
(कैपिटल ऑफ द बाइसिकल) एम्सटर्डम की साइकिल संस्कृति: सेहत, पर्यावरण और जीवनशैली का उत्कृष्ट उदाहरण…
खुली सड़कों, आधुनिक डिजाइन और हर वर्ग के लोग
करोड़पति से लेकर आम नागरिक तक — साइकिलिंग यहां बन चुकी है फैशन
भारत में भी अपनाया जाए यह मॉडल — स्वच्छ हवा और स्वस्थ जीवन के लिए
विनोद गेरा,
जयपुर/एम्सटर्डम, dusrikhabar.com। नीदरलैंड की राजधानी एम्सटर्डम ने साइकिल चलाना सिर्फ एक परिवहन विकल्प नहीं, बल्कि जीवनशैली का हिस्सा बना लिया है। यह शहर न केवल अपनी खूबसूरत बंदरगाहों, बनावट और डिजाइन के लिए जाना जाता है बल्कि यहाँ साइकिलिंग की संस्कृति ने हर वर्ग—करोड़पति से लेकर छात्र तक को अपनी ओर आकर्षित किया है। इस उदाहरण से भारत में यह संदेश मिलता है कि स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों पर ध्यान देना अब सिर्फ विकल्प नहीं, बल्कि ज़रूरत बन गया है।
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“कैपिटल ऑफ दी बाइसिकल्स”
एम्सटर्डम में साइकिल पर निर्भरता बेहद ज़्यादा है। एम्सटर्डम की आबादी करीब 9 लाख 33हजार है। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि इस देश में 8 लाख साइकिल्स हैं, यानि यहां हर एक परिवार के लगभग सभी सदस्यों के पास अपनी एक साइकिल है। इस लिए इस शहर को “कैपिटल ऑफ दी बाइसिकल्स” कहा जाता है। शहर ने चारों तरफ साइकिल लेन, साइकिल-पार्किंग व्यवस्था और वाहनों की जगह दोपहिया चुनने वाले नागरिकों के लिए सहज माहौल तैयार किया है।
इस शहर में बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग तक अपनी अपनी साइकिल चलाते हैं। इस शहर में साइकिल चलाने वालों को सर्वोच्च प्राथमिकता मिलती है उनके लिए शहर में हर सड़क पर एक डेडिकेटेड कॉरिडोर बनाया गया है। AMSTERDAM Bike City+2Wikipedia+2 यही नहीं, आंकड़ों के अनुसार इस शहर में “प्रति व्यक्ति एक से अधिक साइकिल” मौजूद हैं। साथ ही हर गली मोहल्ले के कॉर्नर पर एक डेडिकेटेड साइकिल स्टैंड भी बने हुए हैं। जहां ये लोग लॉक लगाकर अपनी साइकिल रखते हैं। ShunAuto+1
इस व्यवस्था का परिणाम साफ है—कारों पर निर्भरता कम हुई है, वायु-प्रदूषण घटा है और शहर अधिक लाइव-एबल (जीने योग्य) बन गया है। WWF

सााइकिलिंग स्वास्थ्य, फिटनेस और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक
एम्सटर्डम जैसे विकसित शहर में ‘साइकिल चलाना’ सिर्फ ट्रेफिक समस्या हल करने का माध्यम नहीं—बल्कि स्वास्थ्य, फिटनेस और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक बन गया है। इसके साथ ही, सड़कों की समरूपता, घरों की खूबसूरती और चारों ओर का साफ-सुथरा माहौल हमें यह प्रेरणा देता है कि हमें अपने आस-पास के वातावरण की देखभाल करनी चाहिए।

हम भारत में क्या सीख सकते हैं?
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शहरों में साइकिल लेन बनाना, बस लेन को साइकिल के अनुकूल बनाना व ट्रैफिक नियमों में बदलाव करना।
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लोगों को साइकिल उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सुविधा-मूलक कार्यक्रम (स्कूल-कॉलेज में “साइकिल टू स्कूल/कॉलेज”, ऑफिस पार्किंग में साइकिल स्टैंड) शुरू करना।
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निजी व्यक्तियों को प्रेरित करना कि कार की बजाय साइकिल चुनें—स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए लाभदायक।
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स्थानीय-स्तर पर स्वच्छता, हरियाली व स्थानीय उत्पादों को अपनाना, जिससे “स्वदेशी एवं हरित जीवन” को बल मिले।
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