वैदिक पंचांग में क्या है खास आपके लिए आज, त्रयाोदशी पर भगवान शिव कैसे होंगे प्रसन्न..
वैदिक पंचांग
जानिए वैदिक ज्योतिषी पूनम गौड से आज कैसा रहेगा आपका दिन?
दिनांक – 10 दिसम्बर 2023
दिन – रविवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमन्त ॠतु
मास – मार्गशीर्ष
पक्ष – कृष्ण
तिथि – द्वादशी 07:15 तक त्तपश्चात त्रयोदशी
नक्षत्र – स्वाति 11:50 तक त्तपश्चात विशाखा
योग – अतिगण्ड 22:35 तक तत्पश्चात सुकर्मा
राहुकाल – 16:30 – 18:00 तक
सूर्योदय – 07:03
सूर्यास्त – 17:25
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दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व – 10 दिसम्बर प्रदोष
11 दिसम्बर मासिक शिवरात्रि
12 दिसम्बर दर्श अमावस्या
💥 विशेष – *द्वादशी को स्त्री सहवास तथा तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है। द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
रविवार विशेष
👉रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
👉रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
👉रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
👉रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।
👉रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए।
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👉स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
👉रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है।
👉रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है।
👉प्रदोष व्रत
👉हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस बार 10 दिसम्बर, रविवार को प्रदोष व्रत है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। प्रदोष पर व्रत व पूजा कैसे करें और इस दिन क्या उपाय करने से आपका भाग्योदय हो सकता है, जानिए…
ऐसे करें व्रत व पूजा
👉प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराएं।
👉इसके बाद बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं।
👉पूरे दिन निराहार (संभव न हो तो एक समय फलाहार) कर सकते हैं) रहें और शाम को दुबारा इसी तरह से शिव परिवार की पूजा करें।
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👉भगवान शिवजी को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं।
👉भगवान शिवजी की आरती करें। भगवान को प्रसाद चढ़ाएं और उसीसे अपना व्रत भी तोड़ें।उस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
👉🏻 ये उपाय करें: सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद तांबे के लोटे से सूर्यदेव को अर्ध्य देें। पानी में आकड़े के फूल जरूर मिलाएं। आंकड़े के फूल भगवान शिवजी को विशेष प्रिय हैं । ये उपाय करने से सूर्यदेव सहित भगवान शिवजी की कृपा भी बनी रहती है और भाग्योदय भी हो सकता है।
रविवार को अगर प्रदोष हो तो उसे भानुप्रदोष कहते हैं। यह आरोग्य प्राप्ति के लिये लाभदायी और परम कल्याणकारी होता है।
स्कंद पुराण मे प्रदोष स्तोत्र वर्णित है। इसका पाठ प्रदोष काल मे कर सकते हैं। प्रदोष काल के शिवपूजन से दरिद्रता दूर होती और आर्थिक उन्नति प्राप्त होती है।
” ये वै प्रदोष समये परमेश्वरस्य
कुर्वंति अनन्य मनसोsन्गि सरोजपूजाम
नित्यं प्रबद्ध धन धान्य कलत्र पुत्र
सौभाग्य संपद अधिकारस्त इहैव लोके “
👉जो लोग प्रदोष काल में अनन्य भक्ति से महादेव के चरण कमलों का पूजन करते हैं उन्हें इस लोक मे धन धान्य कलत्र पुत्र सौभाग्य एवं संपत्ति की प्राप्ति होती है।
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” अत: प्रदोषे शिव एक एव पूज्योsथ नान्ये हरिपद्मजाद्या:
तस्मिन महेशे विधिज्यमाने सर्वे प्रसीदंति सुराधिनाथा: “
अर्थाथ प्रदोष काल मे विष्णु एवं ब्रम्हा का पूजन न करे और केवल एक शिवजी का पूजन करें। प्रदोष काल में महादेव के पूजन से इतर सभी देवता प्रसन्न हो जाते हैं।
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