वैदिक पंचांग और आपका आज..

वैदिक पंचांग

पंचांग (Panchang) ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार कैसे शुभ होगा?

जानिए वैदिक पंचांग से पितृपक्ष के तरीके और उपाय (Panchang)

सेलीब्रिटी ज्योतिष पूनम गौड़

दिनांक – 5 अक्टूबर 2023

दिन – गुरुवार

विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)

शक संवत – 1945

अयन – दक्षिणायन

ऋतु – शरद ॠतु

मास – आश्विन

पक्ष – कृष्ण

तिथि – सप्तमी पूर्ण रात्रि

नक्षत्र – मृगशिरा 19:40 तक तत्पश्चात आर्द्रा

योग – वरियान 05:23(6अक्टूबर) तक तत्पश्चात परिघ

राहुकाल – 13:30 – 15:00 बजे तक

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दिन की शुरुआत

(Panchang)सूर्योदय – 06:16

सूर्यास्त – 18:03

दिशाशूल – दक्षिण दिशा में

रवियोग – 16:16 से 19:40

व्रत पर्व – सप्तमी श्रद्ध 5 अक्टूबर गुरुवार

महालक्ष्मी व्रत पूर्ण 6 अक्टूबर

जीवित्पुत्रिका व्रत 6 अक्टूबर

कालाष्टमी 6 अक्टूबर

अष्टमी श्रद्ध 6 अक्टूबर शुक्रवार

नवमी श्राद्ध 7 अक्टूबर शनिवार’ सौभाग्यवती श्राद्ध

दशमी श्राद्ध 8 अक्टूबर रविवार

एकादशी श्राद्ध 9 अक्टूबर सोमवार

एकादशी व्रत 10 अक्टूबर मंगलवार

द्वादशी श्रद्धा 11 अक्टूबर बुधवार, सन्यासियों का श्राद्ध

त्रयोदशी श्राद्ध 12 अक्टूबर गुरुवार

चतुर्दशी श्राद्ध 13 अक्टूबर शुक्रवार, अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों का श्राद्ध

सर्वपितृ अमावस्या 14 अक्टूबर शनिवार, सर्व पितृ अमावस्या

 

ताड़ का फल खाने से क्या होता है ? (Panchang)

💥 विशेष:- सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रॉब बढ़ता है और शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

👉 गुरुवार को दक्षिण दिशा को छोड़ कर सभी दिशाओं की यात्रा अनुकूल रहती है।

👉श्राद्ध के दिन और व्रत के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

👉 भगवान शिव अपने पुत्र से कहते हैं: कार्तिकेय ! संसार में विशेषतः कलियुग में वे ही मनुष्य धन्य हैं, जो सदा पितरों के उद्धार के लिये श्रीहरि के नाम का सेवन करते हैं । बेटा ! बहुत से पिण्ड देने और गया में श्राद्ध आदि करने की क्या आवश्यकता है। वे मनुष्य तो हरिभजन के ही प्रभाव से पितरों का नरक से उद्धार कर देते हैं। यदि पितरों के उद्देश्य से दूध आदि के द्वारा भगवान विष्णु को स्नान कराया जाय तो वे पितर स्वर्ग में पहुँचकर कोटि कल्पों तक देवताओं के साथ निवास करते हैं। – पद्मपुराण

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कैसे करने चाहिए श्राद्ध

👉श्राद्ध एकान्त में, गुप्तरुप से करना चाहिये। पिण्डदान पर दुष्ट मनुष्यों की दृष्टि पड़ने पर वह पितरों को नहीं पहुंचता। दूसरे की भूमि पर श्राद्ध नहीं करना चाहिये। जंगल, पर्वत, पुण्यतीर्थ और देवमंदिर ये दूसरे की भूमि में नहीं आते, इन पर किसी का स्वामित्व नहीं होता। श्राद्ध में पितरों की तृप्ति ब्राह्मणों के द्वारा ही होती है। श्राद्ध के अवसर पर ब्राह्मण को निमन्त्रित करना आवश्यक है, जो बिना ब्राह्मण के श्राद्ध करता है। उसके घर पितर भोजन नहीं करते तथा श्राप देकर लौट जाते हैं। ब्राह्मणहीन श्राद्ध करने से मनुष्य महापापी होता है | (पद्मपुराण, कूर्मपुराण, स्कन्दपुराण ) (Panchang)

👉श्राद्ध के द्वारा प्रसन्न हुये पितृगण मनुष्यों को पुत्र, धन, आयु, आरोग्य, लौकिक सुख, मोक्ष आदि प्रदान करते हैं , श्राद्ध के योग्य समय हो या न हो, तीर्थ में पहुंचते ही मनुष्य को सर्वदा स्नान, तर्पण और श्राद्ध करना चाहिये।

👉शुक्ल पक्ष की अपेक्षा कृष्ण पक्ष और पूर्वाह्न की अपेक्षा अपराह्ण श्राद्ध के लिये श्रेष्ठ माना जाता है | (पद्मपुराण, मनुस्मृति)

👉सायंकाल में श्राद्ध नहीं करना चाहिये, सायंकाल का समय राक्षसी बेला नाम से प्रसिद्ध है, चतुर्दशी को श्राद्ध करने से कुप्रजा (निन्दित सन्तान) पैदा होती है, परन्तु जिसके पितर युद्ध में शस्त्र से मारे गये हो, वे चतुर्दशी को श्राद्ध करने से प्रसन्न होते हैं, जो चतुर्दशी को श्राद्ध करने वाला स्वयं भी युद्ध का भागी होता है | (स्कन्दपुराण, कूर्मपुराण, महाभारत)

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कब ना करें श्राद्ध

👉(Panchang) रात्रि में श्राद्ध नहीं करना चाहिये, उसे राक्षसी कहा गया है। दूरी संध्याओं में भी श्राद्ध नहीं करना चाहिये। दिन के आठवें भाग (महूर्त) में जब सूर्य का ताप घटने लगता है उस समय का नाम ‘कुतप’ है, उसमें पितरों के लिये दिया हुआ दान अक्षय होता है। कुतप, खड्गपात्र, कम्बल, चाँदी , कुश, तिल, गौ और दौहित्र ये आठो कुतप नाम से प्रसिद्ध है, श्राद्ध में तीन वस्तुएँ अत्यन्त पवित्र हैं। दौहित्र, कुतपकाल, तथा तिल, श्राद्ध में तीन वस्तुएँ अत्यन्त प्रशंसनीय हैं। बाहर और भीतर की शुद्धि, क्रोध न करना तथा जल्दबाजी न करना (मनुस्मृति, मत्स्यपुराण, पद्मपुराण, विष्णुपुराण)।

👉*पूनम गौड़ से ज्योतिषीय सलाह लेने के लिए 8826026945 पर व्हाट्सएप्प करें।*

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