फर्जी NOC से ऑर्गन ट्रांसप्लांट प्रकरण में मंत्री-एसीएस के पास नहीं कोई जवाब

फर्जी NOC से ऑर्गन ट्रांसप्लांट प्रकरण में मंत्री-एसीएस के पास नहीं कोई जवाब

राजस्थान में ऑर्गन ट्रांसप्लांट फर्जी एनओसी मामले में SIT गठित

स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग की जांच रिपोर्ट हुई विवादित

विवादित रिपोर्ट को लेकर मंत्री और एसीएस के ने साधी चुप्पी

चिकित्सा मंत्री खींवसर और एसीएस शुभ्रा सिंह ने कहा आगे की जांच SIT करेगी

जयपुर। ऑर्गन ट्रांसप्लांट (Organ Transplant Case) के लिए फर्जी NOC प्रकरण में स्वास्थ्य और चिकित्सा विभाग की ओर से बनाई गई जांच कमेटी और उसकी रिपोर्ट विवादित हो गई है। विभागीय जांच कमेटी की रिपोर्ट पर सवाल उठ रहे हैं कि कमेटी ने प्रकरण में शामिल कुछ बड़े अफसरों  और डॉक्टरों को बचाने की कोशिश की है।

 

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कार्रवाई और जांच पुलिस की एसआईटी करेगी

चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर (Medical Minister Gajendra Singh Khinvsar) और अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह (Additional Chief Secretary Shubhra Singh ) से जब जांच कमेटी की कमियों को उजागर कर इस बारे में पत्रकारों ने सवाल किए तो मंत्री और एसीएस दोनों ने चुप्पी साध ली। उन्होंने केवल ये ही कहा कि मामले में अब आगे की कार्रवाई और जांच पुलिस की ओर से गठित SIT करेगी। उन्होंने कहा कि मामले में ट्रांसपेरेंसी और निष्पक्ष जांच में चिकित्सा विभाग की कोई भूमिका नहीं रहेगी। 

 

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1 साल में सरकारी अस्पताल में 82 ऑर्गन ट्रांसप्लांट

आपको बता दें कि चिकित्सा विभाग की ओर से गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट की जानकारी देते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने कहा कि पिछले 1 साल में 82 ऑर्गन ट्रांसप्लांट सरकारी अस्पताल में हुए। इसमें 54 ट्रांसप्लांट सवाई मानसिंह हॉस्पिटल (SMS Hospital) के सुपर स्पेशलिटी विंग में हुए। इसमें 8 ऐसे ट्रांसप्लांट थे, जिसमें रिलेटिव नहीं थे। लेकिन अभी तक इन सवालों के जवाब नहीं मिले हैं कि एसएमएस में हुए 54 ट्रांसप्लांट किस डॉक्टर ने किए और उन मरीजों को एनओसी कहां से मिली? एसएमएस में ट्रांसप्लांट करने वाले डॉक्टरों पर कमेटी या सरकार ने क्या कार्यवाही की? जबकि ट्रांसप्लांट करने वाले वाले एक डॉक्टर को सरकार ने आरयूएचएस का कुलपति क्यों बना दिया ?

 

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कमेटी ने तीन डॉक्टरों को हटाया पद से, कमेटी पर ही खड़े हुए सवाल

आपको ये भी बता दें कि कमेटी ने अपनी जांच में केवल तीन डॉक्टर को दोषी माना है। इनमें डॉ. राजीव बगरहट्‌टा, डॉ. अचल शर्मा और डॉ. राजेन्द्र बागड़ी को दोषी मानते हुए पद से हटाने की कार्रवाई की है, वहीं उन्हें 16CCA का नोटिस जारी भी किया गया है। जबकि एडवाइजरी कम स्टेट लेवल ऑथोराइजेशन कमेटी में डॉ. राजीव बगरहट्‌टा चेयरमैन और सदस्य के तौर एसएमएस हॉस्पिटल के अधीक्षक के अलावा डॉ. रामगोपाल यादव, डॉक्टर अनुराग धाड़क, उपनिदेशक (प्रशासन) राजमेस के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता भावना जगवानी और अपर्णा सहाय भी सदस्य के तौर पर मनोनित है। तो अन्य लोगों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई इस पर विभाग के पास कोई जवाब नहीं है।  

 

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पूरे घटनाक्रम में एक महत्वपूर्ण बात ये भी सामने आई है कि स्टेट एप्रोप्रिएट ऑथोरिटी प्रमुख के रूप में डॉ. रश्मि गुप्ता पिछले एक साल से काम कर रही हैं। जिनके पास मजिस्ट्रेट के पावर थे इसके बावजूद भी किसी भी निजी चिकित्सालय की जांच नहीं की 

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