‘सृष्टि का श्रृंगार’ पुस्तक के कवर का विमोचन

‘सृष्टि का श्रृंगार’ पुस्तक के कवर का विमोचन

जोधावत ने कभी अपनी अन्तर्चेतना को बुझने नहीं दिया

‘सृष्टि का श्रृंगार’ पुस्तक के कवर के विमोचन पर जुटी साहित्य जगत की हस्तियां

जेकेके के कृष्णायन में हुआ आयोजन

जयपुर। जीवन सुंदर संस्थान की ओर से जवाहर कला केन्द्र के कृष्णायन में आयोजित कार्यक्रम मेें साहित्यकार और भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी स्वर्गीय देवी राम जोधावत के जीवन काल में लिखे गए साहित्य की प्रकाशनाधीन ‘पुस्तक सृष्टि का श्रृंगार’ के कवर का विमोचन किया गया। इस मौके पर कला मर्मज्ञ के.सी मालू, जाने-माने हास्य कवि संजय झाला, राजस्थान प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी पंकज ओझा, धोद बैंड के प्रवर्तक रहीस भारती और गीतकार बनज कुमार बनज सहित प्रदेश के अनेक वरिष्ठ साहित्यकारों सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।

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अब्दुल लतीफ उस्ता द्वारा संचालित अनुभूतियों से लबरेज इस कार्यक्रम की शुरूआत में जोधावत की पुत्री और जवाहर कला केन्द्र की अतिरिक्त महानिदेशक प्रियंका जोधावत ने समारोह की रूपरेखा को विस्तार से बताया।

प्रियंका ने कहा कि पुस्तक के आवरण का विमोचन करने का अर्थ है खुद के प्रति संकल्पबद्ध होना। उन्होंने खुद के प्रति संकल्पवान होकर इस प्रकाशनाधीन पुस्तक के कवर का विमोचन करने का विचार किया। आज पापा को गए छह महीने हो गए हैं।

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इसलिए हम अब पापा के साहित्य से सराबोर एक और पुस्तक प्रकाशन के कार्य में लगेगें और अगले छह महीने बाद यानि पापा की पहली पुण्यतिथि पर इसका लोकार्पण करेंगे। प्रियंका ने इस मौके पर जोधावत की कविताओं में छिपे भावों और उनके कृतित्व व व्यक्ति के बारे में विस्तार से जानकारी दी l

जोधावत ने अपनी अन्तर्चेतना को कभी बुझने नहीं दिया- वेद व्यास

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार वेदव्यास ने कहा कि प्रशासनिक सेवाओं में रहने वाले देवी राम जोधावत ने अपनी अंतर्चेतना को कभी नहीं बुझने दिया।

उन्होंने कहा कि अक्सर लोग समय के उस पर देखने की चेष्टा नहीं करते किन्तु जोधावत ने अपने साहित्य में समय के उस पर देखने का भी पूरा प्रयास किया है वो एक मौलिक रचनाकार थे। उन्होंने अपनी कविताओं में सहज मनुष्य होने को रेखांकित किया।

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साहित्यकार ‘सृष्ठि का श्रंगार’ अपने साहित्य से करता है – नंद भारद्वाज

साहित्यकार नंद भारद्वाज ने कहा कि ‘सृष्टि का श्रृंगार’ रचनाकार अपने साहित्य सृजन से ही करता है। आज दुनियां हमें जिस खूबसूरत रूप में मिली है उसे हम अपनी सोच और सृजन से और भी खूबसूरत बना दें तभी हमारे मनुष्य और साहित्यकार होने की सार्थकता है।

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समय को दिशा दिखाने का काम करती है कविता- लोकेश कुमार सिंह साहिल

जाने-माने शायर लोकेश कुमार साहिल ने कहा कि आने वाला समय तय करेगा कि उनकी रचनाएं कैसी हैं। समय को दिशा दिखाने का काम कविता हर दौर में करती आई है। डी आर जोधावत की कविताएं हमें बेहतर समाज का रास्ता दिखाती है। इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार कृष्ण कल्पित, मनीषा कुलश्रेष्ठ ने भी विचार व्यक्त किए। वहीं जोधावत परिवार के दिव्यांशु, आरुषि, सिद्धार्थ ने कविताओं के जरिए डी आर जोधावत को श्रद्धांजलि दी।

पत्नी संपत राज जोधावत, रविंद्र जोधावत, शशि और सीमा जोधावत एवं सतीश देपाल DDG दूरदर्शन ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर डी आर जोधावत के साहित्य के सफर पर बनाई गई डॉक्युमेंट्री का प्रदर्शन भी किया गया

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