गणेश चतुर्थी 2025: कल पूजा का शुभ मुहूर्त और सरल पूजन विधि

गणेश चतुर्थी 2025: कल पूजा का शुभ मुहूर्त और सरल पूजन विधि

बुधवार को होगी घर-घर में गणेश जन्मोत्सव की धूम 

गणेश चतुर्थी का अलग अलग स्थान के अनुसार शुभ मुहूर्त 

कैसे होंगे भगवान गणेश प्रसन्न?  कैसे करनी चाहिए भगवान गणेश की आराधना? जानिए सब कुछ…

विजय श्रीवास्तव

जयपुर,(dusrikhabar.com)। बुधवार यानी 27 अगस्त 2025 को गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े समर्पण और भक्ति के साथ मनाया जाएगा। इस दिन भगवान गणेश की घर-घर में शिव और पार्वती के पुत्र भगवान गणेश का जन्मोत्सव मनाया जाता है। रिद्धी सिद्धी के स्वामी भगवान गणेश के जन्मदिन को लोग बड़े ही उत्साह से मनाते हैं।

गणपति बप्पा मोरया

महाराष्ट्र में इस दिन को त्योहार के रूप में मनाया जाता है। हालांकि राजस्थान और अन्य राज्यों में भी भगवान गणेश के जन्मोत्सव को लेकर लोगों में उमंग और उत्साह का माहौल रहता है।

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मोती डूंगरी गणेशजी मंदिर में आरती करते महंत कैलाश शर्मा

मोती डूंगरी गणेशजी मंदिर में आरती करते महंत कैलाश शर्मा।

राजस्थान की राजधानी जयपुर के मोती डूंगरी श्री गणेश मंदिर के महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि गणेश चतुर्थी को हमारे यहां 9 दिवसीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का पूजन मुहूर्त, कलश स्थापना समय और गणेश जी की पूजन विधि विशेष महत्व रखती है—जो बाधा निवारण, सौभाग्य और समृद्धि का द्वार खोलती है।

कल का गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त

  • पूजा का मुख्य (मध्याह्न) मुहूर्त: सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:40 बजे तक रहेगा, जो कुल 2 घंटे 34 मिनट का समय है—यह समय विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।

  • वैकल्पिक शुभ मुहूर्त (मध्याह्न में न हो पाने पर): सुबह—विभिन्न योग (लाभ, अमृत, शुभ आदि) जैसे समयों में पूजा की जा सकती है।

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  • शहर-विशिष्ट समय (जगह और स्थान के अनुसार):

    1. नई दिल्ली: 11:05–1:40

    2. मुंबई: 11:24–1:55

    3. जयपुर: 11:11–1:45 (उदाहरण)

  • पूजन से पहले—स्थापना की सरल विधि 

    1. पूजन स्थल (मंदिर/घर) को पहले गंगाजल से स्वच्छ करें

    2. एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएँ, गणेश जी की मूर्ति को पूर्व-प्रमुख स्थापित करें।

    3. संकल्प लें, हाथ में जल, अक्षत, फूल, सुपारी करके ‘ॐ गं गणपतये नमः’ या अन्य मंत्रों का उच्चारण करें।

    4. मूर्ति को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) से स्नान कराएँ, फिर दूर्वा, फूल, अक्षत, सिंदूर, हल्दी, मोदक या लड्डू अर्पित करें।

    5. आरती करें, पूजा समाप्ति पर गरीबों या ब्राह्मणों में प्रसाद बाँटें।

  • पूजा का महत्व और विशेष बात

    1. मध्याह्न मुहूर्त इसलिए अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान गणेश का जन्म इसी समय हुआ था।

    2. विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और सफलता व समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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गणेश चतुर्थी पर्व

ज्योतिषी एवं वास्तु आचार्य पूनम गौड के अनुसार जानें क्या है पूजन का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषी एवं वास्तु आचार्य पूनम गौडगणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, बुधवार, 27 अगस्त, 2025 को मनाई जाएगी। मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त: प्रातः 11:05 बजे से दोपहर 01:40 तक, जो भगवान गणेश का आशीर्वाद पाने के लिए एकदम सही समय है। यह समय अनुष्ठानों के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है।

गणेश विसर्जन का दिन और समय रहेगा शनिवार, 6 सितंबर 2025

बहुत जरूरी बात ये है कि भाद्रपद की चतुर्थी का चांद नहीं देखा जाता। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चांद देखने से मिथ्या दोष लगता है, जिससे झूठे आरोप लगते हैं।

इससे बचने के उपाय, : 26 अगस्त, 2025 को दोपहर 01:54 से रात 08:29 तक और 27 अगस्त, 2025 को सुबह 09:28 से रात 08:57 तक के बीच चांद नही देखना चाहिए। 

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10 दिन के लिए प्राण प्रतिष्ठा, पूजा एवं व्रत होता है फलदायी

गणेश चतुर्थी को गणेश जी प्रतिमा को घर में लाया जाता है। ये ध्यान रखना चाहिए कि घर मे स्थापना करने वाली मूर्ति सवा फुट से ऊँची न हो। सजा कर मूर्ति को 10 दिनों के लिए स्थापित किया जाता है, प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। साथ मे गणपति स्वरूप एक सुपारी को भी स्थापित किया जाता है। मूर्ति को तो स्थापना के दिन षोडशोपचार से पूजा जाता है किंतु जो छोटे गणेश जी स्थापित हैं सुपारी के रूप में, उनका रोज पंचोपचार या षोडशोपचार से पूजन करना चाहिए। 10 दिनों तक 2 समय पूजा अर्चना अवश्य की जाती है। किन्तु जो लोग पूरे 10 दिनों तक पूजा अर्चा न कर सकें वे 1,3,5, अथवा 7 दिनों तक पूजा कर सकते हैं।

गणेश व्रत भी पूरे 10 दिनों तक रखा जा सकता है. किन्तु ये अनिवार्य नहीं है। अनन्त चौदस के दिन गणेश मूर्ति का विसर्जन सूर्यास्त के समय किया जाता है। इस समय गणेशजी को कम से कम 21 मोदक अवश्य भोग लगाएं। वैसे तो विसर्जन का रिवाज महाराष्ट्र में ही है, उत्तर भारत मे गणपति का विसर्जन नहीं किया जाता। उत्तर भारत में जो गणपति घर मे होते हैं, उन्हीं की पूजा 10 दिन तक की जाती है।

मोती डूंगरी गणेश मंदिर में दर्शनार्थी आरती के बाद चरणामृत लेते श्रद्धालु।

गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?

पूरे भारतवर्ष में गणेश चतुर्थी भगवान गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र गणेश जी का जन्म हुआ था

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प्रमुख कारण और महत्व

  1. भगवान गणेश का जन्मोत्सव

    • इस दिन भगवान गणेश का प्राकट्य हुआ, इसलिए इसे गणेश जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं।

    • इन्हें विघ्नहर्ता और सिद्धिदाता कहा जाता है, इसलिए भक्त गणेश जी को अपने घर-पांडाल और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में स्थापित करते हैं।

  2. सभी कार्यों के आरंभ में प्रथम पूजन

    • गणेश जी को प्रथम पूज्य माना गया है।

    • मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य से पहले गणपति पूजन करने से कार्य में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं और सफलता मिलती है।बाल गणेश

  3. सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

    • इस त्योहार में लोग पंडाल सजाते हैं, गणेश प्रतिमा स्थापित करते हैं, भक्ति गीत, नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।

    • इससे लोगों में भाईचारा, श्रद्धा और सामूहिक उत्सव की भावना विकसित होती है।

धार्मिक मान्यता

  • शास्त्रों के अनुसार, गणेश जी को ऋद्धि-सिद्धि और बुद्धि के देवता कहा जाता है।

  • गणेश चतुर्थी पर श्रद्धापूर्वक पूजा करने से जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं और सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।

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