
वैदिक पंचांग-प्रथम नवरात्र “माँ शैलपुत्री”
*~ वैदिक पंचांग ~*
पंचांग (प्रथम नवरात्र) ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार कैसे शुभ होगा?
जानिए वैदिक पंचांग से (प्रथम नवरात्र)
दिनांक – 15 अक्टूबर 2023
दिन – रविवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – आश्विन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – प्रतिपदा 00:32 (16 अक्टूबर) तक तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र – चित्रा 18:13 तक त्तपश्चात स्वाति
योग – वैधृति 10:25 तक तत्पश्चात विष्कुम्भ
राहुकाल – 16:30 – 18:00 बजे तक
सूर्योदय – 06:22
सूर्यास्त – 17:52
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व – शारदीय नवरात्रि प्रारम्भ 15 अक्टूबर रविवार से
घटस्थापना मुहूर्त – 11:44 से 12:30 अभिजीत मुहूर्त में
महाराजा अग्रसेन जयंती
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💥 विशेष:- प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाएं क्योंकि ये धन का नाश करने वाला होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
👉मां दुर्गा को समर्पित यह पर्व हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, प्रत्येक वर्ष आश्विन मास में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है। पूरे नौ दिनों तक मां आदिशक्ति जगदम्बा का पूजन किया जाता है।
👉शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। मां दुर्गा की उपासना का पर्व साल में चार बार आता है, जिसमें दो गुप्त नवरात्रि और दो चैत्र व शारदीय नवरात्रि होती है।
👉शारदीय नवरात्रि की शुरुआत रविवार 15 अक्टूबर 2023 से होगी। 23 अक्टूबर 2023 को नवरात्रि समाप्त होगी, वहीं 24 अक्टूबर विजयादशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।
👉पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को यानी पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को 11:44 मिनट से दोपहर 12:30 तक है, ऐसे में कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त इस साल 46 मिनट ही रहेगा।
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👉नवरात्रि के 9 दिन का महत्व।
अश्विन माह में पड़ने वाली शारदीय नवरात्रि का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है, इसमें मां दुर्गा की प्रतिमाएं विराजित की जाती है, साथ ही कई स्थानों पर गरबा और रामलीलाओं का आयोजन किया जाता है, इस 9 दिन के महापर्व के पहले दिन घटस्थापना की जाती है।
मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा भी की जाती है, अखंड ज्योति जलाई जाती है, हर स्वरूप की अलग महिमा होती है, आदिशक्ति जगदम्बा के हर स्वरूप से अलग-अलग मनोरथ पूर्ण होते हैं, यह पर्व नारी शक्ति की आराधना का पर्व है, नवरात्रि के नौ दिनों में व्रत भी रखा जाता है, पूरे नियमों के साथ मां दुर्गा की आराधना की जाती है।
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👉नवरात्रि में मां दुर्गा के आगमन की सवारी है शुभ।
देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि महालया के दिन जब पितृगण धरती से लौटते हैं तब मां दुर्गा अपने परिवार और गणों के साथ पृथ्वी पर आती हैं, जिस दिन नवरात्र का आरंभ होता है उस दिन के हिसाब से माता हर बार अलग-अलग वाहनों से आती हैं,
माता का अलग-अलग वाहनों से आना भविष्य के लिए संकेत भी होता है जिससे पता चलता है कि आने वाला साल कैसा रहेगा, इस साल माता का वाहन हाथी होगा क्योंकि नवरात्रि का आरंभ रविवार से हो रहा है, इस विषय में देवी भागवत पुराण में इस प्रकार लिखा गया है कि रविवार और सोमवार को नवरात्रि आरंभ होने पर माता हाथी पर चढकर आती हैं जिससे खूब अच्छी वर्षा होती है, खेती अच्छी होगी, अन्न धन का भंडार बढ़ेगा, भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। 9 दिन में किए हर काम में सफलता मिलती है।
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मां दुर्गा जी 9 दिन तक अपने भक्तों के बीच
👉नवरात्रि में मां दुर्गा जी 9 दिन तक अपने भक्तों के बीच रहती हैं। इस दौरान जो देवी जी की सच्चे मन से भक्ति करता है उसका बेड़ा पार हो जाता है। मान्यता है कि जो साधक नियम का पालन करते हुए 9 दिन तक, नवचंडी पाठ, देवी जी के मंत्रों का जाप और ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’ रोजाना जाप करता है, उसे शत्रु और ग्रह बाधा की पीड़ा से मुक्ति मिलती है, कार्य बिना रुकावट पूरे होते हैं।
👉नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि 22 अक्टूबर 2023 को है, वहीं नवमी तिथि 23 अक्टूबर 2023 को है, इन दोनों दिनों में कन्या पूजन किया जाता है, कहते हैं इसके बिना 9 दिन की पूजा अधूरी मानी जाती है।
👉पहला दिन – मां शैलपुत्री : नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। यह मां दुर्गा का पहला अवतार हैं, और वह चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करती हैं। कुंडली में चन्द्र अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो इनकी पूजा पाठ करें।
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