आज से शुरू हो रही चैत्र नवरात्रि, क्या है घट स्थापना का श्रेष्ठ मुूहूर्त

आज से शुरू हो रही चैत्र नवरात्रि, क्या है घट स्थापना का श्रेष्ठ मुूहूर्त

घट स्थापना से शुरू होगी मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना 

तीन मंत्रों से उपासना पर मां होती है प्रसन्न

हर दिन मां के अलग अलग स्वरूपों की होगी पूजा-अर्चना 

घट स्थापना का श्रेष्ठ मुहुर्त सुबह 11.57 बजे से 12.48 बजे तक होगा

 

जयपुर। आज से चैत्र नवरात्र शुरू हो रहे हैं। आज नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। आज पूजा और कलश स्थापना के लिए यह अभिजीत मुहूर्त है। ज्योतिष और शास्त्रों के अनुसार कलश स्थापना, पूजा-पाठ और शुभ कार्यों के लिए अभिजीत मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ होता है। 

ऐसे करें मां दुर्गा की आराधना

मां दुर्गा यानि शक्ति का यह मंत्र अचूक है। जब आप पूजा करें तो देवी को श्रृंगार का सामान और नारियल-चुन्नी जरूर चढ़ाएं। अपने पूजा स्थल से दक्षिण-पूर्व की तरफ घी का दीपक जलाते हुए ‘ॐ दीपो ज्योतिः परब्रह्म दीपो ज्योतिर्र जनार्दनः। दीपो हरतु में पापं पूजा दीप नमोस्तुते’ यह मंत्र पढ़ें और इसके बाद मां दुर्गा की आरती करें। मां दुर्गा की उपासना में शुद्ध देसी घी का अखंड दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा  प्रवेश करती है साथ ही नकारात्मक ऊर्जाएं नष्ट होती हैं, घर और परिवार से रोग तथा  क्लेश दूर होकर सुख-समृद्धि आती है।

मां दुर्गा में ही ब्रह्मा-विष्णु-महेश 

आज मंगलवार 9 अप्रेल से चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri) शुरू हो रहे हैं, नवरात्र के नौ दिनों में हम परम ब्रह्म शक्ति की उपासना करके खुद को और परिवार को दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से बचा सकते हैं। शास्त्रों की मानें तो देवी भागवत के अनुसार मां दुर्गा (Durga) ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में सृष्टि का सृजन, पालन और संहार करती हैं। वहीं भगवान शिव के कहने पर रक्तबीज शुंभ-निशुंभ, मधु-कैटभ आदि दानवों का संहार करने के लिए मां पार्वती ने असंख्य रूप धारण किए, किंतु देवी के प्रमुख नौ रूपों (मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री) की इन नौ दिनों में पूजा-अर्चना की जाती है।

हर दिन होती है मां के अलग स्वरूप की पूजा

आदिकाल से चल रही मान्यता और शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि नवरात्र का प्रत्येक दिन देवी मां के विशिष्ट रूप को समर्पित होता है और हर दिन मां के अलग अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। जिससे अलग-अलग प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
हमारे शास्त्रों की मान्यता है कि देवी इन नौ दिनों में पृथ्वी पर आकर अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूरकर उन्हें सुख-सौभाग्य, विद्या, दीर्घायु प्रदान करती है इसलिए नवरात्र के इन दिनों में मां भगवती की साधना का श्रेष्ठ समय माना जाता है। इन नौ दिनों में 5 ज्ञान इन्द्रियां, 5 कर्म इन्द्रियां और एक मन यानि जो इन 11 को जो संचालित करती हैं वही परम शक्ति हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि इनकी श्रद्धाभाव से आराधना की जाए तो श्रद्धालुओं को चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मां दुर्गा की उपासना के मंत्र 

हमारे शास्त्रों में ऐसा लिखा है कि अगर नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सामने उनकी उपासना के लिए इन मंत्रों का जाप भक्तिभाव से किया जाए तो पूजा करने वाले को विशेष फल की प्राप्ति होती है, मनुष्य जीवन कष्ट रहित हो जाता है और साथ ही समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।

मां दुर्गा की उपासपना के ये तीन मंत्र हैं:  

 1. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

2. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

3. ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’

चैत्र नवरात्र में कलश स्थापना का क्या है शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार आज चेत्र नवरात्र की पूजा और कलश स्थापना का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त इस प्रकार हैं:- 

  • ब्रह्रा मुहूर्त- सुबह 04:31 से 05: 17 तक।
  • अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:57 से दोपहर 12: 48 तक।
  • विजय मुहूर्त- दोपहर 02:30 से दोपहर 03: 21 तक।
  • गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:42 से शाम 07: 05 तक।
  • अमृत काल:  रात्रि 10:38 से रात्रि 12: 04 तक।
  • निशिता काल:  रात्रि 12:00 से 12: 45 तक।
  • सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 07:32 से शाम 05: 06 तक।
  • अमृत सिद्धि योग: सुबह 07:32 से शाम 05: 06 तक।

मां दुर्गा के नौ स्वरूप 

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