नारायण सेवा संस्थान के सामूहिक विवाह में 51 दिव्यांग जोड़े बंधे वैवाहिक बंधन में

नारायण सेवा संस्थान के सामूहिक विवाह में 51 दिव्यांग जोड़े बंधे वैवाहिक बंधन में

गणपति प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर हुई विवाह समारोह की वैवाहिक रस्मों की शुरुआत

42वां निशुल्क दिव्यांग एवं निर्धन जन सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन

51 वेदियों पर वैदिक मंत्रों के साथ लिए पवित्र अग्नि के सात फेरे

राजस्थान ही नहीं भारत भर से आए दिव्यांग जोड़े बंधे परिणय सूत्र में

संस्थान परिसर में रविवार सुबह निकाली गई बिंदोरी

नारायण सेवा संस्थान के हाड़ा सभागार के द्वार पर हुई तोरण की रस्म

कोई बैसाखी के सहारे तो कोई व्हीलचेयर पर पहुंचा जीवन साथी तक

डोली में हुई दुल्हनों की विदाई, डाेली में दुल्हन पहुंचीं उनके विश्राम स्थल

 

 

उदयपुर, (dusrikhabar.com)।  नारायण सेवा संस्थान की ओर से रविवार 1 सितम्बर को 42 वें निशुल्क दिव्यांग एवं निर्धन सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस मौके पर संस्थान की ओर से 51 दिव्यांग जोड़े का विवाह सम्पन्न कराया गया। विवाह के समय सभी नव युवाओं में अपने विवाह को लेकर उमंग और उत्साह चेहरे पर देखते ही बन रहा था। शेरवानी में दुल्हे और लाल-महरून रंग के बेस में दुल्हनें बहुत ही सुंदर नजर आ रहे थे। नारायण सेवा संस्थान की ओर से बड़ी स्थित परिसर में आयोजित इस सामूहिक विवाह समारोह में दुल्हा दुल्हन के परिवार के साथ सैंकड़ों लोग इस मंगल कार्य में शामिल हुए। 

नारायण सेवा संस्थान के संस्थापक पद्मश्री कैलाश मानव, सहसंस्थापिका कमला देवी अग्रवाल, अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल, निदेशक वन्दना अग्रवाल, ट्रस्टी देवेंद्र चौबिसा व विशिष्ट अतिथि दिल्ली के कुसुम गुप्ता, नरेंद्रपाल सिंह, सत्यनारायण गुप्ता, बृजबाला, पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा, गुड़गांव के नितिन मित्तल, सूरत के हरीश कुमार, मुंबई के सतीश अग्रवाल और उदयपुर के संतोषसिंह शलूजा ने भी आयोजन में मौजूद रहकर न सिर्फ सारी व्यवस्थाएं की अपितु नव विवाहित दंपत्ति को आशीर्वाद भी प्रदान किया।

मेंहंदी,हल्दी और बिंदोरी की रस्मों के बाद हुई वरमाला

विवाह से पहले संस्थान परिवार में बिंदोरी निकाली गई और हाड़ा सभागार के मुख्य द्वार पर दुल्हे ने तोरण की रस्म अदा की। यहां से श्रीनाथजी की झांकी के साथ वर-वधु मंच पर पहुंचे तो पांडाल में मौजूद लोगों ने सभी वर-वधुओं को गर्मजोशी से स्वागत किया। पुष्प की बारिश की गई महिलाओं ने मंगल गीत गाए ढोलक बजाई गई और नृत्य का भी आयोजन हुआ। नव दंपत्तियों में कोई बैसाखी के सहारे तो कोई व्हीलचेयर पर बैठकर पहुंचा अपने हमसफर के मिलने। नारायण सेवा संस्थान, सेवा महातीर्थ, बड़ी, उदयपुर में आयोजित हुए 42वें दिव्यांग विवाह समारोह में वर-वधुओं ने एक दूसरे को वरमाला माला पहनाई तो तालियों की गड़गड़ाहट से पांडाल गूंज उठा। 

डाेली में बिठकार परिजनों ने नम आंखों से किया बेटी का विदा

विवाह सम्पन्न होने के बाद बड़े ही रीति रिवाज के साथ वधु डोली में बैठकर अपने ससुराल के लिए रवाना हुई। इससे पहले आचार्यों ने मुख्य आचार्य के निर्देशन में वैदिक मंत्रों के साथ अग्नि के सात फेरों लगवाए और पाणिग्रहण संस्कार सम्पन्न कराया। विवाह समारोह में फेरे के बाद जूते चुराई और पलंग चार जैसी सभी रस्में निभाई गई। इसके बाद दुल्हनों को डोली में बिठाकर उनके विश्राम स्थल तक के लिए रवाना किया गया। जहां से संस्थान के ही वाहनों से दूल्हा-दुल्हन अपने अपने घर और शहर के लिए रवाना हुए। 

आपको बता दें कि उदयपुर के नारायण सेवा संस्थान में हुए इस सामूहिक विवाह समारोह में सर्व धर्म सम्भाव नजर आया। यहां हर समाज के लोगों के दिव्यांग युवाओं की विवाह बड़े ही धूमधाम और शान शौकत के साथ सम्पन्न हुआ। 

विवाह के बाद दिव्यांग जोड़ों को क्या क्या मिला

नारायण सेवा संस्थान, की ओर से हुए 42वें दिव्यांग विवाह समारोह में 51 जोड़ों को मंगलसूत्र, कर्णफूल, बिछिया, पायल, नाक का फूल, अंगूठी, विभिन्न प्रकार के परिधान, साड़ियाँ, गृहस्थी का आवश्यक सामान बर्तन जैसे- बर्तन सेट, गैस-चूल्हा, संदूक, टेबल-कुर्सी, बिस्तर, घड़ी, पंखा और प्रसाधन सेट इत्यादि प्रदान किया गया।

 

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