
वैदिक पंचांग-चतुर्थ नवरात्र “माँ कुष्मांडा”
वैदिक पंचांग
पंचांग (चतुर्थ नवरात्र) ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार कैसे शुभ होगा?
जानिए वैदिक पंचांग से (चतुर्थ नवरात्र) के बारे में
दिनांक – 18 अक्टूबर 2023
दिन – बुधवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – आश्विन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – चतुर्थी 01:12 (19 अक्टूबर) तक तत्पश्चात पंचमी
नक्षत्र – अनुराधा 21:01 तक त्तपश्चात ज्येष्ठा
योग – आयुष्मान 09:22 तक तत्पश्चात सौभाग्य
रवि योग – 06:23 – 21:01 (18 अक्टूबर)
सर्वाथ सिद्धि योग – 06:23 – 21:01
अमृत सिद्धि योग – 06:23 – 21:01
राहुकाल – 12:00 – 13:30 बजे तक
दिन की शुआत
सूर्योदय – 06:23
सूर्यास्त – 17:49
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
व्रत पर्व – चतुर्थ नवरात्र, कुष्मांडा माँ का स्वरूप, मालपुआ का भोग, नाशपाती का भोग
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💥 विशेष:- चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
👉आज पूर्व व पश्चिम दिशा की यात्रा अनुकूल फल देती है। (चतुर्थ नवरात्र) तिल के बने व्यंजन कहा कर यात्रा प्रारम्भ करें, लाभ होगा।
👉नवरात्रि की चतुर्थी तिथि की प्रमुख देवी मां कूष्मांडा हैं। देवी कूष्मांडा रोगों को तुरंत नष्ट करने वाली हैं। इनकी भक्ति करने वाले श्रद्धालु को धन-धान्य और संपदा के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है। मां दुर्गा के इस चतुर्थ रूप कूष्मांडा ने अपने उदर से अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न किया। इसी वजह से दुर्गा के इस स्वरूप का नाम कूष्मांडा पड़ा।
👉मां कूष्मांडा के पूजन से हमारे शरीर का अनाहत चक्रजागृत होता है। इनकी उपासना से हमारे समस्त रोग व शोक दूर हो जाते हैं। साथ ही, भक्तों को आयु, यश, बल और आरोग्य के साथ-साथ सभी भौतिक और आध्यात्मिक सुख भी प्राप्त होते हैं।
👉नवरात्रि के चौथे दिन यानी चतुर्थी तिथि (चतुर्थ नवरात्र) को माता दुर्गा को मालपुआ का भोग लगाएं । इससे समस्याओं का अंत होता है।
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नवरात्रि के दिनों में ‘ ॐ श्रीं ॐ ‘ का जप करें।
👉नवरात्रि के दिनों में खीर की २१ या ५१ आहुति गायत्री मंत्र बोलते हुए दें । इससे विद्यार्थी को बड़ा लाभ होगा।
पूनम गौड़ से ज्योतिषीय सलाह लेने के लिए 8826026945 पर व्हाट्सएप्प करें।