वैदिक पंचांग और आपका… चतुर्दशी आज

*~ वैदिक पंचांग ~*

पंचांग (चतुर्दशी) ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार कैसे शुभ होगा?

जानिए वैदिक पंचांग से पितृपक्ष के तरीके और उपाय (चतुर्दशी)

दिनांक – 13 अक्टूबर 2023
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – आश्विन

पक्ष – कृष्ण
तिथि – चतुर्दशी 21:50 तक तत्पश्चात अमावस्या
नक्षत्र – उत्तरफलगुनी 14:11 तक त्तपश्चात हस्त
योग – ब्रह्म 09:30 तक तत्पश्चात

राहुकाल – 10:30 – 12:00 बजे तक

दिन की शुरुआत

सूर्योदय – 06:20
सूर्यास्त – 17:54
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में

व्रत पर्व – चतुर्दशी श्राद्ध 13 अक्टूबर शुक्रवार, अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों का श्राद्ध
सर्वपितृ अमावस्या 14 अक्टूबर शनिवार, सर्व पितृ अमावस्या
शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर रविवार से

💥 विशेष:- चतुर्दशी व श्राद्ध के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

चतुर्दशी तिथि पर न करें श्राद्ध

👉13 अक्टूबर 2023 शुक्रवार को आग – दुर्घटना – अस्त्र – शस्त्र – अपमृत्यु से मृतक का श्राद्ध।

👉हिंदू धर्म के अनुसार, श्राद्ध पक्ष में परिजनों की मृत्यु तिथि के अनुसार ही श्राद्ध करने का विधान है। महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया है कि इस तिथि पर केवल उन परिजनों का ही श्राद्ध करना चाहिए, जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो।

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👉इस तिथि पर अकाल मृत्यु (हत्या, दुर्घटना, आत्महत्या आदि) से मरे पितरों का श्राद्ध करने का ही महत्व है। इस तिथि पर स्वाभाविक रूप से मृत परिजनों का श्राद्ध करने से श्राद्ध करने वाले को अनेक प्रकार की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में उन परिजनों का श्राद्ध सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन करना श्रेष्ठ रहता है।

👉महाभारत के अनुसार पर्व अनुसार पितरों की मृत्यु स्वाभाविक रुप से हुई हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर करने से श्राद्धकर्ता विवादों में घिर जाता हैं। उन्हें शीघ्र ही लड़ाई में जाना पड़ता है। जवानी में उनके घर के सदस्यों की मृत्यु हो सकती है।

👉चतुर्दशी श्राद्ध के संबंध में ऐसा वर्णन कूर्मपुराण में भी मिलता है कि चतुर्दशी को श्राद्ध करने से अयोग्य संतान होती है।

👉याज्ञवल्क्यस्मृति के अनुसार, भी चतुर्दशी तिथि को श्राद्ध नहीं करना चाहिए। इस दिन श्राद्ध करने वाला विवादों में फस सकता है।

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👉चतुर्दशी तिथि पर अकाल (हत्या), आत्महत्या (दुर्घटना), रुप से मृत परिजनों का श्राद्ध करने का विधान है।

👉जिन पितरों की अकाल मृत्यु हुई हो व उनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करने से वे प्रसन्न होते हैं।

पूनम गौड़ से ज्योतिषीय सलाह लेने के लिए 8826026945 पर व्हाट्सएप्प करें

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