
लू-गर्मी से बचाव के लिए ग्रेडेड रिस्पॉन्स सिस्टम की तैयारी
चिकित्सा विभाग तैयार करेगा ग्रेडेड रिस्पॉन्स सिस्टम
ACS, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, शुभ्रा सिंह के आदेश
राज्य, जिला एवं ब्लॉक स्तर पर बनेगा एक्शन प्लान
रेगिस्तानी जिलों पर रहेगा विशेष फोकस
जयपुर। राजस्थान में बढ़ती गर्मी को देखते हुए आने वाले मई और जून महीने में लू एवं गर्मी (heat and heat) से होने वाली बीमारियों (diseases) से बचाव के लिए ग्रेडेड रिस्पॉन्स सिस्टम (Graded Response System) लागू किया जाएगा। साथ ही, राज्य, जिला एवं ब्लॉक स्तर पर हीट एक्शन प्लान बनाकर आमजन को लू एवं गर्मी जनित बीमारियों से बचाव के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। प्रदेश के रेगिस्तानी (desert) जिलों, जहां तापमान अधिक रहता है एवं लू अधिक चलती है, वहां विशेष प्रबंध सुनिश्चित किए जाएंगे।
आगामी दो से तीन माह चुनौतीपूर्ण

एसीएस शुभ्रा सिंह ने ली वीसी के जरिए मीटिग
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग (Medical and Health Department) की अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) शुभ्रा सिंह ने शनिवार को स्वास्थ्य भवन में लू एवं गर्मी जनित बीमारियों से बचाव, उपचार एवं जागरूकता गतिविधियों को लेकर आयोजित राज्य स्तरीय वीडियो कॉन्फ्रेंस में इस संबंध में निर्देश दिए। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि गर्मी की तीव्रता बढ़ने पर आगामी दो से तीन माह चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, ऐसे में विभाग हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहे। उन्होंने कहा कि गर्मी एवं लू का स्तर बढ़ने पर यलो, ओरेंज एवं रेड अलर्ट के अनुसार ग्रेडेड सिस्टम तैयार कर आवश्यक कदम उठाए जाएं।
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घातक स्थितियों में न्यूनतम हो रिस्पॉन्स टाइम
सिंह ने कहा कि आमजन को लू एवं गर्मी जनित बीमारियों की स्थिति में तत्काल उपचार एवं अन्य स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल तैयार किया जाए। एम्बलुेंस की क्रियाशीलता की जांच करने के साथ ही प्राथमिक उपचार के लिए किट्स तैयार करवाई जाएं। अस्पतालों में डेडीकेटेड वार्ड बनाए जाएं। दवाओं एवं जांच किट्स की पर्याप्त उपलब्धता रहे। चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ सहित निचले स्तर तक आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाए। हीट स्ट्रोक एवं अन्य घातक स्थितियों में रोगी को तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है। ऐसे में यह सुनिश्चित किया जाए कि हमारा रिस्पॉन्स टाइम न्यूनतम हो।
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संबंधित विभागों से समन्वय कर जमीनी स्तर तक हो पुख्ता प्रबंध
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि लू एवं तेज गर्मी की स्थिति में आमजन को बीमारियों से बचाने के लिए श्रम विभाग, कृषि विभाग, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज, स्थानीय निकाय विभाग, शिक्षा विभाग सहित विभिन्न विभागों का सहयोग अपेक्षित रहता है। इसके लिए संबंधित विभागों के साथ समन्वय रखते हुए कार्य योजना बनाई जाए। सभी संबंधित विभागों के साथ बैठक कर एक्शन प्लान को जमीनी स्तर पर लागू किया जाए।
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अस्पतालों में छाया-पानी के हो माकूल इंतजाम, रोगियों की होगी दैनिक रिपोर्टिंग
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि अस्पतालों में आने वाले रोगियों के लिए छाया एवं पानी के माकूल इंतजाम किए जाएं। जांच उपकरणों, ऑक्सीजन प्लांट, एसी, कूलर, पंखों एवं आर.ओ. आदि की क्रियाशीलता जांचने के साथ ही इनका नियमित मेंटीनेंस करवाया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि हीटवेव से प्रभावित रोगियों की आईएचआईपी पोर्टल पर दैनिक रिपोर्टिंग की जाए।
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जागरूकता पर रहे जोर, जनसहभागिता बढ़ाएं
सिंह ने कहा कि लू एवं गर्मी जनित बीमारियों से बचाव के लिए जागरूकता हेतु आईईसी गतिविधियों का विशेष महत्व है। आमजन इन बीमारियों से प्रिवेंटिव एवं घरेलू उपाय अपनाकर सुरक्षित रह सकें, इसके लिए व्यापक आईईसी गतिविधियां की जाएं। स्कूलों में नो बैग डे के अवसर पर विद्यार्थियों को क्विज, निबंध आदि गतिविधियों के माध्यम से जागरूक किया जाए। साथ ही, इन गतिविधियों में जनसहभागिता बढ़ाने के लिए एनजीओ, स्वयं सहायता समूहों, सिविल सोसायटीज आदि का भी सहयोग लिया जा सकता है। उन्होंने जिला स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति की बैठकें आयोजित कर इस विषय पर आवश्यक सहयोग लेने के भी निर्देश दिए।
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बैठक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी, आरएमएससी की प्रबंध निदेशक नेहा गिरि, निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश माथुर, निदेशक आरसीएच डॉ. सुनीत सिंह राणावत, अतिरिक्त निदेशक अस्पताल प्रशासन डॉ. सुशील कुमार परमार, एनपीसीसीएचएच के स्टेट नोडल ऑफिसर डॉ. रामनिवास मीणा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचार्य, अधीक्षक, संयुक्त निदेशक जोन, सीएमएचओ, पीएमओ, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, बीसीएमएचओ, समस्त सीएचसी प्रभारी एवं खण्ड कार्यक्रम प्रबंधक भी वीसी से जुडे़।