वैदिक पंचांग-तृतीया तिथि

वैदिक पंचांग-तृतीया तिथि

*~ वैदिक पंचांग ~*

वैदिक पंचांग-तृतीया ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार कैसे शुभ होगा? 

जानिए वैदिक पंचांग से (तृतीया ) के बारे में 

दिनांक – 31 अक्टूबर 2023

दिन – मंगलवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – आश्विन

पक्ष – कृष्ण

तिथि – तृतीया 21:30 तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र – रोहिणी 03:58 (1 नवम्बर) तक त्तपश्चात मृगशिरा
योग – वरीयान 15:33 तक तत्पश्चात परिघ

राहुकाल – 07:30 – 09:00 बजे तक

सूर्योदय – 06:32
सूर्यास्त – 17:37
दिशाशूल – उत्तर दिशा में

सर्वार्थ सिद्धि योग – 04:01(31अक्टूबर) से 06:32 (31अक्टूबर) तक

व्रत पर्व – करवा चौथ व्रत 01 नवम्बर 2023
अहोई अष्टमी 05 नवम्बर 2023
धन तेरस 10 नवम्बर 2023
छोटी दीवाली 11 नवम्बर 2023
बड़ी दीवाली 12 नवम्बर 2023

सोमवती अमावस्या 13 नवम्बर 2023

अन्नकुट 14 नवम्बर 2023
भाई दूज 15 नवम्बर 2023
गोपाष्टमी 20 नवम्बर 2023
आंवला नवमी 21 नवम्बर 2023
देवउठनी एकादशी 23 नवम्बर 2023
व्रत की पूर्णिमा 26 नवम्बर 2023
स्नान दान की पूर्णिमा 27 नवम्बर 2023

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💥 विशेष:- तृतिया को परवल खाने से शत्रुओं की वृद्धि होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

👉अटला तद्दे मंगलवार, अक्टूबर 31, 2023 को
अटला तद्दे के दिन चन्द्रोदय – 07:23 पी एम
तृतीया तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 30, 2023 को 22:22 बजे
तृतीया तिथि समाप्त – अक्टूबर 31, 2023 को 21:30 बजे

इस दिन, आंध्रा प्रदेश की सुहागिने अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत करतीं हैं, ठीक वैसे ही जैसे उत्तर भारत में करवा चौथ का व्रत होता है।

👉🏻जहाँ शराब-कबाब का सेवन, दुर्व्यसन, कलह होता है वहाँ की लक्ष्मी ‘वित्त’ बनकर सताती है, दुःख और चिंता उत्पन्न करती है। जहाँ लक्ष्मी का धर्मयुक्त उपयोग होता है वहाँ वह महालक्ष्मी होकर नारायण के सुख से सराबोर करती हैं।

👉ब्रह्माजी ने नारदजी को कहा : ‘कार्तिक मास में चावल, दालें, गाजर, बैंगन, लौकी और बासी अन्न नहीं खाना चाहिए। जिन फलों में बहुत सारे बीज हों उनका भी त्याग करना चाहिए और संसार – व्यवहार न करें।’

👉प्रात: स्नान, दान, जप, व्रत, मौन, देव – दर्शन, गुरु – दर्शन, पूजन का अमिट पुण्य होता है। सवेरे तुलसी का दर्शन भी समस्त पापनाशक है। भूमि पर शयन, ब्रह्मचर्य का पालन, दीपदान, तुलसीबन अथवा तुलसी के पौधे लगाना हितकारी है।

👉भगवदगीता का पाठ करना तथा उसके अर्थ में अपने मन को लगाना चाहिए।

ब्रह्माजी नारदजी को कहते हैं कि ‘ऐसे व्यक्ति के पुण्यों का वर्णन महिनों तक भी नहीं किया जा सकता।’

👉श्रीविष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना भी विशेष लाभदायी है। ‘ॐ नमो नारायणाय ‘। इस महामंत्र का जो जितना अधिक जप करें, उसका उतना अधिक मंगल होता है। कम – से – कम १०८ बार तो जप करना ही चाहिए।

पुरुषार्थ से लक्ष्मी

👉प्रात: उठकर करदर्शन करें । ‘पुरुषार्थ से लक्ष्मी, यश, सफलता तो मिलती है पर परम पुरुषार्थ मेरे नारायण की प्राप्ति में सहायक हो’ – इस भावना से हाथ देखें तो कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी होता है।

👉जो कार्तिक मास में सूर्योदय के बाद स्नान करता है वह अपने पुण्य क्षय करता है और जो सूर्योदय के पहले स्नान करता है वह अपने रोग और पापों को नष्ट करनेवाला हो जाता है। पूरे कार्तिक मास के स्नान से पापशमन होता है तथा प्रभुप्रीति और सुख – दुःख व अनुकूलता – प्रतिकूलता में सम रहने के सदगुण विकसित होते हैं।

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👉कार्तिक मास में सूर्योदय से पहले स्नान करने से पुण्यदायी ऊर्जा बनती है, पापनाशिनी मति आती है।

👉हमारे शास्त्रों में कार्तिक मास में दीप दान का बहुत पूण्य बताया गया है।

👉कार्तिक मास के सभी दिन अगर कोई प्रात: स्नान नहीं कर पाये तो उसे कार्तिक मास के अंतिम ३ दिन – त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा को ‘ॐकार’ का जप करते हुए सुबह सूर्योदय से तनिक पहले स्नान कर लेने से महिनेभर के कार्तिक मास के स्नान के पुण्यों की प्राप्ति कही गयी है।

👉ज्योतिषीय परामर्श के लिए पूनम गौड को 8826026945 पर व्हाट्सएप्प करें।

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