
छात्रसंघ चुनाव कराने से राजस्थान सरकार का इनकार, सरकार ने हाईकोर्ट में पेश किया जवाब…
सरकार ने राजस्थान छात्रसंघ चुनावों से किया इनकार, हाईकोर्ट में सरकार का जवाब
राजस्थान विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर बोलीं – चुनाव में डर का माहौल, वोटिंग टर्नआउट बेहद कम
सरकार का शिक्षा को लेकर स्पष्ट किया अपना रुख – चुनाव से शिक्षा नीति और सत्र में व्यवधान
याचिकाकर्ता ने तर्क देते हुए कहा कि दबाई जा रही है छात्रों की आवाज
विजय श्रीवास्तव,
जयपुर,(dusrikhabar.com)। राजस्थान सरकार ने इस साल भी छात्रसंघ चुनाव न कराने का निर्णय लिया है। सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) और लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों का हवाला देते हुए चुनाव करवाना वर्तमान परिस्थितियों में असंभव बताया। नौ विश्वविद्यालयों के कुलगुरुओं की रिपोर्ट में शैक्षणिक सत्र में व्यवधान, परीक्षा परिणामों में देरी और कैंपस में भय के माहौल जैसे कारण गिनाए गए हैं। हाईकोर्ट में अब 14 अगस्त को इस मामले की सुनवाई होगी।
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सरकार का रुख – शिक्षा नीति और सत्र में व्यवधान मुख्य कारण
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपने जवाब में कहा कि लिंगदोह कमेटी की सिफारिश के अनुसार सत्र शुरू होने के 8 सप्ताह में चुनाव करवाए जाने चाहिए, लेकिन वर्तमान में यह संभव नहीं है। नौ विश्वविद्यालयों के कुलगुरुओं की राय भी इसमें जोड़ी गई, जिसमें अधिकतर ने शैक्षणिक सत्र और परीक्षा कार्यक्रम का हवाला देते हुए चुनाव स्थगित रखने की सिफारिश की।
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कुलगुरुओं की रिपोर्ट – भय का माहौल और शिक्षा पर असर
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राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर अल्पना कटेजा ने कहा कि 2023-24 में भी NEP लागू होने के कारण चुनाव नहीं हुए थे। उनका कहना है कि चुनाव के दौरान वोटर टर्नआउट 25-30% से भी कम रहता है और परिणाम में देरी होने से छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं व प्रवेश से वंचित हो जाते हैं।
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महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलगुरु प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने कहा कि शिक्षा नीति सही तरीके से लागू करने के लिए ‘अम्ब्रेला पॉलिसी’ जरूरी है और तब तक चुनाव स्थगित रखना उचित है।
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महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय भरतपुर के कार्यवाहक कुलगुरु प्रोफेसर त्रिभुवन शर्मा ने तीन-चार साल तक चुनाव स्थगित रखने की राय दी।
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मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर की कुलगुरु प्रोफेसर सुनीता मिश्रा ने कहा कि 2022-23 के चुनावों के बाद तोड़फोड़ और गंदगी को ठीक करने में डेढ़ साल लग गया।
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याचिकाकर्ता का तर्क – छात्रों की आवाज दबाई जा रही है
एमए प्रथम वर्ष के छात्र जय राव ने 24 जुलाई को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि छात्र प्रतिनिधि चुनना उनका मौलिक अधिकार है, लेकिन सरकार तीन सत्रों से चुनाव नहीं करवा रही। याचिकाकर्ता के वकील शांतनु पारीक का कहना है कि यूनिवर्सिटी में शिक्षकों और कर्मचारी संघ के चुनाव होते हैं, लेकिन छात्रों को मौका नहीं दिया जा रहा। उनका आरोप है कि प्रशासन नहीं चाहता कि छात्र अपनी समस्याओं को प्रभावी ढंग से उठा सकें।
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