
शैल्बी हॉस्पिटल, जयपुर में सफल किडनी ट्रांसप्लांट: राजस्थान में रीनल केयर का नया अध्याय
आधुनिक तकनीक और विशेषज्ञ टीम ने रचा नया इतिहास
Comprehensive Department of Renal Sciences की विस्तृत सुविधाएं
नेशनल ट्रांसप्लांट गाइडलाइन्स के साथ सुरक्षित और पारदर्शी उपचार
जयपुर में ही अब उपलब्ध विश्वस्तरीय किडनी ट्रांसप्लांट सेवाएं
किडनी ट्रांसप्लांट में अभी कई और माइलस्टोन जुड़ना बाकी: डॉ संजय बिनवाल
जयपुर,(dusrikhabar.com)। शैल्बी हॉस्पिटल, जयपुर ने एक और चिकित्सा उपलब्धि हासिल की है। अस्पताल में सफलतापूर्वक किडनी ट्रांसप्लांट कर आधुनिक रीनल केयर (Renal Care) का नया अध्याय लिखा गया है। इस अवसर पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने इस उपलब्धि पर प्रकाश डालते हुए अस्पताल की Comprehensive Department of Renal Sciences की आधुनिक सुविधाओं और विशेषज्ञता के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
सफल ट्रांसप्लांट : विशेषज्ञता और आधुनिक तकनीक का परिणाम

डॉ संजय बिनवाल, यूरोलॉजिस्ट, शैल्बी हॉस्पिटल जयपुर,
पत्रकारों से बात करते हुए डॉ संजय बिनवाल ने बताया कि कि यह ट्रांसप्लांट अत्यंत जटिल था, लेकिन शैल्बी हॉस्पिटल की अनुभवी टीम ने इसे सफलतापूर्वक संपन्न किया। हालांकि शैल्बी अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट का यह पहला केस था लेकिन अनुभवी डॉक्टरों की टीम ने इस बड़े ही सहज तरीके कंपलीट किया।
रेट्रोपेरिटोनियल स्कॉपी से किया किडनी ट्रांसप्लांट
डॉ संजय ने पत्रकारों को बताया कि 9 जुलाई को शैल्बी में पहला किडनी ट्रांसप्लांट किया गया जिसमें खास बात ये रही कि इस ट्रांसप्लांट को हमने ट्रेडिशन ओपन अप्रोच से नहीं किया बल्कि रेट्रोपैरिटोनियल स्कॉपी करके किया ताकि हमें ऑपरेट करने के लिए पेट में इंटरस्टाइन वाले एरिया से नहीं गुजरना पड़ा। ऑपरेशन पूरी तरह से कामयाब रहा और डोनर जो कि मरीज के पिता हैं को हमने दूसरे दिन ही डिस्चार्ज कर दिया। वहीं मरीज को भी पांच से सात दिन के अंदर रिकवरी के मोड पर लाकर डिस्चार्ज कर दिया। उन्होंने कहा हमारे हॉस्पिटल में जो किडनी ट्रांसप्लांट हुआ ये अभी शुरुआत है इसमें अभी और भी माइल स्टोन हम स्थापित करेंगे।
आपको बता दें कि ट्रांसप्लांट करने वाली डॉक्टरों की टीम में डॉ. संजय बिनवाल, वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट एवं किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन, डॉ. सुभाष कटारिया, वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट एवं किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन एवं डॉ. कविश शर्मा, नेफ्रोलॉजिस्ट एवं ट्रांसप्लांट फिजिशियन शामिल रहे।
विशेषज्ञों ने बताया कि शैल्बी हॉस्पिटल में किडनी ट्रांसप्लांट से लेकर जांच, डोनर मूल्यांकन, पोस्ट-ऑपरेटिव केयर तक सभी सुविधाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध हैं।
दो दिन में डोनर और सात दिन में किडनी ट्रांसप्लांट के मरीज को किया डिस्चार्ज
अलवर की रामगढ़ तहसील के किडनी डोनर 55 वर्षीय मरीज के पिता ने बताया कि किडनी डोनेट करने के दो दिन बाद ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई और अब वो पूरी तरह से स्वस्थ हैं। उन्हें किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं है। वहीं उनके बेटे ने बताया कि वे भी अब पूरी तरह से खुद को फिट महसूस कर रहे हैं। हालांकि डॉक्टरों ने सलाह दी है कि अब उन्हें 3 दवाओं का सेवन लगातार करना होगा लेकिन अब उन्हें लगभग 20 वर्षों तक किडनी से संबंधित परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा और वे अपने दैनिक कार्य और जीवनचर्या को आसानी से निभा पाएंगे।
व्यापक रीनल केयर सुविधाएं
डॉ. कविश शर्मा ने जानकारी दी कि अस्पताल का रीनल विभाग न केवल किडनी ट्रांसप्लांट बल्कि क्रॉनिक किडनी डिजीज़, डायलिसिस, एक्यूट किडनी फेल्योर, हाइपरटेंशन से जुड़ी जटिलताओं का भी आधुनिक इलाज करता है। विशेषज्ञ टीम नेशनल ट्रांसप्लांट गाइडलाइन्स का पालन करते हुए मरीजों को बहुआयामी और संवेदनशील उपचार प्रदान करती है।
अस्पताल का उद्देश्य : “क्वालिटी हेल्थकेयर विद ह्यूमन टच”
अस्पताल के सीएओ अंकित पारीक ने कहा कि शैल्बी हॉस्पिटल का उद्देश्य न केवल बीमारियों का सफल इलाज करना है बल्कि मरीजों को बेहतर जीवन प्रदान करना भी है। डिप्टी सीएओ विशाल शर्मा ने बताया कि अब राजस्थान और आसपास के मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट या रीनल से जुड़ी सेवाओं के लिए बड़े शहरों की ओर देखने की आवश्यकता नहीं है। जयपुर में ही अब विश्वस्तरीय इलाज उपलब्ध है।
किडनी रोग के प्राथमिक स्टेज कैसे पहचाने जाते हैं?
किडनी की बीमारी अक्सर धीरे-धीरे बढ़ती है और शुरुआती चरण में लक्षण स्पष्ट नहीं होते। लेकिन कुछ संकेत ऐसे हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए:
1. शुरुआती लक्षण (प्राइमरी स्टेज):
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बार-बार पेशाब आना (खासतौर पर रात में)
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पेशाब में झाग या खून आना
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हाथ-पैर और चेहरे पर सूजन
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थकान और कमजोरी
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भूख कम लगना या उल्टी महसूस होना
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हाई ब्लड प्रेशर
2. जांच से पता कैसे चलता है?
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ब्लड टेस्ट – क्रीएटिनिन (Creatinine) और यूरिया स्तर
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eGFR टेस्ट (Estimated Glomerular Filtration Rate) – इससे पता चलता है कि किडनी कितनी फिल्टरिंग कर रही है
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यूरिन टेस्ट – प्रोटीन, खून या अन्य असामान्यताएँ
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अल्ट्रासाउंड / इमेजिंग – किडनी के आकार और स्वास्थ्य की स्थिति
किडनी ट्रांसप्लांट कब किया जाता है?
किडनी ट्रांसप्लांट तब किया जाता है जब किडनी (गुर्दे) स्थायी रूप से खराब हो जाते हैं और उनका सामान्य इलाज या दवा से सुधार संभव नहीं रहता। इसे End Stage Renal Disease (ESRD) या किडनी फेल्योर का अंतिम चरण कहा जाता है।
ऐसे में मरीज को जीवन बनाए रखने के लिए या तो डायलिसिस पर रहना पड़ता है या फिर किडनी ट्रांसप्लांट ही एक स्थायी विकल्प होता है।
मुख्य स्थितियाँ जब ट्रांसप्लांट की ज़रूरत होती है:
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क्रॉनिक किडनी डिज़ीज़ (CKD) का आखिरी चरण (स्टेज 5)
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लंबे समय तक डायलिसिस पर रहने की मजबूरी
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किडनी का स्थायी रूप से कार्य न करना (क्लीनिकल रिपोर्ट में GFR बहुत कम होना)
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बार-बार हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज से जुड़ी जटिलताएँ
जरूरी सलाह
अगर किसी को डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर है, तो उन्हें नियमित रूप से किडनी की जांच (क्रीएटिनिन और eGFR टेस्ट) करवाते रहना चाहिए, क्योंकि ये दोनों बीमारियाँ किडनी फेल्योर की सबसे बड़ी वजह होती हैं।
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