आलोक बेनीवाल, लालचंद कटारिया, रिछपाल-विजयपाल मिर्धा, राजेंद्र यादव भाजपा में शामिल…!

आलोक बेनीवाल, लालचंद कटारिया, रिछपाल-विजयपाल मिर्धा, राजेंद्र यादव भाजपा में शामिल…!

डर या अवसर, दिग्गज कांग्रेसी क्यों शामिल हो रहे भाजपा में…?

क्या कह रहा राजस्थान की राजनीतिक हवा का रुख?

क्या कांग्रेसियों को सता रहा CBI, ACB, ED का डर?

 

विजय श्रीवास्तव।

जयपुर। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की बड़ी हार के बाद अब राजस्थान के कांग्रेसी नेताओं ने भाजपा में जाने का मन बना लिया है। पहले कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ नेता महेंद्रजीत सिंह मालवीय भाजपा में शामिल हुए और अब राजस्थान कांग्रेस के पांच बड़े नेता रविवार 10 मार्च को भाजपा का दामन थानमे जा रहे हैं। इन नेताओं के भाजपा में शामिल होने का कारण अवसर है या डर है ये तो सटीक रूप से ये लोग खुद ही बता सकते हैं। लेकिन राजनीतिक प्रेक्षक इस बारे में अपनी अलग-अलग राय रखते हैं किसी को ये केंद्रीय जांच एजेंसियों जैसे CBI, ACB, ED  डर समझ आ रहा है तो कुछ को ये अवसरवादिता लग रही है।

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इन्हें किसका डर या इनके पास कैसा अवसर?

आपको बता दें कि विधानसभा चुनावों में भाजपा की एक तरफ जीत के बाद से ही कांग्रेसियों का उत्साह कुछ कम नजर आ रहा था, ऐसे में राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो एक के बाद एक भाजपा का देशभर में अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं पर CBI, ACB, ED  का शिकंजा राजनेताओं को भाजपा की तरफ रुख करने को मजबूर कर रहा है। आए दिन अन्य दलों के नेताओं पर कार्रवाई और कोर्ट कचहरी और जेल की हवा खाने के डर के चलते राजनेता अब भाजपा का रुख कर रहे हैं।

वहीं दूसरी और कुछ राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो इसे अवसरवादिता कहना भी गलत नहीं होगा। क्योंकि कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर अब कोई सर्वमान्य बड़ा नेता नजर नहीं आ रहा है वहीं राजस्थान कांग्रेस में भी कांग्रेस के दो बड़े नेताओं में फूट के चलते कांग्रेस की नईया में सुराख नजर आने लगा है। अब इन नेताओं को लग रहा है कि अगर आगे का राजनीतिक करियर सुकून में गुजारना है तो भाजपा की बहती गंगा में हाथ धो लेने में ही फायदा है। ऐसे में कांग्रेस को डूबती नइया मानकर कांग्रेस के दिग्गज नेता किनारा कर भाजपा के साथ जुड़ रहे हैं। अब इसे अवसर कहेंगे या डर ये जनता स्वयं तय कर ले।

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आलोक बेनीवाल

राजस्थान सहित तीन राज्यों में कांग्रेस की राज्यपाल रहीं कमला बेनीवाल के बेटे आलोक बेनीवाल कांग्रेस को छोड़ भाजपा में शामिल होने जा रहे हैँ। कांग्रेस से 2018 के बाद 2023 में भी टिकट नहीं मिलने के बावजूद निर्दलीय उम्मीदवार बनकर बड़ी जीत हासिल करने वाले बेनीवाल और भाजपा दोनों एक दूसरे के लिए बैसाखी बन सकत हैं ऐसे में आलोक बेनीवाल के भाजपा में शामिल होने से शाहपुरा में उन्हें एक मजबूत राजनेता मिल जाएगा। ऐसा माना जा रहा है कि रविवार को दोपहर बेनीवाल जयपुर में भाजपा ज्वॉइन कर सकते हैं।

 

लालचंद कटारिया, रिछपाल-विजयपाल मिर्धा

कांग्रेस में वरिष्ठ पदों पर रहे कैबिनेट मंत्री भी रहे लालचंद कटारिया के भाजपा में जाने की खबर से कांग्रेस में बड़ी निराशा है। गहलोत के करीबी माने जाने वाले कटारिया अभी तक गहलोत सरकार में बड़े पोर्टफोलियो पर ही रहे हैं। विधानसभा चुनाव भी उन्होंने नहीं लड़ा और न ही चुनाव प्रचार में एक्टिव नजर आए, वहीं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के साथ भी कई समारोह में मंच साझा करते नजर आए लालचंद कटारिया को लेकर ये मायने निकाले जा रहे थे कि कटारिया का अब कांग्रेस से मन भर चुका है हालांकि कटारिया ने तब संदेश दिया था कि फिलहाल आध्यात्म की तरफ रुख करने का मन है।

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लिफाफा देख मजमून भांप लेने में एक्सपर्ट हैं कटारिया

 राजस्थान में सत्ता बदलते ही भाजपा की तरफ रुख करने के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं उनमें से एक कारण ये भी है कि शायद उन्हें लगता है अगले कुछ वर्षों तक मोदी के नाम पर भाजपा देशभर में राज करने वाली है। ऐसे में भविष्य में कुछ समय और शांति से निकल जाए इसके लिए उनका ये कदम उठाना जरूरी सा लगता है। ऐसा माना जा रहा है कि डेगाना के पूर्व विधायक विजयपाल मिर्धा और समधि रिछपाल मिर्धा के भाजपा में शामिल होने के पीछे विजयपाल मिर्धा के ड्राइवर का एक साल से लापता होने के चलते इस परिवार पर लगातार भाजपा के हमलावर होना भी रिछपाल मिर्धा उनके बेटे विजयपाल मिर्धा के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। ऐसे में विजयपाल के ससुर लालचंद कटारिया पर राजनीतिक दबाव के चलते उन्हें भी भाजपा में शामिल होना माना जा रहा है।

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राजेंद्र यादव

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी रहे राजेंद्र यादव पूर्व में कांग्रेस में गृह मंत्री रह चुके हैं। हाल ही में मंत्री रहते केंद्रीय एजेंसी ED ने बहरोड़ और कोटपूतली में मिड डे मील घोटाले मामले में कार्रवाई कर राजेंद्र यादव और उनके दोनों बेटों पर शिकंजा कसना शुरु कर दिया था। अब राजस्थान में सत्ता परिवर्तन होने के बाद क्या हो सकता है इसके दूरगामी परिणामों को सोचकर राजेंद्र यादव ने भी झमेलों से बचने के लिए भाजपा ज्वॉइन करने का मन बना लिया है। आज वे भाजपा में शामिल हो रहे हैं।

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बहरहाल कांग्रेस का दामन छोड़ ये नेता भाजपा में शामिल हो तो रहे हैं लेकिन सियासी गलियारों में ये चर्चा है कि ये कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को भाजपा में शामिल होने के पीछे डर और सियासी मजबूरी दोनों ही कारण हैं। ऐसे में क्या भाजपा के लिए ये नेता वफादार साबित होंगे। ये कहना बहुत मुश्किल है। ऐसा कहा जाता है कि डंडे के जोर पर जो काम होता है उसमें सहमति कम मजबूरी ज्यादा होती है। सियासत के जानकारों का यह भी कहना है कि समय-समय की बात है मौसम बदलते रहते हैं और मौसम के साथ राजनीति में लोग भी यहां वहां जाते आते रहते हैं। शायद इसलिए आज जो कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो रहे हैं वो कल समय बदलते ही फिर कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे।

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