वैदिक पंचांग और आपका आज..

~ वैदिक पंचांग ~

पंचांग ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार कैसे शुभ होगा?

जानिए वैदिक पंचांग से पितृपक्ष के तरीके और उपाय, (वैदिक पंचांग)

सेलीब्रिटी ज्योतिष पूनम गौड़

दिनांक – 3 अक्टूबर 2023 (वैदिक पंचांग)

दिन – मंगलवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – आश्विन
पक्ष – कृष्ण
तिथि – पंचमी 05:33 (4अक्तूबर) तक तत्पश्चात षष्ठी
नक्षत्र – कृतिका 18:04 तक तत्पश्चात रोहिणी
योग – वज्र 08:18 तक तत्पश्चात सिद्ध,
राहुकाल – 15:00 – 16:30 बजे तक

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दिन की शुरुआत

सूर्योदय – 06:15
सूर्यास्त – 18:05
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
सर्वार्थ सिद्धि योग – 06:15 से 16:04 तक
व्रत पर्व – मासिक कार्तिगाई दीपम, (वैदिक पंचांग)
पञ्चमी श्राद्ध 3 अक्टूबर मंगलवार
षष्ठी श्राद्ध 4 अक्टूबर बुधवार
सप्तमी श्रद्ध 5 अक्टूबर गुरुवार
अष्टमी श्रद्ध 6 अक्टूबर शुक्रवार
नवमी श्राद्ध 7 अक्टूबर शनिवार’ सौभाग्यवती श्राद्ध
दशमी श्राद्ध 8 अक्टूबर रविवार
एकादशी श्राद्ध 9 अक्टूबर सोमवार
एकादशी व्रत 10 अक्टूबर मंगलवार
द्वादशी श्रद्धा 11 अक्टूबर बुधवार, सन्यासियों का श्राद्ध
त्रयोदशी श्राद्ध 12 अक्टूबर गुरुवार
चतुर्दशी श्राद्ध 13 अक्टूबर शुक्रवार, अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों का श्राद्ध
सर्वपितृ अमावस्या 14 अक्टूबर शनिवार, सर्व पितृ अमावस्या

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कार्तिगाई दीपम

💥 विशेष:- पंचमी को बेल को किसी भी रूप में सेवन करने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34) (वैदिक पंचांग)

👉कार्तिगाई दीपम मुख्य रूप से तमिल हिन्दुओं द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार तमिल लोगों द्वारा मनाये जाने वाले सबसे पुराने त्यौहारों में से एक है। त्योहार के दिन शाम के समय घरों और गलियों में तेल के दीप एक पंक्ति में जलायें जाते हैं।

👉कार्तिगाई दीपम का नाम कार्तिकाई या कृत्तिका नक्षत्र से लिया गया हैं। जिस दिन कृत्तिका नक्षत्र प्रबल होता है उस दिन कार्तिगाई दीपम को मनाया जाता है।

👉कार्तिगाई दीपम को भगवान शिव के सम्मान में किया जाता है। हिन्दु पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए स्वयं को प्रकाश की अनन्त ज्योत में बदल लिया था।

👉तिरुवन्नामलई की पहाड़ी में कार्तिगाई का त्यौहार बहुत प्रसिद्ध हैं। कार्तिगाई के दिन पहाड़ी पर विशाल दीप जलाया जाता है जो पहाड़ी के चारों ओर कई किलोमीटर तक दिखता है। इस दीप को महादीपम कहते हैं और हिन्दु श्रद्धालु यहाँ जाते हैं और भगवान शिव की प्रार्थना करते हैं।

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यम के लिए मंत्र

👉पूर्वजों को पितर पक्ष में इस मंत्र के द्वारा सूर्य भगवान को अर्ध्य देने से यमराज प्रसन्न होकर पूर्वजों को अच्छी जगह भेज देते हैं।

👉ॐ धर्मराजाय नमः।
👉ॐ महाकालाय नम:।
👉ॐ म्रर्त्युमा नमः।
👉ॐ दानवैन्द्र नमः।
👉ॐ अनन्ताय नम:।

👉धर्म ग्रंथों के अनुसार, विधि-विधान पूर्वक श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। वर्तमान समय में देखा जाए तो विधिपूर्वक श्राद्ध कर्म करने में धन की आवश्यकता होती है। पैसा न होने पर विधिपूर्वक श्राद्ध नहीं किया जा सकता। ऐसे में पितृ दोष होने से कई प्रकार की समस्याएं जीवन में बनी रहती हैं। पुराणों के अनुसार, ऐसी स्थिति में पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त कर कुछ साधारण उपाय करने से भी पितर तृप्त हो जाते हैं।

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अगर श्राद्ध नहीं कर पा रहे तो इनमें से एक उपाय अवश्य करें, (वैदिक पंचांग)

👉जिस स्थान पर आप पीने का पानी रखते हैं, वहां रोज शाम को शुद्ध घी का दीपक लगाएं। इससे पितरों की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेगी। इस बात का ध्यान रखें कि वहां जूठे बर्तन कभी न रखें।

👉सर्व पितृ अमावस्या के दिन चावल के आटे के 5 पिंड बनाएं व इसे लाल कपड़े में लपेटकर नदी में बहा दें।

👉गाय के गोबर से बने कंडे को जलाकर उस पर गूगल के साथ घी, जौ, तिल व चावल मिलाकर घर में धूप करें।

👉विष्णु भगवान के किसी मंदिर में सफेद तिल के साथ कुछ दक्षिणा (रुपए) भी दान करें।

👉कच्चे दूध, जौ, तिल व चावल मिलाकर नदी में बहा दें। ये उपाय सूर्योदय के समय करें तो अच्छा रहेगा।

👉श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन कराएं या सामग्री जिसमें आटा, फल, गुड़, सब्जी और दक्षिणा दान करें।

👉श्राद्ध नहीं कर सकते तो किसी नदी में काले तिल डालकर तर्पण करें। इससे भी पितृ दोष में कमी आती है।

👉श्राद्ध पक्ष में किसी विद्वान ब्राह्मण को एक मुट्ठी काले तिल दान करने से पितृ प्रसन्न हो जाते हैं।

👉श्राद्ध पक्ष में पितरों को याद कर गाय को हरा चारा खिला दें। इससे भी पितृ प्रसन्न व तृप्त हो जाते हैं।

👉सूर्यदेव को अर्ध्य देकर प्रार्थना करें कि आप मेरे पितरों को श्राद्धयुक्त प्रणाम पहुँचाए और उन्हें तृप्त करें।

पूनम गौड़ से ज्योतिषीय सलाह लेने के लिए 8826026945 पर व्हाट्सएप्प करें।

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