पंचकल्याणक महोत्सव में समिति की अनूठी एवं अनुकरणीय पहल बनी चर्चा का विषय!

पंचकल्याणक महोत्सव में समिति की अनूठी एवं अनुकरणीय पहल बनी चर्चा का विषय!


पंचकल्याणक महोत्सव : हुआ तीर्थंकर का जन्म, निकाली नगर यात्रा, हुआ पंचामृत कल्षाभिषेक, आज (सोमवार) को बनेंगे पाषाण से भगवान

सोमवार को होगा केवल ज्ञान और मोक्ष कल्याणक की क्रियाएं होगी

नवीन वेदी पर विराजमान होगे तीर्थंकर शांतिनाथ

जयपुर(Dusrikhabar.com)। मानसरोवर के न्यू सांगानेर रोड़ स्थित मान्यावास के इंजीनियर्स कॉलोनी के राधा रानी गार्डन में चल रहे तीन दिवसीय पंचकल्याणक महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को प्रातः 6.30 बजे आचार्य शशांक सागर महाराज ससंघ सान्निध्य और बाल ब्रह्मचारी पंडित धर्मचंद शास्त्री और ब्रह्मचारी जिनेश भैया का निर्देशन में जन्मकल्याणक की क्रियाएं विधि मंत्रोचारण और बीज मंत्रों के साथ प्रारंभ हुई, जिसमें सर्व प्रथम मारुदेवी (तारादेवी छाबड़ा) द्वारा भगवान जन्म हुआ, जिसके बाद नगर जयकारों की दिव्यगुज से गुंजायमान हो उठा और सौधर्म इंद्र दिवाकर शिल्पी जैन चित्तौड़ा तीर्थंकर बालक को अपने मस्तक पर बिठा बैंड-बाजों और जयकारों के साथ नाचते – गाते हुए तीर्थंकर बालक को पांडुकलशिला की चलने लगे और नगर में दिव्यगूंज की लहर दौड़ पड़ी।

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महोत्सव में जन्म और तप कल्याणक की क्रियाएं संपन्न हुई

सभी श्रावक और श्राविकाएं सौधर्म के साथ नगर यात्रा में साथ चलने लगे और देखते ही देखते सारे इंद्रो द्वारा पुष्प वर्षा करते हुए चलने लगे, धनपति कुबेर इंद्र अशोक सीमा जैन द्वारा पूरे नगर में रत्नवृष्टि की गई। पांडुकशिला पर तीर्थंकर बालक को विराजमान किया गया और बीज मंत्रों और अष्ट द्रव्यों के साथ जन्म स्थापना कर जल, चन्दन, केसर, गुलाब, नारियल, अनार, संतरा, दूध, दही, घी इत्यादि 21 रसों से सभी प्रमुख इंद्र इंद्राणियों द्वारा कल्षाभिषेक किया गया, इस अवसर पर लगभग 251 से अधिक श्रद्धालुओं ने जन्माभिषेक कलश में भाग लिया। महोत्सव समिति प्रचार संयोजक अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि श्रीजी के जन्माभिषेक कलश के पश्चात् पालकी में तीर्थंकर बालक को विराजमान किया गया और जयकारों के साथ सैकड़ों महिलाओं और पुरुषों ने तीर्थंकर बालक को पालकी में झूला झुलाया, इसके बाद 100 से अधिक बच्चों के साथ बालक्रीड़ा का आयोजन चला, जिसमें तीर्थंकर बालक की विभिन्न क्रीड़ाओं का आयोजन संपन्न करवाया गया। दोपहर 2 बजे से तीर्थंकर की युवा अवस्था और वैराग्य भाव की झलकियों का प्रदर्शन के साथ तप कल्याणक की क्रियाएं संपन्न हुई। इस दौरान तीर्थंकर के वैराग्य से लेकर तप कल्याणक की कठोर तपस्याएं दर्शाई गई। जिसके देखने के साक्षी बनने का सौभाग्य इंजीनियर्स कॉलोनी और कार्यक्रम में पधारे हजारों श्रद्धालुओं ने प्राप्त किया। शाम 7 बजे से श्रीजी की आरती और आचार्य श्री संघ की मंगल आरती की गई और शास्त्र पाठ का वाचन किया गया जिसके उपरांत राज दरबार की रचना होगी जिसमें विभिन्न संस्कृति कार्यक्रम सम्पन्न हुए।

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हुआ तीर्थंकर का जन्म, निकाली नगर यात्रा, हुआ पंचामृत कल्षाभिषेक, आज (सोमवार) को बनेंगे पाषाण से भगवान

महोत्सव संयोजक सपन छाबड़ा ने बताया कि जन्म और तप के अवसर पर पंडित धर्मचंद शास्त्री व ब्रह्मचारी जिनेश भैया के निर्देशन दिनभर अष्ट द्रव्यों से पूजन का भी दौर लगातार चलता रहा और जन्म, तप कल्याणक की आंतरिक क्रियाएं पूरी रात भर चलती रही इस दौरान रविवार को 1008 से अधिक अर्घ्य और नारियल चढ़ाए गए। वहीं सोमवार को पंचकल्याणक महोत्सव का अंतिम दिन रहेगा जो तीर्थंकर के केवल ज्ञान और मोक्ष कल्याणक की क्रियाओं और भव्य नगर शोभायात्रा के साथ एवं नवीन वेदी पर श्रीजी को विराजमान कर कल्षाभिषेक के साथ सम्पन्न होगा। सोमवार को प्रातः 5 बजे के लगभग केवल ज्ञान कल्याणक की क्रियाएं प्रारंभ होगी, जिसमें तीर्थंकर की मुनि अवस्था को दर्शाया जाएगा और आहार करवाकर सामोंशरण की रचना की जाएगी और संगीतमय विधान पूजन कर जगत में तीर्थंकर की वाणी का गूंजायमान किया जाएगा, इसके पश्चात् पाषाण से भगवान बनने की क्रियाएं संपन्न करवाई जाएगी।

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निकलेगी भव्य रथयात्रा और होगा कल्षाभिषेक

लगभग प्रातः 11.15 बजे तीर्थंकर भगवान के मोक्ष प्राप्ति की क्रियाएं संपन्न करवाई जाएगी इससे पूर्व आचार्य शशांक सागर महाराज पाषाण मूर्ति को सूर्यमंत्र प्रदान करेंगे और भगवान बनने की प्रक्रिया को संपन्न करवाएंगे। इस दौरान सभी इंद्र – इंद्राणी अष्ट द्रव्यों के साथ मोक्ष कल्याणक का पूजन करेंगे। इसके उपरांत प्रातः 8 बजे से भव्य लवाजमों, बैंड – बाजों, जयकारों, हाथी, घोड़े, ऊंट के साथ रथ पर श्रीजी को विराजमान कर नवीन जिनालय तक भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। यात्रा के पश्चात् भगवान को नवीन वेदी पर विराजमान किया जाएगा और वेदी के शिखर पर कलशों की स्थापना के साथ क्षेत्रपाल बाबा और देवी पद्मावती की मूर्ति भी जिनालय में विराजमान करवाई जाएगी। मूर्ति विराजमान होने के पश्चात् दूध, दही, केसर, जल और हल्दी के पंचाम्रत कलशों से महामस्तकाभिषेक किया जाएगा।

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तीन दिवसीय आयोजन में समिति की अनूठी एवं अनुकरणीय पहल बनी चर्चा का विषय

अध्यक्ष अनिल बोहरा ने बताया कि प्रत्येक आयोजन में भोजन की व्यवस्था होती है इसमें झूठन एक बड़ी समस्या बन जाती है किंतु इस पंचकल्याणक महोत्सव ने सभी सदस्यों ने निर्णय लिया कि अन्न का सम्मान रखेंगे और झूठन बिल्कुल भी नहीं होने देंगे। इसके लिए प्रत्येक नागरिक को खाना खाने के बाद झूठन ना छोड़ने का आग्रह किया गया और उतना ही लो थाली में व्यर्थ ना जाए नाली में बोलकर भोजन परोसा गया। साथ ही परोसगारी करते समय कम कम परोसा गया और सभी से निवेदन किया कि आप दुबारा ले सकते है। जो पूरे कार्यक्रम में चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि अधिकतर आयोजनों में बड़ी संख्या में खाना बर्बाद होता है किंतु इस आयोजन में बिल्कुल भी खाना बर्बाद नहीं होने दिया गया।

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