
साहित्य महाकुंभ JLF के 18वें संस्कारण का शानदार समापन
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 18वें संस्करण ने एक बार फिर सार्थक संवाद के महत्व को किया सिद्ध
पांच दिवसीय JLF का आज हुआ समापन
600 से अधिक वक्ताओं ने रखे अपने अपने अनुभव
जयपुर, (dusrikhabar.com)। जयपुर में चल रहे पांच दिवसीय साहित्य के महाकुंभ का आज शानदार समापन हुआ। 30जनवरी से 3 फरवरी तक जयपुर के पांच सितारा होटल क्लार्क्स आमेर में जयपुर लिटरेचर फेस्टिल का आयेाजन हुआ। वेदांता की प्रस्तुति, मारुति सुज़ुकी के सहयोग और VIDA द्वारा संचालित जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 18वें संस्करण का समापन सोमवार को अत्यंत शानदार तरीके से हुआ। पांच दिवसीय आयोजन में दुनियाभर से लेखक, विचारक, और खेल एवं मनोरंजन जगत के प्रसिद्ध सितारे एक मंच पर आए। यह फेस्टिवल विचार, कहानी और संस्कृति के उत्सव का बेहतरीन प्रतीक बनकर उभरा।
फेस्टिवल में 600 से अधिक वक्ताओं ने लिया भाग
क्लार्क्स आमेर में आयोजित इस वर्ष के फेस्टिवल में 600 से अधिक वक्ताओं ने JLF ‘द रूट्स ऑफ़ रिदम रिमेन: ए जर्नी थ्रू ग्लोबल म्यूज़िक’ सत्र में प्रसिद्ध संगीत निर्माता जो बॉयड ने कैरोलाइन ईडन से चर्चा की। जो बॉयड इससे पहले पिंक फ़्लॉइड, निक ड्रेक और आर.ई.एम. जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ काम कर चुके हैं। उन्होंने अपनी नई किताब And the Roots of Rhythm Remain पर चर्चा की। बॉयड ने कहा,“मैं उस संगीत के बारे में लिख रहा हूँ, जिसे हम तथाकथित पश्चिमी दुनिया में सबसे अधिक जानने का दावा करते हैं, लेकिन वास्तव में उसके बारे में कुछ नहीं जानते। यह पुस्तक पश्चिमी लोकप्रिय संगीत पर वैश्विक प्रभावों और उसके इतिहास का भावनात्मक वर्णन करती है।
‘ए बर्ड ऑन माई विंडो सिल’
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के आखिरी दिन की शुरुआत लेखक और अभिनेता मानव कौल के अपनी पहली लेखन यात्रा के बारे में अनुभव साझा करने से हुई। ‘ए बर्ड ऑन माई विंडो सिल’ सत्र में उन्होंने कहा, “आप मुझे मेरे चेहरे के बजाय मेरे लेखन से ज्यादा पहचान सकते हैं।” उन्होंने किताबों, एकांत और अकेले यात्रा करने के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “शब्दों को आने देना होता है, और जब वे आते हैं, तो उससे सुंदर कुछ नहीं होता।” उन्होंने अपने बचपन का जिक्र करते हुए कहा कि आज भी मुझमें वही बच्चा ज़िंदा है, जो कई जगहों पर जाना और उन लोगों से मिलना चाहता है।”
बहुचर्चित सत्र ‘एम्पायर: उधम सिंह – द मैन एंड द मिथ’
इस सत्र में अनीता आनंद और विलियम डैलरिंपल ने अपने लोकप्रिय पॉडकास्ट ‘एम्पायर’ को लाइव श्रोताओं के सामने प्रस्तुत किया। सोमवार सुबह, इस सत्र में आनंद ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद उधम सिंह की न्याय की 20 साल लंबी खोज के बारे में बताया। आनंद की कहानी उस क्षण से शुरू हुई जब उधम सिंह ने अपने चारों ओर सैकड़ों लोगों को मरते देखा, और फिर उन दो गोलियों तक पहुँची, जिन्होंने उन्हें इतिहास में अमर कर दिया। डैलरिंपल की चुटीली टिप्पणियों और हास्यपूर्ण शैली ने इस सत्र को और भी रोचक बना दिया, जिससे सत्र के अंत तक बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद रहे।
‘छौंक: भोजन, अर्थशास्त्र और सुरक्षा’
‘छौंक: भोजन, अर्थशास्त्र और सुरक्षा’ सत्र में नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी और शेयेन ओलिवियर ने वीर सांघवी से बातचीत की। बनर्जी और ओलिवियर ने यह चर्चा की कि कैसे अर्थशास्त्र समाज से गहराई से जुड़ा हुआ है, खासकर खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में। बनर्जी ने कहा, “अर्थशास्त्र हमारे जीवन के हर पहलू से गहराई से जुड़ा हुआ है। कैसे लोगों को इसे पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाए, कठिन भाषा में उलझाए बिना? तभी मुझे एहसास हुआ कि भोजन के माध्यम से इस विषय को जोड़ना एक शानदार तरीका हो सकता है… बेहतरीन व्यंजन अक्सर कम संसाधनों से जन्म लेते हैं – कम से कम से कुछ स्वादिष्ट बना लेना, यही भारतीय भोजन की सबसे बड़ी खासियत है – यहाँ रोज़मर्रा की सामान्य सामग्रियों से भी बेहद स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किए जाते हैं।”
‘अ डे इन द लाइफ ऑफ आबेद सेलमा’
सत्र ‘अ डे इन द लाइफ ऑफ आबेद सेलमा’ में नाथन थ्रॉल ने गईथ अब्दुल-अहद के साथ बातचीत की। अहद की किताब अ डे इन द लाइफ ऑफ आबेद सेलमा एक दिल दहला देने वाली कहानी बयान करती है, जिसमें सेलमा अपने बेटे को एक बस दुर्घटना में खो देता है। व्यक्तिगत त्रासदी की इस कहानी के माध्यम से थ्रॉल ने इज़रायली राज में जीवन का वर्णन किया है।