
“Celebrating Transformative Leadership” सीआईआई महिला नेतृत्व राजस्थान का छठा संस्करण
CII-IWN वार्षिक सत्र एवं महिला नेतृत्व सम्मेलन 2025 का आयोजन
उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने किया महिला सशक्तिकरण का अभिनंदन
“महिलाओं को एक भाषा में, एक स्वर में और एक उद्देश्य के लिए बोलना चाहिए।” – दिया कुमारी
राजस्थान महिला नेतृत्व शिखर सम्मेलन 2025 का छठा संस्करण सम्पन्न
समिट में 275 से अधिक वुमन बिजनेस लीडर्स, पॉलिसी मेकर्स, उद्यमी, ब्यूरोक्रेट्स और प्रोफेशनल महिलाओं ने हिस्सा लिया
जयपुर,(dusrikhabar.com)। CII-IWN वार्षिक सत्र एवं महिला नेतृत्व सम्मेलन 2025″ का भव्य आयोजन आज जयपुर के एक प्रतिष्ठित होटल में सम्पन्न हुआ। इस वर्ष सम्मेलन की थीम थी “Celebrating Transformative Leadership”, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से आईं प्रभावशाली और प्रेरणादायक महिला लीडर्स ने भाग लेकर अपने अनुभव साझा किए।
दुनिया भर में महिलाओं को एक जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यदि महिलाएं एकजुट होकर, एक स्वर और एक भाषा में बोलें, तो कोई भी ताकत उन्हें किसी भी क्षेत्र में अपने लक्ष्य हासिल करने से नहीं रोक सकती। यह बात राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने आज जयपुर में आयोजित आईडब्ल्यूएन राजस्थान वुमन लीडरशिप समिट 2025 के छठे संस्करण के दौरान ‘सेलिब्रेटिंग ट्रांसफॉर्मेटिव लीडरशिप’ थीम पर एक सत्र में विशेष संबोधन के दौरान कही। समिट का आयोजन कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) – इंडियन वुमन नेटवर्क (आईडब्ल्यूएन), राजस्थान चैप्टर द्वारा किया गया था।
इस सम्मेलन की मुख्य अतिथि राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी रहीं, जिन्होंने सम्मेलन को संबोधित करते हुए महिला सशक्तिकरण, नेतृत्व, और राष्ट्रीय सुरक्षा में महिलाओं की भूमिका पर विचार रखे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई महिला कल्याण योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि “आज महिलाएं अपने-अपने क्षेत्र में प्रेरणास्रोत बन रही हैं। ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’, ‘उज्ज्वला योजना’ से लेकर संसद में 33% आरक्षण तक ये सभी पहलें महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील के पत्थर हैं।”
उपमुख्यमंत्री ने “ऑपरेशन सिन्दूर” का विशेष उल्लेख करते हुए भारतीय महिला अधिकारियों के साहस और नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन में महिलाओं ने न केवल अत्यधिक जोखिम उठाया, बल्कि देश के लिए अभूतपूर्व साहस दिखाया, जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्पद है। उन्होंने कहा कि “जब विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि एक स्वर में बोलते हैं, तो पूरा ब्रह्मांड सुनता है। यही एकता बदलाव की सबसे बड़ी ताकत है।”
दिया कुमारी ने सामाजिक और पारिवारिक ढांचे में महिलाओं की बढ़ती भूमिका की सराहना की और कहा कि यह प्रधानमंत्री की दूरदृष्टि और महिला केंद्रित सोच का परिणाम है। उन्होंने सभी से अपील की कि “हमें परिवार और समाज में भी यही दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और महिलाओं को कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ने का अवसर देना चाहिए।”
अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए उन्होंने गर्व से कहा कि वह एक सैनिक की बेटी हैं। उनके पिताजी ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में भाग लिया था और पाकिस्तान के छाछरो क्षेत्र में भारत का ध्वज फहराया था। उन्होंने अनुशासन, समय की पाबंदी और राष्ट्रसेवा की प्रेरणा अपने पिताजी से प्राप्त की। उपमुख्यमंत्री ने कहा “प्रशासनिक सेवा हो, सैन्य सेवा हो, उद्योग हो या अन्य क्षेत्र हर जगह महिलाएं आज नेतृत्व कर रही हैं। हमें इस परिवर्तन को स्वीकारना और सम्मानित करना चाहिए।”
एवीएसएम, वाईएसएम, वीएसएम, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, दक्षिण-पश्चिमी कमान, लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह ने भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं की अहम भूमिका पर जोर दिया, खासकर हाल ही के ऑपरेशन सिंदूर में उनके नेतृत्व को उजागर करते हुए। विशेष रूप से, भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और भारतीय वायु सेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने इस ऑपरेशन की आधिकारिक ब्रीफिंग का नेतृत्व किया, जो भारत की सैन्य संचार इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण था। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उनका नेतृत्व न केवल भारत की सैन्य ताकत को दर्शाता है, बल्कि रक्षा क्षेत्र में लिंग समानता के प्रति देश की प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है, जो यूनिफॉर्म में आने वाली पीढ़ी की महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
सीआईआई राजस्थान के चेयरमैन और संस्थापक प्रबंध निदेशक एवं सीईओ, एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक, संजय अग्रवाल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि बैंकिंग सेक्टर महिलाओं को समर्थन देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि सुविधाजनक कार्य वातावरण, नियत कार्य समय, मातृत्व अवकाश सहित अन्य लाभ कार्यस्थल पर महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी में योगदान करते हैं।
पुलिस महानिरीक्षक, क्राइम ब्रांच, राजस्थान सरकार, परम ज्योति (IPS) ने आईपीएस अधिकारी बनने की अपनी प्रेरणादायक यात्रा साझा की, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने पारंपरिक रूप से पुरुष प्रधान क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना कर सफलता हासिल की। उन्होंने इस पर प्रकाश डाला कि आईपीएस परीक्षा पास करने में महिलाओं को कोई विशेष सुविधा नहीं मिलती। सभी को समान मेहनत और समर्पण से आगे बढ़ना होता है। ऑपरेशन ब्लूस्टार से संबंधित अंतर्दृष्टि सहित अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने संघर्ष, आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय की अहमियत पर ज़ोर दिया।
प्रबंध निदेशक, राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन, IAS नेहा गिरी ने अपने धौलपुर कलेक्टर पद के दौरान छुआछूत खत्म करने के अपने प्रयासों के बारे में बताया। उन्होंने याद करते हुए बताया कैसे उन्होंने कार्यस्थल पर एक दलित महिला द्वारा दिया गया पानी पीकर जातिगत बाधाओं को तोड़ा। उन्होंने समाज में सोच बदलने की ज़रूरी आवश्यकता पर ज़ोर दिया, जिसमें पुरुष घर के काम में बराबर की जिम्मेदारी लें और बच्चों को छोटी उम्र से ही समानता और समावेशन का महत्व समझाया जाए।
अतिरिक्त आयुक्त, आयकर विभाग, भारत सरकार, डॉ. मोनीषा सामरिया (IRS) ने सार्वजनिक सेवा में अपने सफर के बारे में बात करते हुए कहा कि यह समाज को कुछ लौटाने का उनका एक जागरूक प्रयास है। उन्होंने यह भी ज़ोर देकर कहा कि महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता बेहद ज़रूरी है, जिसे उन्होंने सशक्तिकरण और सामाजिक प्रगति का एक अहम स्तंभ बताया।
दक्षिण-पश्चिमी कमान, भारतीय सेना, कर्नल काजल बाली ने साझा किया कि उनके लिए वर्दी कभी भी ‘जेंडर’ का विषय नहीं रही, बल्कि यह एक ऐसा विश्वास है जिसे उन्होंने अपनी पूरी यात्रा में दिल से अपनाया है। उन्होंने कहा कि चुनौतियां जीवन का अभिन्न हिस्सा होती हैं, लेकिन कोई व्यक्ति उनका सामना कैसे करता है, वही उसकी वास्तविक नेतृत्व क्षमता को परिभाषित करता है।
इस अवसर पर सीआईआई के वरिष्ठ निदेशक और प्रमुख, नितिन गुप्ता ने कहा कि यह कार्यक्रम इस बात को दर्शाता कि हमें ऐसे माहौल बनाने की जरूरत है जहां महिलाएं सिर्फ भागीदार न हों, बल्कि परिवर्तन की मुख्य सूत्रधार बनें। उन्होंने कहा, सीआईआई में हमारा लगातार प्रयास है कि हर क्षेत्र में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से नेतृत्व, समानता और व्यापक बदलाव को प्रोत्साहित किया जाए।
पैनल का संचालन दैनिक भास्कर के सिटी भास्कर की वर्टिकल हेड, डॉ. प्रेरणा साहनी ने किया।
इससे पूर्व, फायरसाइड चैट के दौरान, प्रबंध निदेशक एवं सीईओ, एचडीएफसी लाइफ, विभा पडलकर ने जोर देकर कहा कि लीडरशिप का मूल आधार भरोसा, सहानुभूति और सुरक्षा की प्रकृति में निहित होता है — ये वे मूल्य हैं जो पारंपरिक वित्तीय मापदंडों से परे हैं। एचडीएफसी लाइफ में अपने 16 साल के अनुभव से उन्होंने बताया कि महिलाओं की प्रकृति में सहानुभूति, बदलाव के अनुसार खुद को ढालने की क्षमता और मिलकर काम करने का तरीका उन्हें खास लीडर बनाता है, विशेष रूप से गैर-पारंपरिक भूमिकाओं में। उन्होंने आगे कहा कि महिलाओं की आर्थिक आज़ादी समाज और देश की तरक्की के लिए बहुत जरूरी है।
इस अवसर पर स्वागत संबोधन चेयरपर्सन, आईडब्ल्यूएन नॉर्दर्न रीजन और निम्स हॉस्पिटल एंड यूनिवर्सिटी की निदेशक, डॉ. पल्लवी मिश्रा द्वारा दिया गया। वहीं, समापन संबोधन चेयरवुमन, आईडब्ल्यूएन राजस्थान और वेदांता लॉ चैम्बर्स की फाउंडर पार्टनर, निवेदिता सारदा ने दिया। इस अवसर पर आईडब्ल्यूएन नॉर्दन रीजन की को-चेयरपर्सन, नंदिनी चौधरी भी उपस्थित थीं।