वैदिक पंचांग और आपका आज…
~ वैदिक पंचांग ~
पंचांग ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार कैसे शुभ होगा? (Pradosh)
जानिए वैदिक पंचांग से तरीके और उपाय। (Pradosh)

सेलीब्रिटी ज्योतिष पूनम गौड़
दिनांक – 27 सितम्बर 2023
दिन - बुधवार विक्रम संवत - 2080 (गुजरात - 2079) शक संवत - 1945 अयन - दक्षिणायन ऋतु - शरद ॠतु मास - भाद्रपद पक्ष - शुक्ल तिथि - त्रयोदशी 22:18 तक तत्पश्चात चतुर्दशी नक्षत्र - धनिष्ठा 07:10 तक तत्पश्चात योग - घृति 07:54 तक तत्पश्चात शूल राहुकाल - 11:30 से 13:00 बजे तक
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सूर्योदय – 06:12
सूर्यास्त – 18:12
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
पंचक – अहोरात्रि
रवि योग – 07:10 से 19:07 तक
व्रत पर्व – प्रदोष व्रत आज
किस दिन क्या ?
(Pradosh) अनन्त चौदस व पूर्णिमा व्रत (28 सितम्बर)
पूर्णिमा व प्रतिपदा का श्राद्ध (29 सितम्बर)
द्वितीया श्राद्ध 30 सितंबर शनिवार
तृतीया श्राद्ध 1 अक्टूबर रविवार
चतुर्थी श्राद्ध 2 अक्टूबर सोमवार
पञ्चमी श्राद्ध 3 अक्टूबर मंगलवार
षष्ठी श्राद्ध 4 अक्टूबर बुधवार
सप्तमी श्रद्धा 5 अक्टूबर गुरुवार
अष्टमी श्रद्धा 6 अक्टूबर शुक्रवार
नवमी श्राद्ध 7 अक्टूबर शनिवार
दशमी श्राद्ध 8 अक्टूबर रविवार
एकादशी श्राद्ध 9 अक्टूबर सोमवार
एकादशी व्रत 10 अक्टूबर मंगलवार
द्वादशी श्रद्धा 11 अक्टूबर बुधवार
त्रयोदशी श्राद्ध 12 अक्टूबर गुरुवार
चतुर्दशी श्राद्ध 13 अक्टूबर शुक्रवार
सर्वपितृ अमावस्या 14 अक्टूबर शनिवार
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ये रखना होगा ध्यान
💥 विशेष:- (Pradosh) त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। व्रत के दिन स्त्री सहवास तथा तिल किसी भी रूप में खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खण्ड 27.29-34)
👉बुधवार को पूर्व व पश्चिम दोनों ही दिशाओं में कई गयी यात्रा उत्तम रहती है। इस दिन तिल खाकर यात्रा करनी चाहिए। इससे दिशा शूल का दोष कम होता है।
👉 प्रदोष काल का अर्थ है सूर्यास्त के समय का एक पवित्र पर्व काल जो भगवान शिव की साधना के लिये अत्यंत अनुकुल होता है।
👉प्रदोष काल और प्रदोष तिथी मे फर्क है।
👉प्रदोष काल रोज सूर्यास्त के बाद डेढ़ घंटे तक होता है।
👉प्रदोष तिथी का अर्थ है हर महिने की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की तेरहवी तिथी यानि त्रयोदशी तिथी। सूर्यास्त के समय जब त्रयोदशी तिथी पड़ जाती है वह प्रदोष दिन माना जायेगा।
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प्रदोष काल भगवान शिव से जुड़ा
👉कभी कभी द्वादशी सूर्यास्त से पहले खत्म होती है और सूर्यास्त के समय त्रयोदशी तिथी होती है तो वही प्रदोष तिथी होती है। इसमे सूर्योदय की त्रयोदशी से ज्यादा सूर्यास्त की त्रयोदशी का महत्त्व है। (Pradosh)
👉प्रदोष का संबंध पुरातन काल से भगवान शिव से जोडा गया है ..
पुराण की मान्यता नुसार देव दानव के समुद्र मंथन मे जो विष उत्पन्न हुवा था वह भगवान महादेव ने इसी प्रदोष काल मे प्राशन किया था। भगवती पार्वती ने अपने सामर्थ्य से उस विष को शिवजी के कंठ तक ही रोक दिया इसलिये भोलेनाथ ” नीलकंठ ” नाम से जाने गये।
👉भगवान शिव जी ने समस्त सृष्टी को इस भयंकर विष के प्रभाव से बचाया इस पवित्र प्रदोष काल मे इसीलिए इसे शिव उपासना के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
👉इसि काल मे भगवान महादेव ने अपना तांडव नृत्य किया था। भगवान महादेव ने विष का प्राशन कर समस्त सृष्टी को उस भयंकर विष के प्रभाव से मुक्त किया।
👉इसीलिए प्रदोष के दिन सूर्यास्त के समय प्रदोष काल मे भगवान शिव की उपासना कर उन्हे प्रसन्न किया जा सकता है .. यह अत्यंत पुण्यदायी पर्व काल होता है।
👉प्रदोष यानी सभी दोषोसे मुक्ती प्रदान करनेवाला पुण्यकाल। मनुष्य के जीवन मे रोग , कर्जे , शत्रू , ग्रहबाधा , संकट , पूर्वजन्म के पाप आदि यह सब एक प्रकारका विष ही है और प्रदोष काल के शिव पूजन से भगवान भोलेनाथ की कृपा से हम इस विष के प्रभाव से मुक्त हो सकते हैं।
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इसलिए कहा गया है कि
” त्रयोदशी व्रत करे जो हमेशा
तन नाहि राखे रहे कलेशा “
👉 (Pradosh) प्रदोष के दिन आप अगर संभव हो तो दिन भर उपवास रखे और शाम को प्रदोष काल मे शिवपूजन , रुद्राभिषेक , शिवस्तोत्रों का पाठ , शिव मंत्र का जाप , 108 बेल के पत्तो से बिल्वार्चन , ध्यान आदि प्रकार से साधना कर सकते है ..
👉बुधवार को अगर प्रदोष हो तो उसे बुध प्रदोष या सौम्य प्रदोष कहते है .. संतान सुख प्राप्ति और विद्याप्राप्ती के लिये लाभदायी ..
👉 पूनम गौड़ से ज्योतिषीय सलाह लेने के लिए 8826026945 पर व्हाट्सएप्प करें।