
आज से शुरू हो रही चैत्र नवरात्रि, क्या है घट स्थापना का श्रेष्ठ मुूहूर्त
घट स्थापना से शुरू होगी मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना
तीन मंत्रों से उपासना पर मां होती है प्रसन्न
हर दिन मां के अलग अलग स्वरूपों की होगी पूजा-अर्चना
घट स्थापना का श्रेष्ठ मुहुर्त सुबह 11.57 बजे से 12.48 बजे तक होगा
ऐसे करें मां दुर्गा की आराधना
मां दुर्गा में ही ब्रह्मा-विष्णु-महेश
आज मंगलवार 9 अप्रेल से चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri) शुरू हो रहे हैं, नवरात्र के नौ दिनों में हम परम ब्रह्म शक्ति की उपासना करके खुद को और परिवार को दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से बचा सकते हैं। शास्त्रों की मानें तो देवी भागवत के अनुसार मां दुर्गा (Durga) ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में सृष्टि का सृजन, पालन और संहार करती हैं। वहीं भगवान शिव के कहने पर रक्तबीज शुंभ-निशुंभ, मधु-कैटभ आदि दानवों का संहार करने के लिए मां पार्वती ने असंख्य रूप धारण किए, किंतु देवी के प्रमुख नौ रूपों (मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री) की इन नौ दिनों में पूजा-अर्चना की जाती है।
हर दिन होती है मां के अलग स्वरूप की पूजा
मां दुर्गा की उपासना के मंत्र
मां दुर्गा की उपासपना के ये तीन मंत्र हैं:
1. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
2. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
3. ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’
चैत्र नवरात्र में कलश स्थापना का क्या है शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार आज चेत्र नवरात्र की पूजा और कलश स्थापना का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त इस प्रकार हैं:-
- ब्रह्रा मुहूर्त- सुबह 04:31 से 05: 17 तक।
- अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:57 से दोपहर 12: 48 तक।
- विजय मुहूर्त- दोपहर 02:30 से दोपहर 03: 21 तक।
- गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:42 से शाम 07: 05 तक।
- अमृत काल: रात्रि 10:38 से रात्रि 12: 04 तक।
- निशिता काल: रात्रि 12:00 से 12: 45 तक।
- सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 07:32 से शाम 05: 06 तक।
- अमृत सिद्धि योग: सुबह 07:32 से शाम 05: 06 तक।