जयपुर में ‘पीपल, स्लो फूड कैफ़े एंड किचन’ की शुरुआत, उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने किया उद्घाटन…

जयपुर में ‘पीपल, स्लो फूड कैफ़े एंड किचन’ की शुरुआत, उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने किया उद्घाटन…

जयपुर के सेंट्रल पार्क में ‘पीपल, स्लो फूड कैफ़े एंड किचन’ की शुरुआत

राजधानीवासियों को मिलेगा नए तरह के कैफ़े का अनुभव

ऑर्गेनिक और सीज़नल खानपान पर रहेगा खास फोकस

राजस्थान में पर्यटन और सस्टेनेबल लिविंग को मिलेगा बढ़ावा

विजय श्रीवास्तव,

जयपुर, dusrikhabar.com राजधानी जयपुर को बुधवार को एक नई सौगात मिली जब पीपल, स्लो फूड कैफ़े एंड किचन’ का शुभारंभ हुआ। सेंट्रल पार्क स्थित गांधी वाटिका में खुले इस कैफ़े का संचालन जंगल कैंप्स इंडिया लिमिटेड द्वारा राजस्थान पर्यटन विकास निगम (RTDC) के सहयोग से किया जाएगा।

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मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने फीता काटकर इस अनोखे कैफ़े का उद्घाटन किया और कहा कि यह पहल जयपुर में सस्टेनेबल टूरिज्म और पर्यावरण-हितैषी जीवनशैली को बढ़ावा देने की दिशा में सराहनीय कदम है।

दिया कुमारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस गांधी वाटिका म्यूजियम के पास बने इस कैफे में राजस्थान के लोगों को आना चाहिए यहां पर लोगों को राजस्थान के लोकल फूड का स्वाद उन्हें मिलेगा। इस मौके पर उनके साथ पर्यटन सचिव राजेश यादव सहित शहर के कई गणमान्य अतिथि मौजूद रहे। 

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जंगल कैंप्स इंडिया के संस्थापक गजेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि जैसा कि हमारी थीम है हम न सिर्फ यहां के स्थानीय लोगों को बल्कि यहां आने वाले पर्यटकों को भी राजस्थान से कनेक्ट करेंगे, उसके लिए यहां लोगों को और पर्यटकों को राजस्थानी खाने के स्वाद के साथ आधुनिकता में राजस्थान की परंपरा का मिक्स स्वरूप देखने को मिलेगा। यहां आने वाले लोगों को हम ऑर्गेनिक सब्जियों से बने व्यंजन परोसेंगे जो स्वाद के साथ साथ उनकी सेहत का भी ध्यान रखेगा।  

पीपल कैफे जयपुर सेंट्रल पार्क

जंगल कैंप्स इंडिया के संस्थापक गजेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि इस कैफ़े के ज़रिए जंगल कैंप्स की रसोई का स्वाद अब शहर तक लाया जा रहा है। “यह वही भोजन है जो मिट्टी के करीब और मौसम के अनुरूप तैयार किया जाता है।”

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जंगल कैंप्स इंडिया के संस्थापक गजेन्द्र सिंह राठौड़

जंगल कैंप्स इंडिया के संस्थापक गजेन्द्र सिंह राठौड़

भविष्य में सामाजिक आयोजनों और को-वर्किंग की सुविधा

गजेन्द्र सिंह राठौड़ ने यह भी बताया कि आने वाले समय में यहां सामाजिक आयोजन, कलाकारों के लिए वर्किंग स्पेस और को-वर्किंग की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी। फिलहाल यह कैफ़े आम जनता के लिए खोल दिया गया है और स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटक भी यहां आकर सस्टेनेबल फूड और अनोखे अनुभव का आनंद ले सकते हैं।

उन्होंने कहा कि हम सस्टेनेबल ट्यूरिज्म की तरफ हमारा ध्यान रहता है। लोगों को जो फूड हम परोसते रहे हैं उसको लेकर हमारी सभी प्रॉपर्टीज के अच्छे अनुभव रहे हैं उसी कॉन्सेप्ट को हम जयपुर में सेंट्रल पार्क में पीपल कैफे में लोगों के साथ साझा करेंगे। उन्हें सेहतमंद और पोष्टिकता के साथ साथ स्वादिष्ट भोजन और फास्ट फूड हम सर्व करेंगे। लोगों को ग्रीनरी और फूड का आनंद लेने के लिए शहर के बीचों बीच सेंट्रल पार्क की लोकेशन पर इससे बेस्ट जगह जयपुर में कहीं नहीं मिलेगी।

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ऑर्गेनिंग फल एवं सब्जियां

स्लो फूड और सीज़नल लिविंग की अनोखी अवधारणा

यह कैफ़े ‘स्लो फूड’ और ‘सीज़नल लिविंग’ की सोच पर आधारित है। यहां परोसा जाने वाला भोजन पूरी तरह प्लांट-बेस्ड (Plant-Based Food) होगा, जिसमें ऑर्गेनिक खेती से उगे अनाज, स्थानीय सब्ज़ियां और पारंपरिक राजस्थानी पकवान शामिल रहेंगे। यही भोजन जंगल कैंप्स इंडिया के मध्य भारत स्थित इको-लॉज में भी परोसा जाता है।

डिज़ाइन और माहौल: मिट्टी और हरियाली का मेल

इस कैफ़े का डिज़ाइन आर्किटेक्ट मानसी खंगारोत ने तैयार किया है। मिट्टी के रंग, प्राकृतिक बनावट और हरियाली से सजा यह स्थल पर्यटकों और शहरवासियों को एक शांतिपूर्ण अनुभव देगा।

कैफे का नाम “पीपल” ही क्यों? 

peepal treeगजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि भारतीय परंपरा में पीपल का पेड़ जीवन, लंबी उम्र, ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। यह छांव देने वाला पेड़ न सिर्फ वातावरण को शुद्ध करता है, बल्कि लोगों को अपने आसपास सहजता और अपनापन भी महसूस कराता है।

इसी सोच के साथ हमने कैफ़े का नाम ‘पीपल’ रखा है क्योंकि यह सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि एक भावनात्मक कनेक्शन है। यह हमारे रेस्टोरेंट में अपने वाले लोगों को यह एहसास कराएग कि यहां परोसा जाने वाला भोजन भी उतना ही शुद्ध, प्राकृतिक और सेहतमंद है जितनी पीपल की छांव और ऑक्सीजन।

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कैफे का यह नाम लोगों को अपने साथ जोड़ता है क्योंकि वे मानते हैं कि यहाँ ऑर्गेनिक, पौष्टिक और मौसमी भोजन मिलेगा, जो उनकी सेहत का ख्याल रखेगा। इसके साथ ही, “पीपल” नाम एक सस्टेनेबल और इको-फ्रेंडली जीवनशैली का संदेश भी देता है, जो आज के युवाओं और स्वास्थ्य-सचेत लोगों को खास आकर्षित करता है। सचमुच, ‘पीपल’ केवल एक कैफे का नाम नहीं, बल्कि यह यहां आने वाले हर व्यक्ति के लिए भरोसे, परंपरा और सेहत का प्रतीक साबित होगा। 

आर्किटेक्ट मानसी खंगारोत पीपल रेस्टोरेंट

कैफे की डिजाइनर आर्किटेक्ट मानसी खंगारोत

कैफे की डिजाइनर आर्किटेक्ट मानसी खंगारोत ने बताया कि उन्होंने इस कैफे को इस तरह डिजाइन किया है कि यहां आने वाले लोगों को फ्रेश एयर के साथ साथ हरियाली के बीच बैठकर अपने परिजनों के साथ ऑर्गेनिक फूड को एंजॉय करने का मौका मिलेगा। यहां आने वाले लोग नेचर के बीच बैठकर थोड़ा समय सुकून महसूस कर सकेंगे। 

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