वैदिक पंचांग और आपका आज… अनन्त चतुर्दशी
~ वैदिक पंचांग ~
पंचांग ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार कैसे शुभ होगा?
जानिए वैदिक पंचांग से तरीके और उपाय। (Anant Chaturdashi)

सेलीब्रिटी ज्योतिष पूनम गौड़
दिनांक – 28 सितम्बर 2023
दिन – गुरुवार (Anant Chaturdashi)
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – भाद्रपद
पक्ष – शुक्ल
तिथि – चतुर्दशी 18:48 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
नक्षत्र – पूर्वभाद्रपद 07:10 तक तत्पश्चात उत्तराभाद्रपदा
योग – गण्ड 23:53 तक तत्पश्चात वृद्धि
राहुकाल – 13:00 से 14:30 बजे तक
सूर्योदय – 06:12
सूर्यास्त – 17:42
Read also:रोडवेज कर्मचारी आयोग की बैठक!
दिशाशूल – दक्षिण दिशा में
पंचक – अहोरात्रि
रवि योग – 06:12 से 01:48 (29 सितम्बर) तक
व्रत पर्व – अनन्त चौदस व पूर्णिमा व्रत (28 सितम्बर)
अनन्त चतुर्दशी
पूजा मुहूर्त – 06:12 से 18:49 तक
गणेश विसर्जन
गणेश विसर्जन के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (शुभ) – 06:12 से 07:42 तक
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 10:42 से 15:11 तक
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 16:41 से 18:11 तक
सायाह्न मुहूर्त (अमृत, चर) – 18:11 से 21:12 तक
रात्रि मुहूर्त (लाभ) – 00:12 से 01:42( सितम्बर 29) तक
पूर्णिमा व प्रतिपदा का श्राद्ध (29 सितम्बर)
द्वितीया श्राद्ध 30 सितंबर शनिवार
तृतीया श्राद्ध 1 अक्टूबर रविवार
चतुर्थी श्राद्ध 2 अक्टूबर सोमवार
पञ्चमी श्राद्ध 3 अक्टूबर मंगलवार
षष्ठी श्राद्ध 4 अक्टूबर बुधवार
सप्तमी श्रद्धा 5 अक्टूबर गुरुवार
अष्टमी श्रद्धा 6 अक्टूबर शुक्रवार
नवमी श्राद्ध 7 अक्टूबर शनिवार
दशमी श्राद्ध 8 अक्टूबर रविवार
एकादशी श्राद्ध 9 अक्टूबर सोमवार
एकादशी व्रत 10 अक्टूबर मंगलवार
द्वादशी श्रद्धा 11 अक्टूबर बुधवार
त्रयोदशी श्राद्ध 12 अक्टूबर गुरुवार
चतुर्दशी श्राद्ध 13 अक्टूबर शुक्रवार
सर्वपितृ अमावस्या 14 अक्टूबर शनिवार
Read also:राजस्थान की संस्कृति-परंपरा से सैलानी होंगे रूबरू, विश्व पर्यटन दिवस आज
💥 विशेष
(Chaturdashi) चतुर्थी को स्त्री सहवास तथा तिल किसी भी रूप में खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खण्ड 27.29-34)
👉गुरुवार को पूर्व, पश्चिम व उत्तर दिशा में की गयी यात्रा उत्तम रहती है। इस दिन दही खाकर यात्रा करनी चाहिए। इससे दिशा शूल का दोष कम होता है।
👉 अनन्त चतुर्दशी भगवान विष्णु के अनन्त रूप की पूजा हेतु सबसे महत्वपूर्ण दिन माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु के भक्त पुरे दिन का उपवास रखते हैं और पूजा के दौरान पवित्र धागा बाँधते हैं। कहा जाता है कि जब पाण्डव द्यूत क्रीड़ा में अपना सारा राज-पाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनन्तचतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी। धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान से यह व्रत किया तथा अनन्तसूत्रधारण किया। अनन्तचतुर्दशी-व्रत के प्रभाव से पाण्डव सब संकटों से मुक्त हो गए।
Read also:क्या पूजा स्थान में पितरों के चित्र रखने चाहियें?
👉इस दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ अनन्त गुना फलदायी होता है।
👉इस दिन भगवान के अनन्त स्वरूप की पूजा करने के उपरांत 14 गांठ वाला पीला अनन्त धागा बांधा जाता है।
पूजा विधि
⭐प्रात:स्नान करके व्रत का संकल्प करें। घर के पूजागृह की स्वच्छ भूमि पर कलश स्थापित करें। कलश पर शेषनाग की शैय्यापर लेटे भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को रखें। उनके समक्ष चौदह ग्रंथियों (गांठों) से युक्त अनन्तसूत्र (डोरा) रखें। इसके बाद ‘ॐ अनन्तायनम:’ मंत्र से भगवान विष्णु तथा अनंतसूत्रकी षोडशोपचार-विधि से पूजा करें। पूजनोपरांत अनन्तसूत्र को मंत्र पढकर पुरुष अपने दाहिने हाथ और स्त्री बाएं हाथ में बांध लें:-
Read also:मोती डूंगरी में कहां से आई गणेश प्रतिमा…?
अनंन्तसागरमहासमुद्रेमग्नान्समभ्युद्धरवासुदेव।
अनंतरूपेविनियोजितात्माह्यनन्तरूपायनमोनमस्ते॥
(Chaturdashi) अनंतसूत्रबांध लेने के पश्चात किसी ब्राह्मण को नैवेद्य (भोग) में निवेदित पकवान देकर स्वयं सपरिवार प्रसाद ग्रहण करें। पूजा के बाद व्रत-कथा को पढें या सुनें। कथा का सार-संक्षेप यह है – सत्ययुग में सुमन्तुनाम के एक मुनि थे। उनकी पुत्री शीला अपने नाम के अनुरूप अत्यंत सुशील थी। सुमन्तु मुनि ने उस कन्या का विवाह कौण्डिन्यमुनि से किया। कौण्डिन्यमुनि अपनी पत्नी शीला को लेकर जब ससुराल से घर वापस लौट रहे थे, तब रास्ते में नदी के किनारे कुछ स्त्रियां अनन्त भगवान की पूजा करते दिखाई पडीं। शीला ने अनन्त-व्रत का माहात्म्य जानकर उन स्त्रियों के साथ अनंत भगवान का पूजन करके अनन्तसूत्रबांध लिया। इसके फलस्वरूप थोडे ही दिनों में उसका घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया।
👉आज गणपति विसर्जन भी है और इस दिन गणेश जी की विशेष पूजा करने से आपके रुके काम बनेंगे।
पूनम गौड़ से ज्योतिषीय सलाह लेने के लिए 8826026945 पर व्हाट्सएप्प करें।