वैदिक पंचांग-नवमी तिथि

वैदिक पंचांग-नवमी तिथि

*~ वैदिक पंचांग ~*

वैदिक पंचांग-नवमी ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार कैसे शुभ होगा? 

जानिए वैदिक पंचांग से (नवमी) के बारे में 

पंचांग दिनांक – 6 नवम्बर 2023

दिन – सोमवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – आश्विन

पक्ष – कृष्ण
तिथि – नवमी 05:50 (7 नवम्बर) तक तत्पश्चात दशमी
नक्षत्र – अश्लेषा 13:23 तक त्तपश्चात मघा
योग – शुक्ल 14:26 तक तत्पश्चात ब्रह्म
राहुकाल – 07:30 – 09:00 बजे तक
सूर्योदय – 06:36
सूर्यास्त – 17:33

दिशाशूल – पूर्व दिशा में
व्रत पर्व – धन तेरस 10 नवम्बर 2023
छोटी दीवाली 11 नवम्बर 2023
बड़ी दीवाली 12 नवम्बर 2023
सोमवती अमावस्या 13 नवम्बर 2023
अन्नकुट 14 नवम्बर 2023
भाई दूज 15 नवम्बर 2023

गोपाष्टमी 20 नवम्बर 2023
आंवला नवमी 21 नवम्बर 2023
देवउठनी एकादशी 23 नवम्बर 2023
व्रत की पूर्णिमा 26 नवम्बर 2023
स्नान दान की पूर्णिमा 27 नवम्बर 2023

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💥 वैदिक विशेष:- नवमी को लौकी का सेवन करना गौमांस सेवन करने के समान माना गया है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

👉धनतेरस के दिन यमदीपदान: 10 नवम्बर 2023 शुक्रवार को धनतेरस है। इस दिन यम-दीपदान जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। पूरे वर्ष में एक मात्र यही वह दिन है, जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा सिर्फ दीपदान करके की जाती है। कुछ लोग नरक चतुर्दशी के दिन भी दीपदान करते हैं।*

👉🏻 स्कंदपुराण में लिखा है

कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे।
यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनिश्यति।।
अर्थात कार्तिक मासके कृष्णपक्ष की त्रयोदशी के दिन सायंकाल में घर के बाहर यमदेव के उद्देश्य से दीप रखने से अपमृत्यु का निवारण होता है।

👉🏻 पद्मपुराण में लिखा है:

कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां तु पावके।
यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति।
कार्तिक कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को घर से बाहर यमराज के लिए दीप देना चाहिए इससे दुर्गम मृत्यु का नाश होता है।

👉यम-दीपदान सरल विधि

यमदीपदान प्रदोषकाल में करना चाहिए। इसके लिए आटे का एक बड़ा दीपक लें। गेहूं के आटे से बने दीप में तमोगुणी ऊर्जा तरंगे एवं आपतत्त्वात्मक तमोगुणी तरंगों (अपमृत्यु के लिए ये तरंगे कारणभूत होती हैं) को शांत करने की क्षमता रहती है। तदुपरान्त स्वच्छ रुई लेकर दो लम्बी बत्तियॉं बना लें।

उन्हें दीपक में एक -दूसरे पर आड़ी इस प्रकार रखें कि दीपक के बाहर बत्तियों के चार मुँह दिखाई दें। अब उसे तिल के तेल से भर दें और साथ ही उसमें कुछ काले तिल भी डाल दें। प्रदोषकाल में इस प्रकार तैयार किए गए दीपक का रोली , अक्षत एवं पुष्प से पूजन करें।

उसके पश्चात् घर के मुख्य दरवाजे के बाहर थोड़ी -सी खील अथवा गेहूँ से ढेरी बनाकर उसके ऊपर दीपक को रखना है। दीपक को रखने से पहले प्रज्वलित कर लें और दक्षिण दिशा (दक्षिण दिशा यम तरंगों के लिए पोषक होती है अर्थात दक्षिण दिशा से यमतरंगें अधिक मात्रा में आकृष्ट एवं प्रक्षेपित होती हैं) की ओर देखते हुए चार मुँह के दीपक को खील आदि की ढेरी के ऊपर रख दें। ‘ॐ यमदेवाय नमः ’ कहते हुए दक्षिण दिशा में नमस्कार करें ।

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👉यम दीपदान का मन्त्र :

मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह |
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम ||
इसका अर्थ है, धनत्रयोदशीपर यह दीप मैं सूर्यपुत्रको अर्थात् यमदेवताको अर्पित करता हूं। मृत्युके पाशसे वे मुझे मुक्त करें और मेरा कल्याण करें।

👉ज्योतिषीय परामर्श के लिए पूनम गौड को 8826026945 पर व्हाट्सएप्प करें।

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