
खत्म हुई वसुंधरा राजे की पारी, क्या है गहलोत की तैयारी…!
मुख्यमंत्री के एक बयान ने फिर बढ़ाया भाजपा का सियासी पारा
क्या हैं मुख्यमंत्री गहलोत के वसुंधरा पर दिए बयान के मायने
जयपुर। Rajasthan politics: राजस्थान में अगले दो-सवा दो महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। अशोक गहलोत, वसुंधरा राजे और सचिन पायलट को लेकर इन दिनों प्रदेश में बयानबाजी का दौर तेजी से चल रहा है। इसमें भी सोने पे सुहागा तब हो जाता है जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत किसी के लिए बड़े बयान दे दें। वैसे तो चुनावों के मद्देनजर भाजपा-कांग्रेस एक दूसरे के नेताओं पर बयानबाजी और छींटाकशी का जबरदस्त दौर जारी रहता है।
लेकिन ये महत्वपूर्ण तब हो जाता है जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट और वसुंधरा राजे कोई बयानबाजी कर जाएं। बस ऐसा ही एक बयान शनिवार को भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने जादुई तरकश से निकाल का वसुंधरा राजे के चुनावी करियर को लेकर दे डाला।
अब गहलोत बयान दें वो भी वसुंधरा पर और भाजपा का सियासी पारा नहीं बढ़े ऐसा तो नहीं हो सकता। हालांकि गहलोत दो दिन पूर्व अपनी ही पार्टी के पूर्व डिप्टी सीएम और युवा नेता सचिन पायलट को लेकर भी बयान दे चुके हैं।
इंटरव्यू में क्या बोले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
सीएम गहलोत ने एक टीवी चैनल को इंटरव्यू में कहा कि वसुंधरा राजे तो राजस्थान में खुद भाजपा मानी जाती थीं लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें साइड लाइन कर दिया है। लेकिन हम चाहते हैं कि आपके विजन का राजस्थान को फायदा मिले। क्योंकि ये विजन 2030 मेरे अकेले का नहीं पूरे प्रदेशवासियों का है। ऐसे में भाजपा का आपको साइडलाइन करना क्या ठीक है खैर ये आपका अंदरूनी मामला है। गहलोत की सिर्फ इस बात के राजनीतिक गलियारों में कई मायने निकल रहे हैं।
गहलोत ने क्या कहा वसुंधरा के लिए
वसुंधरा राजे के लिए गहलोत के इस बयान पर राजनीतिक विश्लेषकों की राय मानें तो गहलोत ने एक तीर से दो निशाने लगाए हैं। पहला भाजपा और दूसरा सचिन पायलट के लिए राजस्थान में तैयार हो रही पृष्ठभूमि पर। गहलोत के बयानों को इस तरह से समझने की कोशिश करते हैं कि गहलोत ने कहा कि ये मेरे अकेले का विजन नहीं है पूरे प्रदेशवासियों का है और प्रदेश को आपके विजन का फायदा मिले ऐसा हम चाहते हैं।
यानि अगर गहलोत खुद इस बार मुख्यमंत्री नहीं बन पाते हैं तो वसुंधरा राजे के लिए उन्होंने एक इशारा कर दिया है कि वो राजस्थान में अपनी जगह तैयार कर लें, क्योंकि अगर मैं विजन पूरा नहीं कर पाया तो आपके हवाले राजस्थान…!
सचिन पायलट पर दो दिन पहले दिया था ये बयान
गहलोत ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए अपने इंटरव्यू में कहा था कि मैं भविष्य मौका मिला तो कांग्रेस अध्यक्ष बनना चाहता हूं। कौन इस पर को नहीं चाहेगा मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों से कई सौ गुना ज्यादा पावरफुल है कांग्रेस अध्यक्ष का पद। साथ ही सीएम गहलोत ने सचिन पायलट के लिए दो लाइनें बोलकर फिर एक नई सुगबुगाहट शुरु कर दी है। दरअसल गहलोत ने कहा था कि सचिन पायलट को केंद्रीय मंत्री बनाने के लिए मैंने काफी सहयोग किया था और मैंने ही उनका नाम कांग्रेस के आलाकमान को सुझाया था।
प्रदेश में अब गहलोत के अध्यक्ष बनने की इच्छा जाहिर करने वाले बयान से सियासी गलियारों में चर्चा है कि कहीं गहलोत खुद कांग्रेस अध्यक्ष और सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने के संकेत तो नहीं दे रहे हैं। हालांकि इस बात के कई और मायने भी निकलते हैं और गहलोत खुद कहते हैं कि राजनीति में वो बिना सोचे समझे कोई बयान नहीं देते तो क्या पहले सचिन पायलट और अब वसुंधरा राजे को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयानों का सीधे शब्दों में ये ही तो अर्थ नहीं निकल रहा।
गहलोत ने वसुंधरा राजे पर साधा निशाना, पायलट पर बोले सब शांति है
गहलोत ने कहा 2003 में जब वसुंधरा मुख्यमंत्री बनीं तो उनके आसपास ऐसे लोग हो गए जिन्होंने राजस्थान की परंपरा को खत्म कर दिया। जब मैं सीएम बना तो 156सीटें थीं भाजपा के पास केवल 32 लेकिन मैंने पुरानी परंपरा को निभाया और पूर्व सीएम भैरासिंह शेखावत से मिला और कई बार मिला लेकिन वसुंधरा के समय ये सब खत्म हो गया।
अब हमारे बातचीत वाले रिश्ते भी नहीं हैं। हालांकि कुछ समय बाद बदलाव हुआ और अब हम लोग फिर से बात करने लगे हैं। इधर सचिन पायलट के साथ सुधरते/बदलते रिश्तों पर गहलोत बोले अब सब तरफ शांति ही शांति है। पार्टी प्रदेश में एकजुटता के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी और फिर से एक बार बहुमत की सरकार बनाकर इतिहास बनाएंगे।
भाजपा को फूंक फूंक कर रखना होगा कदम
बहरहाल प्रदेश में चुनावों में किसके नाम का टॉस निकलता है ये तो समय ही बताएगा लेकिन गहलोत-पायलट की साझेदारी और वसुंधरा राजे की भाजपा से दूरी कहीं भाजपा के लिए महंगी न पड़ जाए। क्योंकि कहते हैं कि एक अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता ऐसे ही भाजपा राजस्थान में क्या मोदी के नाम पर सरकार बना पाएगी वहीं पार्टी में वसुंधरा की सरकार नहीं बनी तो क्या कोई और मुख्यमंत्री बन पाएगा ,ये भविष्य के गर्त में छिपा है।