वैदिक पंचांग और आपका आज, ये रहेगा आपके लिए खास…
वैदिक पंचांग
आज वैदिक पंचांग में क्या है आपके लिए ?
जानिए ज्योतिषी पूनम गौड से आज कैसा रहेगा आपका दिन ?
दिनांक – 29 नवम्बर 2023
दिन – बुधवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – मार्गशीर्ष
पक्ष – कृष्ण
तिथि – द्वितीय 13:56 तक तत्पश्चात तृतीय
नक्षत्र – मृगशिरा 13:59 तक तत्पश्चात आर्द्रा
योग – साध्य 20:55 तक तत्पश्चात शुभ
सर्वार्थ सिद्धिबयोग – 06:54 – 13:59
राहुकाल – 12:00 – 13:30 तक
सूर्योदय – 06:54
सूर्यास्त – 17:24
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दिशाशूल – उत्तर दिशा में
व्रत पर्व –
💥 विशेष:- द्वितीय को बृहती (बैंगन) या कटहल (कटेहरी) खाना निषेद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
मार्गशीर्ष मास – ( 28 नवम्बर से 26 दिसम्बर 2023 )
मार्गशीर्ष मास का 1माहात्म्य
👉श्रीमद्भगवद्गीता में अपनी विभूतियों का वर्णन करते हुए भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि “मासानां मार्गशीर्षो अहम्” सभी महीनों में मार्गशीर्ष मेरा ही स्वरूप है।
👉 मार्गशीर्ष मास में कपूर का दीपक जला के भगवान को अर्पण करनेवाला अश्वमेध यज्ञ का फल पाता है और कुल का उद्धार कर देता है।
👉 मार्गशीर्ष मास में विष्णुसहस्त्र नाम, श्रीमद्भागवत गीता और गजेन्द्रमोक्ष पाठ की खूब महिमा है । इन तीनों का पाठ अवश्य करें।
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👉 इस मास में अपने गुरु को, इष्ट को ” ॐ दामोदराय नमः ” कहते हुए प्रणाम करने की बड़ी भारी महिमा है।
👉 जो उपासक मार्गशीर्ष के महीने में शंख में तीर्थ का जल लेकर उसकी एक बून्द से भी मुझे नहलाता है, वह अपने समूचे कुल को तार देता है।
👉 जो मार्गशीर्ष मास में भक्ति पूर्वक शंख ध्वनि कर के मुझे स्नान कराता है, उसके पितर स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होते हैं।
👉 जो शंख में जल लेकर “ॐ नमो नारायणाय” का उच्चारण करते हुए मुझे नहलाता है, वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है।
👉 जो तुलसी काष्ठ का धिसा हुआ चन्दन मुझे अर्पण करता है, उसके सौ जन्मों के समस्त पातकों को मैं भस्म कर देता हूँ।
👉 जो कलियुग के मार्गशीर्ष मास में मुझे तुलसी काष्ठ का चन्दन देते है, वे निश्चय ही कृतार्थ हो जाते हैँ। जो शंख में चन्दन रखकर मार्गशीर्ष मास में मेरे अंगो में लगाता है, उसके ऊपर मैं विशेष प्रेम करता हूँ।
कैसे मिलेगा मनवांछित फल
👉 जो मार्गशीर्ष में तुलसीदल ओर आँवलों से भक्ति पूर्वक मेरी सेवा करता है, वह मनोवांछित फल को पाता है।
👉 जो शंख में फूल, जल और अक्षत रखकर मुझे अर्घ्य देता है उसे अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।
👉 जो वैष्णव मेरे मस्तक पर शंख का जल घुमाकर उसे अपने घर में छिड़कता है उसके घर में कुछ भी अशुभ नहीं होता।
👉 मृदंग और शंख की ध्वनि तथा प्रणव (ॐकार) के उच्चारण के साथ किया हुआ मेरा पूजन मनुष्यों को सदैव मोक्ष प्रदान करनेवाला है। (स्कन्द पुराण, वैष्णव खंड) शंख के कुछ स्वास्थ्य – प्रयोग
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👉शंख के स्वास्थ्य-हितकारी “कोई बच्चा तोतला अथवा गूँगा है तो शंख में पानी रख दो। सुबह का रखा हुआ पानी शाम को, शाम का रखा हुआ पानी सुबह को ५० – ५० मि.ली. उस बच्चे को पिलाओ और उसके गले में छोटा-सा शंख बाँध दो । १ – २ चुटकी ( ५० से १०० मि.ग्रा. ) शंख भस्म शहद के साथ सुबह-शाम चटाओ तो वह बच्चा बोलने लग जायेगा। शंख भस्म अन्य कई रोगों में भी एक प्रभावकारी औषधि है।
👉गर्भिणी स्त्री शंख का पानी पिये तो उसके कुटुम्ब में २-४ पीढ़ियों तक तोतला – गूँगा बच्चा नहीं पैदा होगा। यह हमारे भारत की खोज है, पाश्चत्य विज्ञानियों की खोज नहीं है। गूँगे और तोतले व्यक्ति को शंख फायदा करता है और शंख-ध्वनि वातावरण को शुद्ध करती है इतना ही नहीं, दूसरे भी बहुत सारे फायदे बताये गये हैं। जहाँ लोगों का समूह इकट्ठा होता है वहाँ शंखनाद पवित्र, सात्विक माना जाता है।
ज्योतिषीय परामर्श के लिए पूनम गौड को 8826026945 पर व्हाट्सएप्प करें