ममता बढ़ाना चाहती अपना कद !

ममता बढ़ाना चाहती अपना कद !

राज्य से निकलकर अब नेशनल लीडर बनना दीदी की आकांक्षा
कांग्रेस के अलावा अब ममता ही रखती हैं मोदी से लोहा लेने का माद्दा
प्रधानमंत्री मोदी से बंगाल के बाद दिल्ली में टक्कर लेने का माद्दा
इधर वैसे भी नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के सामने नहीं आजमाना चाहता कोई अपना भाग्य
तो क्या अब ममता बनर्जी को दिल्ली में विपक्षियों का मिलेगा सहयोग ?
क्या अगले चुनाव में बंगाल छोड़ राष्ट्रीय राजनीति में हाथ आजमाएंगी ममता ?

-विजय श्रीवास्तव-
दिल्ली। बंगाल में अपनी सियासत को लोहा मनवा कर ममता बनर्जी अब राष्ट्रीय राजनीति में अपना भाग्य आजमाना चाहती हैं। कहते हैं जिसके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता उसे किसी बात का डर भी नहीं होता। बंगाल में पीएम मोदी और अमित शाह की शतरंज की हर चाल को फेल कर बंगाल में फिर से सत्ता हासिल करने वाली ममता दीदी अब केंद्र की चौसर में भाजपा से दो-दो हाथ करने के मूड में नजर आ रही हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार केंद्र को भी अब मजबूत विपक्षी नेता की जरूरत है। कांग्रेस के बाद अब दिल्ली में कोई दूसरा बड़ा चेहरा नहीं है जो पीएम मोदी को सीधे चुनौती दे सके, शायद यही कारण है कि अब विपक्षी दलों से मिलकर ममता कोई नया पैंतरा चलने वाली हैं। इसी उधेड़बुन में जुटीं ममता बनर्जी का आज दिल्ली दौरे पर पहुंच गई हैं। मंगलवार को पीएम मोदी से मिलने के बाद ममता दिल्ली में किसान नेता के तौर पर उभरे राकेश टिकैत से भी मिलेंगी। बकौल ममता राकेश टिकैत ने उन्हें किसान संसद के लिए न्यौता भी भेजा है।


जानकार सूत्रों के अनुसार 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर ममता बनर्जी दिल्ली में अपने प्रस्तावित कार्यक्रम के दौरान विपक्ष के कई दिग्गज नेताओं से मुलाकात कर सकती हैं। ममता अब दिल्ली में विपक्षियों को एकमंच पर लाकर खुद नेशनल लीडर बनना चाहती हैं। हाल ही में उनके संदेश जो उन्होंने शहीदी दिवस के मौके पर दिया उसे पी चिदंबरम, शरद पवार, दिग्विजय सिंह, रामगोपाल और सांसद जया बच्चन, डीएमके आम आदमी पार्टी के नेताओं काफी तवज्जो दी। उनके दिल्ली दौरे दिल्ली का तापमान मानो अचानक बढ़ गया है। ये चर्चा भी दिल्ली में आम है कि ममता अपने दिल्ली दौरे पर सभी विपक्ष के नेताओें को एकजुट कर उनके साथ मंत्रणा करना चाहती हैं। जिसका एजेंडा विपक्षी दलों को भाजपा के खिलाफ मजबूत करना है।


राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मोदी के सामने टिके रहने वाली ममता अब दिल्ली में भी प्रधानमंत्री मोदी से लोहा लेने को तैयार हैं, शायद यही कारण है कि टीएमसी ने विधायक और सांसद नहीं होने के बावजूद ममता बनर्जी को संसदीय दल का नेता बना दिया है। कांग्रेस ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि ये पार्टी का निजी फैसला है। हालांकि इस संबंध में कोई नियम भी नहीं है।

बहरहाल दिल्ली में अब मोदी से मुलाकात को लेकर मोदी के ही मंत्री दिलीप घोष ने विवादित बयान देकर (कि ममता धन की भीख मांगने के लिए मोदी से मिलने आ रही हैं) ये तो साबित कर दिया है कि ममता का खौफ धीरे धीरे दिल्ली का तापमान बढ़ा रहा है। गौरतलब है कि राज्य परेशानी पर केंद्र से ही तो मदद मांगेगा, दूसरे देशों से तो मदद की गुहार लगाएगा नहीं फिर ये बयानबाजी तो गलत हुई न, ऐसे में दूसरी तरफ एक राजनीतिक हल्के में ममता के दिल्ली पहुंचने से ये चर्चाएं भी तेज हो गई हैं कि ममता को अगर रोका नहीं गया तो देश के हालात बंगाल से कुछ ज्यादा अच्छे नहीं होंगे।

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