
वैदिक पंचांग-तृतीय नवरात्र “माँ चंद्रघंटा”
*~ वैदिक पंचांग ~*
पंचांग (तृतीय नवरात्र) ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार कैसे शुभ होगा?
जानिए वैदिक पंचांग से (तृतीय नवरात्र)
दिनांक – 17 अक्टूबर 2023
दिन – मंगलवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – आश्विन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – तृतीया 01:26 (18 अक्टूबर) तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र – विशाखा 20:31 तक त्तपश्चात अनुराधा
योग – प्रीति 09:22 तक तत्पश्चात आयुष्मान
रवि योग – 20:31 – 06:23 (18 अक्टूबर)
दिन की शुरुआत
राहुकाल – 15:00 – 16:30 बजे तक
सूर्योदय – 06:23
सूर्यास्त – 17:50
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
व्रत पर्व – (तृतीय नवरात्र)
चन्द्रघण्टा माँ का स्वरूप, दूध का भोग, प्रिय फल केला
💥 विशेष:- तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
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👉नवरात्रि में व्रत-उपवास
ध्यान, जप और संयम- ब्रह्मचर्य… पति-पत्नी एक-दूसरे से अलग रहें – यह बड़ा स्वास्थ्य-लाभ, बुद्धि-लाभ, पुण्य- लाभ देता है। परंतु इन दिनों में जो सम्भोग करते हैं उनको दुष्फल भी हाथों-हाथ मिलता है । नवरात्रि संयम का संदेश देनेवाली है । यह हमारे ऋषियों की दूरदर्शिता का सुंदर आयोजन है, जिससे हम दीर्घ जीवन जी सकते हैं और दीर्घ सूझबूझ के धनी होकर ऐसे पद पर पहुँच सकते हैं जहाँ इन्द्र का पद भी नन्हा लगे।
👉नवरात्रि के उपवास स्वास्थ्य के लिए वरदान हैं
अन्न से शरीर में पृथ्वी तत्त्व होता है और शरीर कई अनपचे और अनावश्यक तत्त्वों को लेकर बोझा ढो रहा होता है। मौका मिलने पर, ऋतु परिवर्तन पर वे चीजें उभरती हैं और आपको रोग पकड़ता है । अतः इन दिनों में जो उपवास नहीं रखता और खा-खा खा… करता है वह थका-थका, बीमार बीमार रहेगा, उसे बुखार बुखार आदि बहुत होता है।
👉शरीर में ६ महीने तक के जो विजातीय द्रव्य जमा हैं
जो डबलरोटी, बिस्कुट या मावा आदि खाये और उनके छोटे-छोटे कण आँतों में फँसे हैं, जिनके कारण कभी डकारें, कभी पेट में गड़बड़, कभी कमर में गड़बड़, कभी ट्यूमर बनने का मसाला तैयार होता है, वह सारा मसाला उपवास से चट हो जायेगा। तो नवरात्रियों में उपवास का फायदा उठायें।
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👉नवरात्रि के उपवास करें तो पहले अन्न छोड़ दें
(तृतीय नवरात्र) २ दिन तक सब्जियों पर रहें, जिससे जठर पृथ्वी तत्त्व संबंधी रोग स्वाहा कर ले । फिर २ दिन फल पर रहें। सब्जियाँ जल-तत्त्व प्रधान होती हैं और फल अग्नि तत्त्व प्रधान होता है । फिर फल पर भी थोड़ा कम रहकर वायु पर अथवा जल पर रहें तो और अच्छा लेकिन यह मोटे लोगों के लिए है।
पतले-दुबले लोग किशमिश, द्राक्ष आदि थोड़ा खाया करें और इन दिनों में गुनगुना पानी हलका-फुलका (थोड़ी मात्रा में) पियें। ठंडा पानी पियेंगे तो जठराग्नि मंद हो जायेगी।
👉अगर मधुमेह (diabetes), कमजोरी, बुढ़ापा नहीं है, उपवास कर सकते हो तो कर लेना। ९ दिन के नवरात्रि के उपवास नहीं रख सकते तो कम-से-कम सप्तमी, अष्टमी और नवमी का उपवास तो रखनी ही चाहिए।
👉नित्य सुमिरन
मार्कंडेय ऋषि का नित्य सुमिरन करने वाला और संयम-सदाचार का पालन करने वाला व्यक्ति १०० वर्ष जी सकता है – ऐसा शास्त्रों में लिखा है। कोई १ तोला (११.५ ग्राम) गौमूत्र लेकर उसमें देखते हुए सौ बार “मार्कंडेय” नाम का सुमिरन करके उसे पी लें तो बुखार नहीं आता, उसकी बुद्धि तेज हो जाती है और शरीर में स्फूर्ति आती है।
👉धीरे-धीरे सफलता
जो व्यक्ति बार-बार प्रयत्नों के बावजूद सफलता प्राप्त न कर पा रहा हो अथवा सफलता-प्राप्ति के प्रति पूर्णतया निराश हो चुका हो, उसे प्रत्येक सोमवार को पीपल वृक्ष के नीचे सायंकाल के समय एक दीपक जला के उस वृक्ष की ५ परिक्रमा करनी चाहिए। इस प्रयोग को कुछ ही दिनों तक सम्पन्न करनेवाले को उसके कार्यों में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त होने लगती है।
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