
श्रीलंका के राष्ट्रपति का भारत यात्रा पर प्रधानमंत्री मोदी ने किया स्वागत
हमारा संबंध और सभ्यताएं प्राचीन और व्यापक
-आर्थिक साझेदारी के लिए विजन डॉक्यूमेंट
-यूपीआई के लिए फिनटेक कनेक्टिविटी समझौता
दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिन्घे और उनके प्रतिनिधिमंडल का भारत में हार्दिक स्वागत किया। राष्ट्रपति विक्रमसिन्घे अपने कार्यकाल का एक वर्ष पूरा करने पर मैं उन्हें हम सभी की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ।
प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछला एक वर्ष, श्रीलंका के लोगों के लिए चुनौतियों से भरा रहा है। एक निकटतम मित्र होने के नाते, हमेशा की तरह, हम इस संकट के काल में भी श्रीलंका के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे और जिस साहस के साथ, उन्होंने इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना किया, उसके लिए मैं श्रीलंका के लोगों का ह्रदय से अभिनंदन करता हूँ।
भारत की ‘‘पड़ोसी देश पहले‘‘ और ‘‘सागर‘‘ विजन दोनों में भी श्रीलंका का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारा संबंध और सभ्यताएं प्राचीन और व्यापक हैं, हम एक-दूसरे की सुरक्षा और संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए साथ मिलकर काम करेंगे। दोनों देशों की आर्थिक साझेदारी के लिए एक दृष्टिपत्र (विजन डॉक्यूमेंट) अपनाते हुए बताया कि यह विज़न दोनों देशों के लोगों के बीच समुद्री, वायु, ऊर्जा और लोगों के आपसी संबंध को मजबूती देने का, पर्यटन, विद्युत, व्यापार, उच्च शिक्षा, और कौशल विकास में आपसी सहयोग को गति देने का और श्रीलंका के प्रति भारत की दीर्घावधि प्रतिबद्धता का है।
आर्थिक और प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते पर शीघ्र ही बातचीत शुरू की जाएगी। इससे दोनों देशों के लिए व्यापार और आर्थिक सहयोग की नई संभावनाएं खुलेंगी।हम भारत और श्रीलंका के बीच हवाई कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए सहमत हैं। व्यापार और लोगों का आवागमन बढ़ाने के लिए, तमिलनाडु के नागपट्टनम और श्रीलंका के कांके-संतुरई के बीच यात्री फेरी सेवा शुरू करने का निर्णय भी लिया गया है।
दोनों देशों के बीच बिजली ग्रिड को जोड़ने के काम को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। भारत और श्रीलंका के बीच, पेट्रोलियम पाइपलाइन के लिए संभावना अध्ययन कराना, एक सड़क पुल की संभावना को भी जांचने का निर्णय लिया गया। श्रीलंका में यूपीआई के शुभारंभ करने के लिए हुए समझौते से फिनटेक कनेक्टिविटी भी बढ़ेगी।
श्रीलंका में पुनर्निमाण और समन्वय पर राष्ट्रपति विक्रमसिन्घे ने अपने समावेशी दृष्टिकोण से अवगत कराते हुए बताया कि श्रीलंका सरकार तमिलों की आकांक्षाओं को पूरा करेगी। मछुआरों की आजीविका से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा की और सहमत हैं, कि हमें इस मामले में एक मानवीय दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना चाहिए। समानता, न्याय और शांति के लिए पुनर्निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी। श्रीलंका के तमिल समुदाय के लिए आदर और सम्मान की जिंदगी सुनिश्चित करेगी।
प्रधानमंत्री ने बताया कि हमारा द्विपक्षीय संबंध विशेष महत्त्व रखता है, हम अपने राजनयिक संबंधों की पचहत्तरवीं वर्षगांठ मनाते हुए भारतीय मूल के तमिल समुदाय, श्रीलंका में अपने आगमन के 200 वर्ष पूरे कर रहा है। इस अवसर पर, श्रीलंका के भारतीय मूल के तमिल नागरिकों के लिए 75 करोड़ रूपए की लागत से विभिन्न परियोजनाएं कार्यान्वित की जाएंगी। इसके साथ-साथ, भारत श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्र में भी विकास कार्यक्रमों में योगदान देगा।