12 राज्यों में ‘सूचना भवन’ केंद्र सरकार की ₹480 करोड़ रुपए की बड़ी परियोजना…

12 राज्यों में ‘सूचना भवन’ केंद्र सरकार की ₹480 करोड़ रुपए की बड़ी परियोजना…

केंद्र सरकार का 12 राज्यों में सूचना भवनों के निर्माण का निर्णय 

क्षेत्रीय मीडिया को सशक्त करने की वर्षों में सबसे बड़ी पहल

चुनावों से पहले सरकार-मीडिया संवाद की नई रणनीति

₹480 करोड़ की योजना के तहत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की मीडिया इकाइयों को एक छत के नीचे लाने की योजना

आगामी अहम चुनावों से पहले बुनियादी ढांचे को उन्नत करेगी केंद्र सरकार 

विजय श्रीवास्तव,

दिल्ली/जयपुर, (dusrikhabar.com)। केंद्र सरकार ने क्षेत्रीय मीडिया को सशक्त करने और सरकारी अभियानों के समन्वय को बेहतर बनाने के लिए 12 राज्यों में आधुनिक ‘सूचना भवनों’ के निर्माण की घोषणा की है। करीब ₹480 करोड़ की इस परियोजना को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (I&B) लागू करेगा। 

यह योजना सूचना एवं प्रसारण (I&B) मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित की गई है। ये सूचना भवन दिल्ली के नेशनल मीडिया सेंटर की तर्ज पर बनाए जाएंगे और इनमें मंत्रालय की प्रमुख मीडिया इकाइयों —

  • प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB)
  • केंद्रीय संचार ब्यूरो (CBC)
  • प्रकाशन विभाग (DPD)
  • केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) — को एक ही परिसर में शामिल किया जाएगा।

पहले चरण में इन 12 शहरों में होगा सूचना भवनों का निर्माण

लखनऊ, देहरादून, चंडीगढ़, जयपुर, पटना, भुवनेश्वर, गुवाहाटी, अहमदाबाद, बेंगलुरु, तिरुवनंतपुरम, हैदराबाद और कोलकाता
प्रत्येक भवन पर अनुमानित लागत ₹40 करोड़ होगी, यानी कुल मिलाकर करीब ₹480 करोड़ का खर्च।

सूचना भवनों में ये होंगी प्रमुख सुविधाएं

  • प्रेस कॉन्फ्रेंस और फिल्म स्क्रीनिंग के लिए ऑडिटोरियम
  • मीडिया वर्कस्टेशन
  • ई-लाइब्रेरी
  • वीआईपी लॉन्ज
  • क्रेच, जिम जैसी कल्याणकारी सुविधाएं
  • ग्रीन बिल्डिंग सुविधाएं जैसे सौर पैनल, वर्षा जल संचयन और अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली

तकनीकी विशेषताओं से लैस होंगे नए सूचना भवन

  • आधुनिक मॉड्यूलर वर्कस्टेशन
  • एर्गोनॉमिक फर्नीचर
  • हाई-स्पीड इंटरनेट
  • सुरक्षित सर्वर
  • IP आधारित EPABX सिस्टम
  • LAN नेटवर्क
  • एक्सेस कंट्रोल, CCTV कैमरे और बैगेज स्कैनर

ये भवन आकाशवाणी (All India Radio) या दूरदर्शन परिसरों में उपलब्ध खाली जमीन पर बनाए जाएंगे, ताकि इन तक आसान पहुँच हो सके और संचालन में सुविधा हो।

योजना की आवश्यकता के पीछे क्या रहे कारण? 

मंत्रालय की मीडिया इकाइयों के कार्यालय अभी अलग-अलग जगहों पर, निजी किराए की इमारतों में स्थित हैं, जो अक्सर राज्य सरकार के दफ्तरों से दूर होते हैं।
अधिकारियों के अनुसार, इससे समन्वय में बाधा आती है और सरकारी अभियानों के कार्यान्वयन में देरी होती है।

“इससे राज्य या क्षेत्रीय स्तर पर सूचना के प्रसार और अभियानों के क्रियान्वयन में प्रभावशीलता नहीं आ पाती।”

ऐसी होगा सूचना भवन की संरचना

  • हर भवन भूतल + 4 मंजिल का होगा
  • भूतल में तीन बहुउद्देश्यीय ऑडिटोरियम होंगे, जिनकी प्रत्येक की क्षमता 150 लोगों की होगी।
  • इनका संचालन निजी एजेंसी द्वारा किया जाएगा, जिसे निविदा प्रक्रिया के जरिए चुना जाएगा।

इन भवनों में ऑडिटोरियमों का ऐसे होगा उपयोग

  • केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रियों की प्रेस कॉन्फ्रेंस
  • CBC की फिल्म स्क्रीनिंग
  • बड़े सम्मेलन
  • सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ (नृत्य, नाटक आदि)
  • ऑडियो-विजुअल उपकरणों से युक्त बहुउपयोगी कार्यक्रमों के लिए

इस परियोजना की अन्य प्रमुख खास बातें

  • पत्रकारों के लिए मीडिया सेंटर जिसमें 25-30 वर्कस्टेशन होंगे
  • PIB अधिकारियों से संवाद के लिए ई-लाइब्रेरी
  • CBC के विज्ञापन सामग्री का भंडारण
  • DPD पुस्तकों की प्रदर्शनी के लिए लॉन्ज
  • दैनिक समाचार पत्र वितरण केंद्र
  • वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से युक्त कॉमन कॉन्फ्रेंस रूम
  • गीत एवं नाट्य प्रभाग (Song and Drama Division) के लिए रिहर्सल हॉल
  • आगंतुक गणमान्य व्यक्तियों के लिए वीआईपी लॉन्ज
  • स्थानीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मॉनिटरिंग सेंटर (EMMC) की तकनीकी इकाइयां
  • आगंतुक अधिकारियों के लिए ट्रांजिट गेस्ट रूम
  • क्रेच, योग कक्ष और जिम जैसी कल्याणकारी सुविधाएं

निर्माण प्रक्रिया में इनका रहेगा समन्वय

  • PIB द्वारा नामित एक नोडल अधिकारी संबंधित विभागों से अनुमोदन के लिए समन्वय करेगा
  • अंतिम भवन डिज़ाइन को केंद्रीय और राज्य स्तर की समितियों द्वारा मंजूरी दी जाएगी

परियोजना का संक्षिप्त विश्लेषण

केंद्र सरकार की यह पहल केवल एक प्रशासनिक निर्णय भर नहीं है, बल्कि मीडिया प्रबंधन और संवाद की नई रणनीति भी है। आगामी राज्य और लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र सूचना भवनों का निर्माण सीधे तौर पर सरकार और क्षेत्रीय मीडिया के बीच की दूरी कम करेगा।

इन भवनों में आधुनिक सुविधाएँ और साझा कार्यालय व्यवस्था न केवल प्रशासनिक कार्यकुशलता बढ़ाएँगे बल्कि सरकारी योजनाओं की “मैसेजिंग” भी तेज़ और संगठित होगी। पर्यावरण-अनुकूल तकनीक और कर्मचारी कल्याण की दृष्टि से सुविधाएँ इस परियोजना को भविष्यवादी बनाती हैं।

हालाँकि आलोचक इसे सरकार का “मीडिया पर पकड़ मज़बूत करने” का कदम भी कह सकते हैं। इसलिए, इस परियोजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि यह संस्थान केवल प्रचार का माध्यम बनें या वास्तव में सरकार और जनता के बीच एक पारदर्शी सूचना-पुल की भूमिका निभाएं।

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