वैदिक पंचांग-धन्वन्तरी जयंती

वैदिक पंचांग-धन्वन्तरी जयंती

*~ वैदिक पंचांग ~*

वैदिक पंचांग-धन्वन्तरी जयंती ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार कैसे शुभ होगा? 

जानिए वैदिक पंचांग से (त्रयोदशी) के बारे में 

दिनांक – 11 नवम्बर 2023

दिन – शनिवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – आश्विन

पक्ष – कृष्ण
तिथि – त्रयोदशी 13:57 तक त्तपश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र – चित्रा 01:47 (12 नवम्बर) तक त्तपश्चात स्वाति
योग – प्रीती 16:59 तक तत्पश्चात आयुष्मान
राहुकाल – 09:00 – 10:30 बजे तक
सूर्योदय – 06:40
सूर्यास्त – 17:30
दिशाशूल – पूर्व दिशा में
सर्वार्थसिद्धि योग – 01:47 (12 नवम्बर) से 06:41 (12 नवम्बर)

व्रत पर्व – धन्वन्तरी जयंती 11 नवम्बर 2023
छोटी दीवाली 11 नवम्बर 2023
बड़ी दीवाली 12 नवम्बर 2023
सोमवती अमावस्या 13 नवम्बर 2023
अन्नकुट 14 नवम्बर 2023
भाई दूज 15 नवम्बर 2023
गोपाष्टमी 20 नवम्बर 2023
आंवला नवमी 21 नवम्बर 2023
देवउठनी एकादशी 23 नवम्बर 2023
व्रत की पूर्णिमा 26 नवम्बर 2023
स्नान दान की पूर्णिमा 27 नवम्बर 2023

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💥 विशेष:- त्रयोदशी को स्त्री सहवास तथा तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है। त्रयोदशी को बैगन खाने से पुत्र नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

👉नरक चतुर्दशी (काली चौदस), 11 नवम्बर के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल-मालिश (तैलाभ्यंग) करके स्नान करने का विधान है । ‘सनत्कुमार संहिता’ एवं ‘धर्मसिंधु’ ग्रंथ के अनुसार इससे नारकीय यातनाओं से रक्षा होती है।

👉काली चौदस और दीपावली की रात जप-तप के लिए बहुत उत्तम मुहूर्त माना गया है । नरक चतुर्दशी की रात्रि में मंत्रजप करने से मंत्र सिद्ध होता है।

👉इस रात्रि में सरसों के तेल अथवा घी के दिये से काजल बनाना चाहिए । इस काजल को आँखों में आँजने से किसी की बुरी नजर नहीं लगती तथा आँखों का तेज बढ़ता है।

👉दीपावली – 12 नवम्बर 2023

👉दीपावली के दिन घर के मुख्य दरवाजे के दायीं और बायीं ओर गेहूँ की छोटी-छोटी ढेरी लगाकर उसपर दो दीपक जला दें । हो सके तो वें रात भर जलते रहें, इससे आपके घर में सुख-सम्पत्ति की वृद्धि होगी । दीपावली की रात मंदिर में रातभर घी का दीया जलता रहे सूर्योदय तक, तो बड़ा शुभ माना जाता है।

👉पहले के जमाने में गाँवों में दीपावली के दिनों में नीम और अशोक वृक्ष के पत्तों के तोरण (बंदनवार) बंधते थे । अशोक और नीम के पत्तों में रोगप्रतिकारक शक्ति होती है । उस तोरण के नीचे से गुजरकर जाने से वर्षभर रोगप्रतिकारक शक्ति बनी रहती है । वर्ष के प्रथम दिन आप भी अपने घरों में तोरण बाँधकर इसका लाभ उठाएं।

👉मिठाईयों में शुद्ध बेसन व शुद्ध चीजों की बनी मिठाई शगुन समझकर थोड़ी बहुत खा लें लेकिन रसगुल्ले, मावा, पनीर से बनी मिठाईयाँ दूर से ही त्याग दें। मावा, रसगुल्ला व बर्फी किडनी, हृदय, नाड़ीतंत्र एवं पाचनतंत्र को नुकसान पहुँचाते-पहुँचाते असमय बुढ़ापा और बुढ़ापे में ऑपरेशनों का शिकार बना देते हैं। कुरकुरे आदि नमकीन में कुरकुरापन बढ़ाने के लिए बेसन के बदले चावल का आटा मिलाया जाता है, जो आँतों के लिए बहुत हानिकारक है।

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👉शनिवार को पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक अवश्य जलायें।

👉ज्योतिषीय परामर्श के लिए पूनम गौड को 8826026945 पर व्हाट्सएप्प करें।

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