12वीं बोर्ड की ये छात्राओं की कहानी उनकी ही जुबानी, जानिए कैसे पहुंचीं टॉप पर….?

12वीं बोर्ड की ये छात्राओं की कहानी उनकी ही जुबानी, जानिए कैसे पहुंचीं टॉप पर….?

राजस्थान बोर्ड में टॉप पर पहुंचीं छात्राओं के संघर्ष की कहानी

किसी के पिता करते हैं खेती तो, किसी के पिता लगाते फल का ठेला, घरों में काम कर मां ने पढ़ाया बेटी को

बच्चों के भविष्य के लिए माता पिता ने भी किया बड़ा संघर्ष

परिवार और बेटी की मेहनत लाई रंग 99फीसदी अंक लाकर परिवार का नाम किया रोशन

 

जयपुर। (RBSE) राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की छात्राओं ने राजस्थान में परिणामों में बाजी मारते हुए छात्रों को काफी पीछे छोड़ दिया है। सोमवार को आए 12 राजस्थान बोर्ड के परिणाम में तीनों संकायों में बेटियों का प्रदर्शन काबिले तारीफ रहा है। इस परिणाम में दूसरी खबर को कुछ ऐसे स्टूडेंट्स भी मिले जिनकी कहानी बेहद संघर्ष भरी रही है। लेकिन विषम परिस्थितियों में भी उन्होंने मेहनत जारी रखी और 95फीसदी से अधिक अंक हासिल कर अपने माता-पिता के साथ साथ परिवार का नाम भी रोशन किया है। 

 

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खुद से पढ़कर हासिल किए 99फीसदी अंक 

श्रीमाधोपुर की छात्रा खुशबू ने बोर्ड परीक्षा की तैयारी खुद से पढ़ाई कर की और परिणाम 99% अंक हासिल किए। खुशबू ने बताया कि वे श्रीमाधाेपुर के श्री शास्त्री विद्या मंदिर सी.सै. स्कूल की छात्रा हैं और उन्होंने 12 वीं में साइंस सब्जेक्ट चुना था। पिता खेती किसानी का काम करते हैं। चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी खुशबू पर काफी जिम्मेदारियां हैं। 

 

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खुशबू ने बताया कि 10वीं में उसके 94.83% बनी थी। तभी से उसके पिता चाहते थे कि वो खूब पढ़े और इससे भी ज्यादा अंकों से आगे बढ़ती रहे। खुशबू इसके लिए हर रोज आठ से नौ घंटे पढ़ाई करती थी। खुशबू ने यह उपलब्धि खुद से पढ़कर हासिल की है। 12वीं बोर्ड में खुशबू के पास फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायोलॉजी विषय थे जिसमें 100-100 प्रतिशत और हिन्दी में 99 प्रतिशत अंक लेकर आई है।

 

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धौलपुर की शिवानी भी लाई 99% अंक

केशव विद्या मंदिर, धौलपुर की छात्रा शिवानी त्यागी साइंस में 99फीसदी अंक लाई है। शिवानी ने बताया कि कैसे उनके पिता खेती के साथ साथ ट्रक भी चलाया करते हैं।

इधर दूसरी खबर से बात करते हुए शिवानी के पिता ने कहा कि परीक्षा के दिनों में कई बार ऐसा होता कि सुबह खेती के बाद शाम को ट्रक भी चलाना पड़ता था। शिवानी की पढ़ाई में उसके शिक्षकों ने काफी मदद की। 

 

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बूंदी की उमा की मां लोगों के घरों में करती है काम, बेटी को 12वीं में मिले 96.2% 

उमा गुर्जर बूंदी के कापरेन के निकट एक छोटे से गांव की रहने वाली है। उमा ने बताया कि कैसे उसकी मां ने घर-घर जाकर काम किया और उसे पढ़ाया है। पिता का साया 7 साल पहले ही उठ गया था। उसके पिता उसे 15 साल पहले कोटा लेकर आए जहां वे फलों का ठेला लगाया करते थे लेकिन हार्ट अटैक से पिता की मौत के बाद पूरी जिम्मेदारी मां फाेरती बाई पर आ गई।

 

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हमारी मां ने तीनों भाई-बहन के लिए घरों में काम करना शुरू किया। पिता की मौत के बाद मां घरों और हॉस्टल में साफ-सफाई का काम किया। मां सुबह 5 बजे निकल जाती थी, मैं सुबह मां के साथ उठकर घर का सारा काम करती थी। उमा ने बताया कि स्कूल के बाद हर दिन वो 5 से 6 घंटे तक पढ़ाई को समय देती थी।

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