तेल पर टकराव: भारत की रूसी तेल आयात नीति संकट में, आगे क्या हैं विकल्प ?

तेल पर टकराव: भारत की रूसी तेल आयात नीति संकट में, आगे क्या हैं विकल्प ?

अमेरिका-रूस तनाव के बीच भारत के लिए बढ़ी चिंता

ट्रंप के टैरिफ फैसले ने नई मुश्किलें खड़ी कीं

 

दिल्ली ब्यूरो, (dusrikhabar.com)। जब भारत यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका और रूस के बीच किसी समझौते की उम्मीद कर रहा था, उसी समय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने के ऐलान ने भारत की रूसी तेल आयात नीति को लेकर नई बहस छेड़ दी है। 

हाल के हफ्तों में भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल का भारी आयात ट्रंप प्रशासन के साथ संबंधों में एक बड़ा विवादास्पद मुद्दा बन गया है। 6 अगस्त को, ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर पहले से लग चुके 25% टैक्स के अलावा अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की, जो 21 दिनों के भीतर लागू होगा।

भारत ने इसे अनुचित और असंगत” करार देते हुए कहा कि अमेरिका ने स्वयं भारत को रूसी तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया था ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजार में स्थिरता बनी रहे, खासकर जब 2022 में यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने रूसी ऊर्जा से दूरी बना ली थी।

क्या होगा अगर भारत को रूसी तेल छोड़ना पड़ा?

यदि भारत के रिफाइनरों को रूसी तेल छोड़ना पड़ता है, तो उन्हें:

  • पश्चिम एशिया (West Asia) के पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं से ज्यादा तेल खरीदना पड़ेगा
  • अन्य क्षेत्रों से भी आयात बढ़ाना पड़ेगा
  • मौजूदा लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रैक्ट्स और ऑपरेशनल सेटअप में बड़े बदलाव करने होंगे

प्रमुख विश्लेषक सुमित रितोलिया के अनुसार, “रूसी कच्चे तेल को हटाना कोई स्विच बंद करने जैसा नहीं है। यह दीर्घकालिक अनुबंधों, तकनीकी संचालन और बाज़ार की अनुकूलता से जुड़ा मुद्दा है।”

भारत की वर्तमान स्थिति

  • रूस भारत को लगभग 17-20 लाख बैरल प्रतिदिन (bpd) तेल भेजता है
  • यह भारत की कुल कच्चे तेल खपत का करीब 38% है
  • यह स्थिति यूक्रेन युद्ध के बाद बनी, जब रूस ने अपने तेल पर भारी छूट (discount) देना शुरू किया

हाल के हफ्तों में रूसी तेल का आयात कुछ घटा है, लेकिन सरकार ने अभी तक आयात में कटौती को लेकर कोई निर्देश नहीं दिया है। रिफाइनर कंपनियों का कहना है कि यह कमी छूट में गिरावट के कारण है, न कि अमेरिकी दबाव के कारण।

विकल्प और असर

विशेषज्ञों के मुताबिक

  • तकनीकी रूप से रिफाइनर रूसी तेल के बिना काम कर सकते हैं
  • लेकिन इससे रिफाइनिंग मार्जिन कम होगा
  • तेल की गुणवत्ता (medium-sour crude) और प्रोडक्ट यील्ड असंतुलित हो जाएगी
  • आर्थिक दृष्टि से यह भारत के लिए घाटे का सौदा होगा

क्या कोई समाधान संभव है?

भारत उम्मीद कर रहा है कि

  • अमेरिका के साथ बातचीत के जरिए कोई रास्ता निकले
  • टैरिफ में छूट या स्थगन मिले
  • यदि अमेरिका-रूस संबंधों में हालिया अलास्का वार्ता के बाद तनाव कम होता है, तो भारत को राहत मिल सकती है
  • कम से कम भारत धीरे-धीरे रूसी तेल आयात कम करने का विकल्प तलाशेगा, बजाय इसके कि इसे एकदम से रोका जाए

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