्चात् पालकी में श्रीजी को विराजमान किया गया और जयकारों की दिव्य गूंज और 108 से अधिक महिलाओं ने अपने मस्तक पर कलशों को रखकर चेत्यालय से नवीन जिनालय तक बैंड – बाजों और नाचते गाते हुए घटयात्रा निकाली गई। इस दौरान गुलाबी परिधान पहने पुरुष हाथों में पचरंगा ध्वजा लिए और श्रीजी की पालकी को अपने कंधों पर विराजमान किए हुए चल रहे थे। इसके बाद नवीन जिनालय में भगवान की माता, सौधर्म इंद्राणी, धनपति कुबेर इंद्राणी, महायज्ञ नायक इंद्राणी, यज्ञ इंद्राणी, महामंडलेश्वर इंद्राणी सहित उपस्थित सभी महिलाओं ने अपने कलशों और 81 बीज मंत्रों के गुणगान के साथ वेदी शुद्धि संस्कार की क्रियाएं संपन्न की।
प्रात: 7.30 बजे ध्वजारोहण सुभाष चंद पवन कुमार जैन बधाल परिवार द्वारा, पांडाल उद्घाटन सीए रमेश अर्चना जैन परिवार, चित्र अनावरण सुरेश, चेतन, हर्ष पाटनी परिवार, दीप प्रवज्जलन धनेश, पुलकित, त्रिशा, अविश जैन परिवार द्वारा और नांदी कुंभ की स्थापना समाज द्वारा की गई। इसके उपरांत आचार्य शशांक सागर महाराज के मंगल प्रवचन सम्पन्न हुए।
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दोपहर 1 बजे से पंडित धर्मचंद शास्त्री के मुखारविंद बीज मंत्रों के गुणगान के साथ सकलीकरण, इंद्र प्रतिष्ठा, मंडल प्रतिष्ठा किए गए। इसके उपरांत अष्ट द्रव्य (जल, चन्दन, अक्षत, पुष्प, नैवेघ, दीप, धूप, फल) के साथ संगीतमय श्री यागमंडल विधान पूजन किया गया जिसमें माता – पिता कमलचंद तारा देवी छाबड़ा, सौधर्म इंद्र दिवाकर शिल्पी जैन चित्तौड़ा, धनपति कुबेर इंद्र अशोक सीमा जैन पचेवर वाले, महा यज्ञ नायक रवि ऋतु जैन, यज्ञ नायक, चक्रवती इंद्र सपन रजनी जैन, महामंडलेश्वर सीए मनीष निशा छाबड़ा सहित 39 प्रमुख इंद्र – इंद्राणी सहित कुल 108 श्रावक और श्राविकाओं ने भजन – भक्ति के साथ पूजन किया।
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दोपहर मध्याह्न 4.15 बजे भगवान की माता बनी श्रीमती तारा देवी कमलचंद छाबड़ा की गोद भराई की क्रियाएं संपन्न करवाई गई जिसमें सर्व प्रथम जगत जननी के संस्कार पंडित धर्मचंद शास्त्री द्वारा किए गए, इसके बार बारी बारी सभी इंद्रों द्वारा फल, मेवा, नारियल, साड़ी के माध्यम से नाचते गाते हुए माता की गोद भराई की।
शाम 7 बजे से श्रीजी की आरती, आचार्य संघ की आरती की गई, जिसमें आम आदमी पार्टी के नवनियुक्त प्रदेश प्रभारी धीरज टोकस, उत्तराखंड सहप्रभारी गयेंद्र भारद्वाज भी शामिल हुए और आचार्य श्री का आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके उपरांत शास्त्र सभा हुई और रात्रि 8 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम के रूप में गर्भ कल्याणक की क्रियाएं राज दरबार और इंद्र दरबार के जरिए प्रस्तुत की गई, जिसमें धनपति कुबेर इंद्र द्वारा रत्न वर्षा की गई, सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान हस्तिनापुर नगरी की रचना की गई और सोलह स्वप्न झांकियां प्रस्तुत की गई, इसके बाद 56 अष्ट कुमारियों द्वारा माता की सेवा का आद्भुत दर्शन प्रस्तुत किया गया।
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महोत्सव संयोजक सीए मनीष जैन छाबड़ा ने बताया कि मध्य रात्रि 12.15 बजे से बाल ब्रह्मचारी धर्मचंद शास्त्री और ब्रह्मचारी जिनेश भैया के निर्देश में गर्भ कल्याणक की आंतरिक क्रियाएं प्रारंभ हुई। वहीं रविवार को सुबह 5.30 बजे के लगभग भगवान शांतिनाथ की जन्म कल्याणक क्रियाएं प्रारंभ होगी जिसमें सर्व प्रथम भगवान का जन्म होगा, तत्पश्चात बालक शांतिनाथ की नगर यात्रा निकाली जाएगी।
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करीब प्रातः 8 बजे बालक शांतिनाथ को पाण्डुक शिला पर विराजमान कर जन्माभिषेक कलश होगे जिसमें सभी इंद्र इंद्राणियों सहित उपस्थित सभी श्रावक और श्राविकाओं द्वारा जन्माभिषेक कलश किए जाएंगे। इस दौरान बाल क्रीड़ा, जनकल्याणक पूजन होगा, इस अवसर पर प्रातः 11 बजे राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, विधायक कैलाश वर्मा सम्मिलित होगे और आचार्य संघ का मंगल आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। दोपहर में, तप और दोपहर मध्याह्न में ज्ञान कल्याणक की क्रियाएं संपन्न करवाई जाएगी।