
सिविल लाइन्स विधानसभा सीट… क्या है यहां का सियासी गणित?
यहां हर पांच साल में जनता बदल देती अपने विधायक को
क्या मुद्दें हैं जिनपर जनता यहां करती है उम्मीदवार का फैसला
जातिगत समीकरण या विधायकों के काम किस पर मिलता है वोट, जानिए क्या है पूरा समीकरण…
जयपुर। Civil lines Assembly Constituency: सिविल लाइन्स विधानसभा सीट पूरी तरह से VVIP सीट मानी जाती है। इस विधानसभा सीट में सभी जाति समुदाय के लोगों का मिश्रण है। चूंकि यहां बड़े व्यापारी और सर्विस क्लास लोग भी काफी तादाद में हैं फिर भी इस सीट पर बणियों-ब्राह्मणों का अधिक प्रभाव रहा है। करीब ढाई लाख मतदाताओं वाली इस विधानसभा सीट का मिजाज हर बाद बदल जाता है। कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा के प्रत्याशी को जनता मूड और मौके के हिसाब से जिता देती है। हम आपको हमारी न्यूज वेबसाइट Dusrikhabar पर हर विधानसभा सीट के लोगों का चुनावी मूड, रिवाज और उस विधानसभा सीट के सियासी समीकरणों से रूबरू करवाएंगे।

प्रतापसिंह खाचरियावास, कांग्रेस, विजेता 2018

अरुण चतुर्वेदी, भाजपा, 2018 दूसरा स्थ्ज्ञान
सिविल लाइन्स असेंबली सीट पर किसको मिली बड़ी जीत
15 वीं विधानसभा के लिए जयपुर की सिविल लाइन्स विधानसभा सीट से 2018 में कांग्रेस के प्रत्याशी प्रतापसिंह खाचरियावास ने भाजपा के प्रबल दावेदार पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी को 18हजार से भी अधिक वोटों के अंतर से हराया। सिविल लाइन्स विधानसभा सीट पर फिलहाल कोई आरक्षण नहीं है। शहर की वीवीआईपी सीट मानी जाने वाली इस असेम्बली सीट से पायलट समर्थक माने जाते रहे प्रतापसिंह खाचरियावास ने बड़ी जीत हासिल की। युवा नेता के तौर पर राजस्थान विश्वविद्यालय में भाजपा से अपने राजनीतिक करियर की प्रताप सिंह ने शुरूआत की।
सिविल लाइन्स विधानसभा सीट ELECTION RESULT (2018)
| उम्मीदवार का नाम | पार्टी | परिणाम | कुल वोट | वोट %/ मार्जिन |
| प्रताप सिंह खचरियावास | कांग्रेस | विजेता | 87,937 | 54 % / 18,078 |
| अरुण चतुर्वेदी | भाजपा | दूसरे स्थान पर | 69,859 | 43.00% |
सिविल लाइन्स विधानसभा सीट से 2008 में भी प्रतापसिंह सिंह खाचरियावास विधायक कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और इस सीट पर अशोक लाहोटी को करीब 7500 वोटों से धूल चटा चुके हैं। लेकिन तब खाचरियावास को कोई मंत्रालय नहीं मिल पाया था। इसके बाद 2013 में भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने प्रतापसिंह खाचरियावास को 11129 वोटों से करारी शिकस्त दी। सिविल लाइन्स विधानसभा सीट पर बड़े व्यापारी और सभी समुदायों के लोगों का मिश्रण है। इसलिए कभी यहां से बणिया जीत जाता है तो कभी ब्राह्मण तो कभी राजपूत उम्मीदवार।
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प्रतापसिंह खाचरियावास को मिली बड़ी जीत
कभी पायलट समर्थक रहे प्रतापसिंह खाचरियावास को काफी जद्दोजहद के बाद 2018 में सिविल लाइन्स विधानसभा सीट से फिर टिकट मिला। इस बार खाचरियावास ने काफी मेहनत की और इस सीट से भाजपा के अरुण चतुर्वेदी को 18हजार वोटों से मात दी। लेकिन इस बार प्रतापसिंह केवल विधायकी से संतुष्ट नहीं हुए और बड़ी मशक्कत के बाद प्रतापिसंह खाचरियावास को गहलोत मंत्रिमंडल में स्थान मिला और कैबिनेट मंत्री का दर्जा।
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सिविल लाइन्स विधानसभा का 2013-2008 का चुनाव परिणाम
| चुनावी वर्ष | उम्मीदवार का नाम | पार्टी | परिणाम | कुल वोट | वोट % |
| 2013 | बीजेपी | अरुण चतुर्वेदी | विजेता | 77693 | 51.47 |
| कांग्रेस | प्रताप सिंह खचरियावस | दूसरा स्थान | 66564 | 44.10 | |
| 2008 | कांग्रेस | प्रताप सिंह खाचरियावास | विजेता | 58166 | 49.83 |
| भाजपा | अशोक लाहोटी | दूसरा स्थान | 51205 | 43.86 | |
| बसपा | रणजीत सिंह | तीसरा स्थान | 3166 | 2.72 |
क्या हैं सिविल लाइन्स सीट के चुनावी मुद्दे
मुख्यमंत्री, मंत्रियों, आला प्रशासनिक अफसरों और बड़े बड़े व्यापारियों के इस विधानसभा सीटा में घर हैं जिसके चलते इस विधानसभा सीट पर हमेशा विकास कार्य होते रहते हैं। यहां पर क्षेत्र का विधायक हमेशा सक्रिय और लोगों की समस्याओं को लेकर अलर्ट रहता है। इसलिए इस विधानसभा सीट पर कोई बड़ा चुनावी मुद्दा नहीं हैं।
क्या है सिविल लाइन्स में जातिगत समीकरण
सिविल लाइन्स विधानसभा सीट को जयपुर का सेंट्रल प्वॉइंट कहा जा सकता है। इस विधानसभा सीट पर अभी तक कोई आरक्षण नहीं है या नि यह विधानसभा सीट सामन्य कैटेगिरी की है। 2011 की जनगणना के अनुसार जयपुर की विधानसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या 2लाख 40हजार 66 है। इनमें अनुसूचिति जाति के करीब 25हजार तो अनुसूचित जनजाति के 9हजार मतदाता हैं। साथ ही इस विधानसभा सीट पर 29 हजार 500 मुस्लिम मतदाता भी हैं। जो करीब 12.3 फीसदी हैं।
क्या फिर मिलेगा खाचरियावास को जनता का आशीर्वाद….! पढ़िए हमारी वेबसाइट पर सिविल लाइन्स विधानसभा सीट से संबंधित अगली खबर में…….
