पर्यटकों की नई डेस्टीनेशन पर्यटन भवन, साक्षात पधारे भगवान गजानन और तीज माता का अलौकिक-मनोहारी दृश्य…

पर्यटकों की नई डेस्टीनेशन पर्यटन भवन, साक्षात पधारे भगवान गजानन और तीज माता का अलौकिक-मनोहारी दृश्य…

राजस्थान पर्यटन भवन में तीज माता और गणेशजी की भित्ति चित्रकला: परंपरा, संस्कृति और कला का अद्भुत संगम

उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी के संरक्षण में साकार हुआ परंपरागत शैली का अनुपम भित्ति चित्रण

रामू रामदेव और उनके भाइयों की आठ महीने की तपस्या से जन्मा सांस्कृतिक चमत्कार

24 कैरेट गोल्ड लीफ, चांदी और गंगाजल से सजी शाही तीज माता की सवारी

विजय श्रीवास्तव, 

जयपुर, (dusrikhabar.com)। उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी की पहल पर राजस्थान में अब भ्रमणीय स्थलों की सूची में एक और नाम पर्यटन भवन के रूप में शामिल होने जा रहा है…! दरअसल इन दिनों पर्यटन भवन में मुख्य प्रवेश द्वार के अंदर स्वागत कक्ष में भगवान गजानन, तीज माता और राजस्थान के साहस की भरी शौर्य गाथाएं लिए गढ़, किले, स्तंभ और महल आपका स्वागत करते नजर आएंगे। पर्यटन मंत्री दिया कुमारी ने करीब 8 महीने पहले चित्रकार रामू रामदेव से पर्यटन भवन के इस स्वागत हॉल में राजस्थान की पर्यटनीय, सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को दिखाने की मंशा जाहिए की थी और राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित रामू रामदेव को इसका जिम्मा सौंपा था जो आज पर्यटन भवन में साकार हो उठा है। 

“पर्यटन भवन में नजर आना चाहिए राजस्थान” दिया कुमारी

उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी ने राजस्थान की पारंपरिक भित्ति चित्रकाला को समझा और हमेशा संरक्षण प्रदान किया है। रामू रामदेव ने बताया कि दिया कुमारी ने उनसे कहा कि उन्हें “पर्यटन भवन में राजस्थान नजर आना चाहिए”, यहां आने वाले लोगों को लगना चाहिए कि ये वाकई राजस्थान की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा के अनुरूप प्रदर्शित की गई कला है। यहां आने वालों को इस भवन में राजस्थान का राजसी ठाठ-बाठ दिखना चाहिए यहां की धरोहरों-किलों और महलों की शान शौकत दिखनी चाहिए। बस उन्हीं के मार्गदर्शन और आदेशानुसार हम अपनी कला का सर्वोत्कृष्ठ प्रदर्शन करने का प्रयास कर रहे हैं।

पर्यटन की दृष्टि से भ्रमणीय स्थलों में शामिल होगा

पर्यटन भवन में अब प्रवेश करते ही नजर आएगा भगवान गजानन का अलौकिक परिवार और तीज माता की साक्षात सवारी के साथ राजस्थान के शौर्य-साहस और कला एवं सस्कृति के प्रतीक यहां के किले, महल, स्तंभ और गढ़। जयपुर स्थित पर्यटन भवन में प्रवेश करते ही मुख्य द्वार के सामने प्रथम पूज्य भगवान गणपति अपने परिवार के साथ आपको आशीर्वाद देते नजर आएंगे तो भवन की बाईं दीवार पर 20×8 फीट साइज की तीज माता की सवारी की चित्रकारी का मनोहारी दृश्य एक बारगी आपके कदम रोक देगा, घंटों इस चित्रकारी की कारीगरी की बारीकियों को समझने में निकल जाएंगे। तो भवन के दाहिनी दीवार पर राजस्थान की आन-बान-शान यहां के पांच गढ़ पेंटिंग के माध्यम से उकेरे हुए नजर आएंगे।

Paryatan Bhawan is the new destination for tourists, the supernatural and beautiful sight of Lord Gajanan and Teej Mata appeared in person...

माता तीज की साक्षात सवारी, ऐसा मनोरम दृश्य कहीं और नहीं…

पर्यटन भवन में प्रवेश करते ही मुख्य द्वार के बाएं हाथ की दीवार पर 20×8 फीट साइज की तीज माता की सवारी की चित्रकारी का मनोहारी दृश्य। राजसी ठाठ बाठ के साथ तीज माता की सवारी की मनोरम चित्रकारी रामू रामदेव के परिवार की अद्भुत कला की द्योतक है। चित्र की खास बात है कि जिस तरह से जयपुर में तीज माता की सवारी के दौरान चौकीदार, पंडित और शाही अधिकारी अपनी पोशाकें पहने हुए होते हैं उन्हीं के अनुरूप उनको चित्रित किया गया है। तीज माता लहरिया की साड़ी पहने हुए आभूषणों से सुसज्जित जो कि सोने-चांदी के वर्क से तैयार किए हैं शाही पालकी में सवार हैं जिस पर चांदी का बारीक काम किया गया है।

यह चित्रकारी गंगा -जमुनी संस्कृति को दर्शाती है। श्रृंगार में माता जी का तुरा, बाजूबंद,कड़े और जो भी आभूषण धारण किए हुए हैं वो पूरे शाही हैं। इस पूरी चित्रकारी में 24 कैरेट के गोल्ड लीफ का प्रयोग किया गया है। माताजी का मुस्कुराता हुआ चेहरा आत्मिक शांति प्रदान कर रहा है और माताजी अपनी जनता को आशीर्वाद देती हुईं नजर आ रही हैं।

इस चित्रकारी में आगे हाथी है। चोबदार के हाथ में निशान पचरंगा ध्वज है जो धर्म ध्वजा के नाम से जाने जाते हैं। माताजी की सवारी में लाव लश्कर में सिपाही तलवार, भाड़े लेकर के साथ चल रहे हैं जो माता जी के साथ में जो चंवर ढुला रहे हैं।  माता जी को जो कंधे पर उठाए हुए हैं उन्होंने लाल पोशाक पहनी हुई है और शाही परंपरा के अनुसार जो शाही कर्मचारी है उन्होंने सफेद पोशाकें पहनी हुई हैं। 

पंडित, राजगुरु, पुरोहित भी इस शाही सवारी में तीज माता के साथ हैं। लवाजमे में कांवड़ में माता जी के भोजन प्रसादी साथ लेकर चलते सेवादार हैं माताजी जब सिटी पैलेस से पधार कर पोंडरिक उद्यान में विराजती हैं तो वहां उन्हें जल पान कराया जाता है यानि प्रसाद का भोग लगाया जाता है। माता जी के पीछे पीछे राजस्थानी, राजपूती पोशाक पहने हुए महिलाएं चल रही हैं जो चांदी का कलश धारण किए हुए मंगल गान करती हुईं और सावन में पहनी जाने वाली पौशाक लहरिया धारण किए हुए हैं।

आपको बता दें कि यह रामू रामदेव की मौलिक कृति है। चित्रकारी की खास बात ये भी है कि इसमें पानी के साथ गंगाजल का प्रयोग किया हुआ है। साथ ही राजस्थान की परंपराओं का, कला और संस्कृति का इसमें विशेष ध्यान रखा गया है‌ ।

 

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हर दिशा से गजानंद आपको देखते आएंगे नजर

राजस्थान के पर्यटन भवन में भगवान श्रीगणेश अपनी दोनों पत्नियों रिद्दी-सिद्धी और अपने दोनों पुत्र शुभ-लाभ के साथ बिराजे हैं यहां गणेशजी की पेंटिंग जिस तरह से की गई है आप किसी भी दिशा दाएं-बाएं ऊपर-नीचे चारों तरफ कहीं से भी देखेंगे तो भगवान गणेश आपको देखते हुए नजर आएंगे। इस पेंटिंग की एक खास बात ये है कि इस पेटिंग में गणेशजी के वस्त्र आभूषण और श्रृंगार पूरी तरह सोने और चांदी से निर्मित है। क्योंकि ये एम्बोस्ड चित्रकारी है इसलिए इसलिए सोने चांदी के कार्य के बाद ये और भी मनोरम और सुंदर नजर आती है। जो भी इस भवन में आता है भवन के मुख्य द्वार के बिल्कुल सामने भगवान गणेश को नमन करके ही अपने दिन की शुरुआत करता है। इस पेंटिंग के चारों और शीशम के पेड़ की लकड़ी का पारंपरिक शैली से नक्काशी कर फ्रेम लगाया गया है। साथ ही यहां पर राजस्थानी ठीकरी कला कांच के काम का भी ऊम्दा प्रदर्शन किया गया है, जो इस चित्रकारी की सुंदरता में चार-चांद लगा देता है।

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राजस्थान के पांच गढ़ों की शोभा पर्यटन भवन में

रामू रामदेव ने पारंपरिक चित्रकारों के साथ मिलकर (जो किन उनके परिवार से ही) पर्यटन भवन की दाहिनीं दीवार पर राजस्थान के प्रसिद्ध पांच गढ़ों के चित्रों को उकेरा है। इन पांच गढ़ों में राजस्थान की आन-बान और शान कहे जाने वाले शौर्य, साहस, सुंदरता और कारीगरी के नायाब उदाहरण पेश करने वाले किलों को ऑयल पेंटिंग के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। इन पांच गढ़ों में जोधपुर का मेहरानगढ़, जयपुर का आमेर फोर्ट, चितौड़ का विजय स्तंभ कुंभलगढ़ का अद्भुत किला और भरतपुर में स्थित डीग महल को दर्शाया गया है।

आपको बता दें कि इन सभी चित्रकलाओं के चारों तरफ एक बहुत ही सुंदर सा गोल्डन बॉर्डर भी बनाया गया है जो जापानी गोल्ड से निर्मित है।

क्या है इस पेंटिंग में खास 

  • 20-21 से अधिक कलाकारों ने 8 महीने में पूरी की चित्रकारी
  • पारंपरिक चित्रकला की भित्ति चित्र शैली के साथ-साथ कई अन्य चित्रकला शैली का किया गया उपयोग
  • 125 से अधिक सोने-चांदी के वर्क से तैयार की गई भगवान गणपति के परिवार और मां तीज की सवारी की मनोरम चित्रकारी
  • राजस्थानी में कांच की ठीकरी कला का भी किया गया इस्तेमाल
  • शीशम की लकड़ी पर पीतल की नक्काशी से तैयार किया गया भगवान गजानन की प्रतिमा का फ्रेम

Ramu Ramdev painter painting Tourism Bhawan

राजपरिवार और उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने किया पारंपरिक भित्ति चित्रकला को संरक्षित

इस कला की संरक्षक अगर उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी को कहें तो गलत नहीं होगा क्योंकि उनके परिवार ने और अब उन्होंने इस कला को आगे बढ़ाने के लिए जो कार्य किए हैं वो किसी संरक्षक से कम नहीं हैं। हर वर्ष 21 मई से 21 जून तक एक महीने के लिए राज परिवार के संरक्षण में एक शिविर का आयोजन किया जाता है जहां इस कला को सीखने के लिए हजारों की संख्या में चित्रकला प्रेमी भाग लेते हैं। इस पूरे आयोजन को कोई शुल्क नहीं लिया जाता, ये पूरा आयोजन पूर्णत राजपरिवार के सहयोग से होता है।

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अपडेट जारी है…..

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