वैदिक पंचांग से जानें, कैसा रहेगा आपका आज…?
*~ वैदिक पंचांग ~*
वैदिक ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार आज का पंचांग कैसे शुभ होगा?

सेलीब्रिटी ज्योतिष पूनम गौड़
(Vedic Panchang) वैदिक पंचांग दिनांक – 18 सितम्बर 2023
दिन – सोमवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – भाद्रपद
पक्ष – शुक्ल
पंचांग तिथि – तृतीया 12:38 तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र – चित्रा 12:06 तक तत्पश्चात स्वाति
योग – इंद्र 04:22(19 सितम्बर) तक तत्पश्चात वैधृति
राहुकाल – 16:56 से 18:28 बजे तक
सूर्योदय – 06:15
सूर्यास्त – 18:26
दिशाशूल – पूर्व दिशा में
पंचक – 26 सितंबर 2023, 20:28 से 30 सितंबर 2023 को 21:08 तक
व्रत पर्व – 18 सितंबर हरितालिका व्रत सोमवार
पूजा मुहूर्त – 06:00 से 20:24 तक
प्रदोष काल – 18.23 से 18.47 तक
19 सितंबर श्रीसिद्धिविनायक गणेशचतुर्थी मंगलवार
20 सितंबर ऋषि पंचमी व्रत पूजा बुधवार
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💥वैदिक पंचांग विशेष
तृतीया को परवल खाने से शत्रुओं की वृद्धि होती (Vedic Panchang) है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खण्ड 27.29-34)
👉आज के दिन दर्पण देख कर और दूध पी कर यात्रा करने से दिशाशूल का दोष कम हो जाता है।
👉कल गणेश चतुर्थी है और जो भी भक्त गणेशजी घर पर ला रहे हैं, उन्होंने तैयारी कर ली होगी। जो भी पूजा अर्चा करें परिवार के सदस्यों की सहमति और खुशी से करें। भाव शुद्ध रखें। किसी के भी प्रति द्वेष का भाव न आये। पूरे 10 दिन घर में प्रेम से रहें। गणपति जी को लड़ते झगड़ते मौहाल में रहना पसंद नहीं है।
👉 वे छोटे बड़े को एक समान प्रेम करते हैं और खुश होने पर सुखी सम्पन्न जीवन का आशीर्वाद देते हैं।
👉कल का चांद न देखें, कहावत है कि भाद्रपद की चतुर्थी का चाँद देखने से साल भर में झूटे कलंक लगते हैं।
👉आज हरतालिका तीज है, इस दिन भगवान शिव जी और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है।
👉इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं, साथ ही ये व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है। मुख्य रूप से यह पर्व मनचाहे और योग्य पति को प्राप्त करने का है, हालांकि कोई भी स्त्री ये व्रत रख सकती है, इसी दिन हस्तगौरी नामक व्रत को करने का विधान भी है जिसको करने से संपन्नता की प्राप्ति होती है।
👉पंचाग (Vedic Panchang) के अनुसार 17 सितंबर को 11 बजकर 8 मिनट से तृतीया तिथि शुरू होगी जो अगले दिन यानी 18 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक होगा, ऐसे में उदया तिथि के अनुसार से यह व्रत 18 सितंबर को ही रखा जाएगा,18 सितंबर को सुबह 6 बजे से रात के 8 बजकर 24 मिनट तक का समय शिव और पार्वती की पूजा के लिए उपयुक्त है, लेकिन शाम को प्रदोष काल के समय पूजा करना बेहद अच्छा माना जाता है।
👉हरितालिका व्रत की पूजन विधि।
👉पूजा करने से पहले नहा धोकर व्रत का संकल्प लें और फिर भगवान की चौकी सजाएं, भगवान शिव और मां पार्वती की मूर्ति को चौकी पर रखें और जल का कलश भी स्थापित करें, चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य से भगवान को भोग लगाएं और मिठाई अर्पित करें, सुहाग का सामान माता पार्वती को अर्पित करें और मंगल कामना करें। इसके बाद भगवान शिव और मां पार्वती की विधि विधान से आरती करें।
👉इस दिन महिलाएं सुहाग के सामान से पूरा श्रृंगार करती हैं, इस दिन हरे रंग का भी महत्व होता है अत: महिलायें हाथों में मेहंदी लगाये और हरे रंग की नयी चूड़ियां पहने।
👉शाम को भगवान शिव और मां पार्वती की संयुक्त उपासना करें।
उसके बाद मां पार्वती को श्रिंगार का सारा सामान अर्पित करें, उनसे अपनी मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना करें, जो विवाहिता स्त्रियां हैं वह अपनी सास को सौभाग्य की वस्तुएं दें और उसके बाद सास का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए।
👉शिव-पार्वती की संयुक्त पूजा करे एवं व्रत कथा पढ्ने के बाद व्रत का पारण करें, इस दिन रात्रि जागरण करना भी श्रेष्ठ होता है।
👉तीज के दिन विवाह संबंधी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इस मंत्र का श्रद्धा पूर्वक 11 माला जाप करें, मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करें और संपूर्ण श्रृंगार करके ही करें, शाम को मंत्र जाप करना सर्वोत्तम होगा।
मंत्र- ‘हे गौरीशंकर अर्धांगी, यथा त्वां शंकर प्रिया तथा माम कुरु कल्याणी, कान्ताकांता सुदुर्लभाम’।
ऊँ नम: शिवाय।