वैदिक पंचांग-एकादशी विशेष और आपका आज!

 वैदिक पंचांग 

आज वैदिक पंचांग-एकादशी विशेष में क्या है आपके लिए ?

जानिए वैदिक ज्योतिषी पूनम गौड से आज कैसा रहेगा आपका दिन?

दिनांक – 08 दिसम्बर 2023
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमन्त ॠतु
मास – मार्गशीर्ष
पक्ष – कृष्ण
तिथि – एकादशी 06:31 तक तत्पश्चात द्वादशी
नक्षत्र – हस्त 08:54 तक त्तपश्चात चित्रा
योग – सौभाग्य 00:05 तक तत्पश्चात शोभन
राहुकाल – 10:30 – 12:00 तक
सूर्योदय – 07:01
सूर्यास्त – 17:24
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व – 8 दिसम्बर उत्तपन्ना एकादशी
9 दिसम्बर उत्तपन्ना एकादशी वैष्णव, एकादशी व्रत
10 दिसम्बर प्रदोष
11 दिसम्बर मासिक शिवरात्रि
12 दिसम्बर दर्श अमावस्या

💥 *विशेष – *एकादशी को स्त्री सहवास तथा तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

एकादशी 08 दिसम्बर प्रातः 05:06 से 09 दिसम्बर प्रातः 06:31 तक
व्रत उपवास 09 दिसम्बर 2023 शनिवार को रखा जायेगा।
08 और 09 दिसम्बर दो दिन चावल खाना निषेध।

Read Also:रेवंत रेड्डी ने ली CM की शपथ, रेड्डी को क्यों बनाया CM…

एकादशी व्रत कब रखना इसके पीछे शास्त्रों की सम्मति

👉भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय एकादशी आदि व्रतों को बेध रहित तिथियों में ही करना चाहिए अर्थात शुद्ध एकादशी में ही व्रत करना चाहिए।

👉एकादशी दो प्रकार की होती है सम्पूर्णा तथा विद्धा इसमे विद्धा भी दो प्रकार की होती है पूर्व विद्धा और पर विद्धा।

👉पूर्व विद्धा अर्थात दशमी मिश्रित एकादशी परित्यज्य है । सम्पूर्णा एवं विशेष रूप से पर विद्धा (द्वादशी युक्त एकादशी) शुद्ध होने के कारण उपवास योग्य है किन्तु दशमी युक्त एकादशी में कभी भी उपवास नहीं करना चाहिए । – सौरधर्मोत्तर

👉अरुणोदय काल में अर्थात सूर्योदय से पहले चार दण्ड काल (सूर्योदय से 1 घण्टा 36 मिनट पहले) में यदि दशमी नाममात्र भी रहे तो उक्त एकादशी पूर्व विद्धा दोष से दोषयुक्त होने के कारण सर्वथा वर्जनीय (वर्जित) है । – भविष्य पुराण

👉द्वादशी मिश्रित एकादशी सर्वदा ही ग्रहण योग्य है। “द्वादशी मिश्रित ग्राह्या सर्वत्रैकादशी तिथिः” – पद्मपुराण

👉नारद पुराण में वर्णित है कि जिस समय बहुवाक्य विरोध के कारण संदेह उपस्थित हो उस समय द्वादशी में उपवास करते हुए त्रयोदशी में पारण करना चाहिए किन्तु “जिस शास्त्र में दशमी विद्धा एकादशी पालन कि बात कही गयी है वह स्वयं ब्रह्मा जी द्वारा कहे होने पर भी शास्त्र रूप में गण्य नहीं है”। – नारद पुराण

👉अरुणोदयकाल में दशमी के वेध से रहित एकादशी हो तब उसे शुद्धा एकादशी माना जाता है । – धर्मसिंधु

👉अग्नि पुराण के अनुसार द्वादशी “विद्धा” एकादशी में स्वयं श्रीहरि स्थित होते हैं, इसलिये द्वादशी “विद्धा” एकादशी के व्रत का त्रयोदशी को पारण करने से मनुष्य सौ यज्ञों का पुण्यफल प्राप्त करता हैं । जिस दिन के पूर्वभाग में एकादशी क्लामात्र अविशिष्ट हो और शेषभाग द्वादशी व्याप्त हो, उस दिन एकादशी का व्रत करके त्रयोदशी में पारण करने से सौ यज्ञों का पुण्य प्राप्त होता है । दशमी – विद्धा एकादशी को कभी उपवास नहीं करना चाहिये; क्योंकि वह नरक की प्राप्ति करानेवाली है। – अग्नि पुराण

👉पद्मपुराण में भगवन नारायण एवं ब्रह्मा जी के संवाद में वर्णित है की दशमी विद्धा एकादशी दैत्यों कि पुष्टिवर्द्धनी है इसमें कोई संदेह नहीं।

👉उक्त पुराण में ही उमा महेश्वर संवाद में देखा जाता है जो लोग दशमी विद्धा एकादशी का अनुष्ठान करते हैं वह निश्चय ही नरकवास कि इच्छा करते हैं।

👉प्रायः सभी शास्त्रों में दशमी से युक्त एकादशी व्रत करने का निषेध माना गया है। यदि शुद्धा एकादशी दो घड़ी तक भी हो और वह द्वादशी तिथि से युक्त हो तब उसे ही व्रत के लिए ग्रहण करना चाहिए । दशमी से युक्त एकादशी का व्रत नहीं रखना चाहिए।

👉सामान्य जन साधारण को शुद्धा एकादशी का व्रत रखना ही पुण्यदायक माना गया है।

👉गरुड़ पुराण के अध्याय 125 वें में कहा गया है कि गांधारी ने दशमी से युक्त एकादशी (विद्धा एकादशी) का व्रत रखा था ऐसा करने पर उसने अपने सभी पुत्रों का वध अपने जीवनकाल में ही देख लिया। इसलिए दशमी से युक्त एकादशी का व्रत नहीं रखना चाहिए। अगर कभी ऐसा होता है कि किसी महीने में दशमी से युक्त एकादशी पड़ती है तो मन में संदेह न रखें बल्कि द्वादशी का व्रत रखकर त्रयोदशी में पारण कर दें।

एकादशी व्रत के लाभ

👉एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है।

👉जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है।

👉जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है।

👉एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है।

👉धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है।

👉कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है।

👉परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है। पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ। भगवान शिवजी ने नारद से कहा है: एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है। एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है।

Read Also:जब बंगाल में भाजपा सरकार आएगी, तब इन्हें परिवर्तन क्या होता है, यह समझ आएगा।

एकादशी के दिन करने योग्य

👉एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें……. विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे।

एकादशी के दिन ये सावधानी रहे
👉महीने में १५-१५ दिन में एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के दिन जो चावल खाता है… तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है…

पूनम गौड़ से ज्योतिषीय सलाह लेने के लिए 8826026945 पर व्हाट्सएप्प करें।

CATEGORIES
TAGS
Share This

COMMENTS

Wordpress (0)
Disqus (0 )

अपने सुझाव हम तक पहुंचाएं और पाएं आकर्षक उपहार

खबरों के साथ सीधे जुड़िए आपकी न्यूज वेबसाइट से हमारे मेल पर भेजिए आपकी सूचनाएं और सुझाव: dusrikhabarnews@gmail.com