वैदिक पंचांग-दशमी तिथि
*~ वैदिक पंचांग ~*
वैदिक पंचांग-दशमी ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार कैसे शुभ होगा?
जानिए वैदिक पंचांग से (दशमी) के बारे में
दिनांक – 7 नवम्बर 2023
वैदिक दिन – सोमवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – आश्विन
पंचांग पक्ष – कृष्ण
तिथि – दशमी पूर्ण रात्रि
नक्षत्र – मघा 16:24 तक त्तपश्चात पूर्वाफाल्गुनी
योग – ब्रह्म 15:20 तक तत्पश्चात इंद्र
राहुकाल – 15:00 – 16:30 बजे तक
सूर्योदय – 06:37
सूर्यास्त – 17:32
पंचांग दिशाशूल – उत्तर दिशा में
व्रत पर्व – धन तेरस 10 नवम्बर 2023
छोटी दीवाली 11 नवम्बर 2023
बड़ी दीवाली 12 नवम्बर 2023
सोमवती अमावस्या 13 नवम्बर 2023
अन्नकुट 14 नवम्बर 2023
भाई दूज 15 नवम्बर 2023
गोपाष्टमी 20 नवम्बर 2023
आंवला नवमी 21 नवम्बर 2023
देवउठनी एकादशी 23 नवम्बर 2023
व्रत की पूर्णिमा 26 नवम्बर 2023
स्नान दान की पूर्णिमा 27 नवम्बर 2023
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💥 विशेष:- दशमी को स्त्री सहवास तथा टिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
👉पहले बताई विधि के अनुसार धनतेरस को यमदीप दान करें।
👉निर्धनता दूर करने के लिए अपने पूजाघर में धनतेरस की शाम को अखंड दीपक जलाना चाहिए जो दीपावली की रात तक जरूर जलता रहे। अगर दीपक भैयादूज तक अखंड जलता रहे तो घर के सारे वास्तु दोष भी समाप्त हो जाते हैं।
👉घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं। बत्ती में रुई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें साथ ही दिए में थोड़ी सी केसर भी डाल दें।
👉घर के तेल का दीपक प्रज्वलित करें तथा उसमें दो काली गुंजा डाल दें, गन्धादि से पूजन करके अपने घर के मुख्य द्वार पर अन्न की ढ़ेरी पर रख दें। साल भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहेगी। स्मरण रहे वह दीप रातभर जलते रहना चाहिये, बुझना नहीं चाहिये।
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👉दीपावली पर लक्ष्मी प्राप्ति की साधना-विधियाँ:
1. 10 नवम्बर 2023 शुक्रवार को धनतेरस है।
2. धनतेरस से आरम्भ करें।
3. सामग्री: दक्षिणावर्ती शंख, केसर, गंगाजल का पात्र,धूप , अगरबत्ती, दीपक, लाल वस्त्र।
4. विधि: साधक अपने सामने गुरुदेव व लक्ष्मीजी के फोटो रखें तथा उनके सामने लाल रंग का वस्त्र बिछाकर उस पर दक्षिणावर्ती शंख रख दें l उस पर केसर से सतिया बना लें तथा कुम कुम से तिलक कर दें।
5. बाद में स्फटिक की माला से निम्न मंत्र की ७ मालाएँ करें l तीन दिन तक ऐसा करने योग्य है। इतने से ही मंत्र-साधना सिद्ध हो जाती है। मंत्रजाप पूरा होने के पश्चात् लाल वस्त्र में शंख को बांधकर घर में रख दें। कहते हैं- जब तक वह शंख घर में रहेगा, तब तक घर में निरंतर उन्नति होती रहेगी।
6. मंत्र : ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं महालक्ष्मी धनदा लक्ष्मी कुबेराय मम गृहे स्थिरो ह्रीं ॐ नमः।
👉ज्योतिषीय परामर्श के लिए पूनम गौड को 8826026945 पर व्हाट्सएप्प करें।