16 सनातनी मंत्र, जो मन को शांति और सद‌विचार देते हैं…

16 सनातनी मंत्र, जो मन को शांति और सद‌विचार देते हैं…

सनातन धर्म के मंत्र जो मन को शांति और सद् विचार देते हैं

इन मंत्रों से बच्चों के संस्कार जन्मते हैं, मानसिक विकास भी होता है

लोगों में नई ऊर्जा का संचार और अपनी संस्कृति को करीब से जानने का मौका मिलता है

 

जयपुर ब्यूरो, (dusrikhabar.com)। सनातन धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है। अनादि और अनंत माने जाने वाले सिद्धांतों पर आधारित सनातन धर्म का मुख्य उद्देश्य मानव जीवन को मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग पर ले जाना है। इसमें वेद, उपनिषद, पुराण और भगवद गीता जैसे ग्रंथों की विशेष भूमिका है। सनातन धर्म लोगों को अहिंसा, सत्य, धर्म, और कर्म के मार्ग पर चलने की शिक्षा देता है। हमारे ऋषि मुनियों की मानें तो सनातन धर्म में सभी जीवों का सम्मान, प्रकृति का संरक्षण और आत्मा की शुद्धि को लेकर संस्कार दिए जाते हैं।

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मंत्रों से संस्कारों और चरित्र का निर्माण 

सनातन धर्म बच्चों में संस्कारों को लेकर अहम भूमिका निभाता है। ऐसा माना जाता है कि मंत्रों से बुद्धि और मस्तिष्क का विकास होता है, मन में शांति और सात्विकता आती है, लोगों के प्रति आदर और सम्मान का भाव उत्पन्न होता है इसलिए बच्चों को सही दिशा देने और उनके चरित्र निर्माण में मंत्रोच्चारण का बड़ा महत्व है। गौरतलब है कि बाल्यावस्था को संस्कारों का बीज काल माना गया है, जिसमें उचित मार्गदर्शन और शिक्षा से बच्चों के अंदर नैतिक और धार्मिक मूल्यों को स्थापित किया जाता है। धार्मिक मंत्रों का पाठ बच्चों को दिए जाने वाले संस्कारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। 

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संस्कार क्यों आवश्यक हैं हमारे जीवन में:- 

  • नैतिक और धार्मिक शिक्षा का प्रभाव 

बच्चों को मन कोमल होता है उसे जैसी भी शिक्षा दी जाए वो वैसा ही हो जाता है। इसलिए सनातन धर्म में बच्चों को सत्य, अहिंसा, करुणा और धर्म की राह पर चलने की शिक्षा दी जाती है। यह उन्हें समाज में एक अच्छे इंसान के रूप खुद को स्थापित करने में सहायता करती है। 

  • धार्मिक मंत्रों से पवित्र होता है कोमल मन

सनातन धर्म में छोटे बच्चों को प्राचीन वैदिक मंत्रों और श्लोकों का ज्ञान दिया जाता है। इन मंत्रों में गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र और शांति मंत्र जैसे करीब 16  मंत्र शामिल हैं, इन मंत्रों का जाप न सिर्फ बच्चों बल्कि मनुष्य के मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।

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  • ध्यान और आत्मनियंत्रण से बढ़ता है अनुशासन और एकाग्रता

आदि काल से ही सनातन धर्म में योग और प्राणायाम के साथ मंत्रों की शिक्षा भी दी जाती रही है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार योग-प्राणायाम और मंत्रों के अभ्यास से ध्यान, संयम और अनुशासन विकसित होता है। साथ ही मंत्रों का सही उच्चारण मानव शरीर के अंदर एकाग्रता और स्मरण शक्ति को भी बढ़ाता है।

  • पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों का विकास

उल्लेखनीय है कि बाल संस्कारों के माध्यम से बच्चों को परिवार, समाज और प्रकृति के प्रति प्रेम और कर्तव्य का ज्ञान होता है। संस्कार हमारे मन में जिम्मेदारी उत्पन्न करते हैं और हमें संस्कारी नागरिक बनने में मदद करते हैं। इसलिए धार्मिक मंत्रों का प्रयोग हमारे लिए सदा ही लाभकारी साबित हुआ है। यह न केवल मानसिक तनाव को कम करता है, बल्कि आत्मविश्वास और आत्मिक शांति के लिए सबसे उपयुक्त रामबाण हैं। 

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सनातन के 16 मंत्र जो हर किसी को सीखने और अभ्यास करने चाहिए

1. गायत्री मंत्र 
ॐ भूर्भुवः स्वः, तत्सवितुर्वरेण्यम्, भर्गो देवस्य धीमहि, धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

2. महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्रम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् , उर्वारुकमिव बन्धनान्, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् !!

3. गणेश मंत्र
वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ।

निर्विघ्नम कुरू मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा ।।

 

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4. विष्णु मंत्र
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।

मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः।।

 

5. ब्रह्मा मंत्र
ॐ नमस्ते परमं ब्रह्मा, नमस्ते परमात्ने ।
निर्गुणाय नमस्तुभ्यं, सदुयाय नमो नम:।।

 

6. कृष्ण मंत्र
वसुदेवसुतं देवं, कंसचाणूरमर्दनम्।
देवकी परमानन्दं, कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम।।

 

7. राम मंत्र
श्री रामाय रामभद्राय, रामचन्द्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय, सीताया पतये नमः ।।

 

8. दुर्गा मंत्र
ॐ जयंती मंगला काली, भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री, स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते।।

 

9. महालक्ष्मी मंत्र
ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः ।
मनुष्यो मत्प्रसादेन, भविष्यति न संशयःॐ ।।

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10. सरस्वती मंत्र
ॐ सरस्वति नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणि।
विद्यारम्भं करिष्यामि, सिद्धिर्भवतु मे सदा ।।

 

11. महाकाली मंत्र
ॐ क्रीं क्रीं क्रीं, हलीं ह्रीं खं स्फोटय, क्रीं क्रीं क्रीं फट ।।

 

12. हनुमान मंत्र
मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्य।।

 

13. शनि मंत्र
ॐ नीलांजनसमाभासं, रविपुत्रं यमाग्रजम ।
छायामार्तण्डसम्भूतं, तं नमामि शनैश्चरम्।।

 

14. कार्तिकेय मंत्र
ॐ शारवाना-भावाया नम:, ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा, वल्लीईकल्याणा सुंदरा।
देवसेना मन: कांता, कार्तिकेया नामोस्तुते।।

 

15.काल भैरव मंत्र 
ॐ ह्रीं वां बटुकाये, क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये।
कुरु कुरु बटुकाये, ह्रीं बटुकाये स्वाहा।।

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16. भारत माता मंत्र
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे, त्वया हिन्दुभूमे सुखद् वर्धितोऽहम्।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे, पतत्वेष काथो नमस्ते-नमस्ते।।

 

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