वैदिक पंचांग और पित्रपक्ष!

*~ वैदिक पंचांग ~*

पंचांग ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार कैसे शुभ होगा?

जानिए वैदिक पंचांग से पित्रपक्ष के तरीके और उपाय।

सेलीब्रिटी ज्योतिष पूनम गौड़

वैदिक पंचांग दिनांक – 30 सितम्बर 2023
दिन – शनिवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – आश्विन

पक्ष – कृष्ण
तिथि – प्रतिपदा 12:21 तक तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र – रेवती 21:09 तक तत्पश्चात अश्विनी
योग – ध्रुव 16:27 तक तत्पश्चात व्यापात

राहुकाल – 09:00 से 10:30 बजे तक
सूर्योदय – 06:13
सूर्यास्त – 18:09
दिशाशूल – पूर्व दिशा में

व्रत पर्व – द्वितीया श्राद्ध 30 सितंबर शनिवार
तृतीया श्राद्ध 1 अक्टूबर रविवार
चतुर्थी श्राद्ध  2 अक्टूबर सोमवार, भरणी श्राद्ध
पञ्चमी श्राद्ध 3 अक्टूबर मंगलवार
षष्ठी श्राद्ध 4 अक्टूबर बुधवार
सप्तमी श्रद्धा 5 अक्टूबर गुरुवार
अष्टमी श्रद्धा 6 अक्टूबर शुक्रवार
नवमी श्राद्ध 7 अक्टूबर शनिवार’ सौभाग्यवती श्राद्ध
दशमी श्राद्ध 8 अक्टूबर रविवार
एकादशी श्राद्ध 9 अक्टूबर सोमवार
एकादशी व्रत 10 अक्टूबर मंगलवार
द्वादशी श्रद्धा 11 अक्टूबर बुधवार, सन्यासियों का श्राद्ध
त्रयोदशी श्राद्ध 12 अक्टूबर गुरुवार
चतुर्दशी श्राद्ध 13 अक्टूबर शुक्रवार, अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों का श्राद्ध
सर्वपितृ अमावस्या 14 अक्टूबर शनिवार, सर्व पितृ अमावस्या

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💥 विशेष:- पूर्णिमा को स्त्री सहवास तथा तिल किसी भी रूप में खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खण्ड 27.29-38)

👉शनिवार को अपने घर को छोड़कर अन्य किसी भी स्थान की यात्रा शुभ नहीं होती।

👉पितृपक्ष में किये जाने वाले ऐसे कर्म जो आपके घर शुभता ला सकते हैं।

1. दान: पितृ पक्ष में गरीबों या जरूरतमंदों को खाद्य सामग्री, वस्त्र आदि दान करनी चाहिए। श्राद्ध में 10 तरह के दान दिए जाते हैं। 1. जूते-चप्पल, 2. वस्त्र, 3. छाता, 4. काला‍ तिल, 5. घी, 6.गुड़, 7. धान्य, 8. नमक, 9. चांदी-स्वर्ण और 10. गौ-भूमि।

2. अमान्य दान: श्राद्ध में जो लोग भोजन कराने में अक्षम हों, वे आमान्न दान देते हैं। आमान्न दान अर्थात अन्न, घी, गुड़, नमक आदि भोजन में प्रयुक्त होने वाली वस्तुएं इच्छा‍नुसार मात्रा में दी जाती हैं।

3. पंचबलि कर्म: श्राद्ध में पंचबलि कर्म किया जाता है। अर्थात गाय, कौआ, कुत्ता, देव और पीपल को अन्न जल से तृप्त किया जाता है। सर्वपितृ अमावस्या पर पीपल की सेवा और पूजा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। स्टील के लोटे में, दूध, पानी, काले तिल, शहद और जौ मिला लें और पीपल की जड़ में अर्पित कर दें। पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें और •’ॐ पितृभ्य: नम:’ मंत्र का जाप करें।

4. गीता का पाठ: श्राद्ध पक्ष में 16 दिन गीता का पाठ करना चाहिए। आप चाहे तो संपूर्ण गीता का पाठ करें नहीं तो पितरों की शांति के लिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए और उन्हें मुक्ति प्रदान का मार्ग दिखाने के लिए •गीता के 2रे और 7वें अध्याय का पाठ जरूर करें।

5. हनुमान चालीसा का पाठ: इस दौरान हनुमान चालीसा का पाठ नियमित करना चाहिए। ऐसा करने से घर-परिवार में कभी कोई संकट नहीं आता है। इसके अलावा आप चाहें तो पितृसुक्त का पाठ, पितृ गायत्री का पाठ, गजेंद्र मोक्ष पाठ, गरुढ़ पुराण, मार्कण्डेय पुराणांतर्गत •’पितृ स्तुति’ के पाठ में से कोई भी एक पाठ कर सकते हो। गीता, भागवत पुराण, विष्णु सहस्रनाम, गरुड़पुराण, आदि का पाठ सुयोग्य ब्राह्मण से करवाएं।

6. ब्राह्मण भोज: पंचबलि कर्म के बाद ब्राह्मण भोज कराया जाता है। इस दिन सभी को अच्छे से पेटभर भोजन खिलाकर दक्षिणा दी जाती है। ब्राह्मण का निर्वसनी होना जरूरी है और ब्राह्मण नहीं हो तो अपने ही रिश्तों के निर्वसनी और शाकाहार लोगों को भोजन कराएं। खासकर जमाई, भांजा, मामा, गुरु और नाती को भोजन जरूर कराएं।

7. दीप जलाएं: पितृ पक्ष के दौरान प्रतिदिन अपने घर के द्वार पर पितरों के निमित्त एक दीप जरूर जालाएं। दक्षिण दिशा में पितरों के निमित्त 2, 5, 11 या 16 दीपक जरूर जलाएं। आप अपनी गैलरी में भी जला सकते हैं या आप प्रतिदिन पीपल के पेड़ के पास भी दीप जलाकर पितरों की मुक्ति हेतु प्रार्थना कर सकते हैं।

8. इन सभी लोगों का करें तर्पण: आप सिर्फ अपने पितरों का ही नहीं बल्कि देव, ऋषि, दिव्य मानव, यम और पितरों के देव अर्यमा के लिए भी तर्पण करें। माता, माता पक्ष (नाना नानी), पत्नि, बहन और बेटी आदि यदि ये लोग किसी कारणवश देवलोक चले गए हैं तो इनका श्राद्ध विशेष रूप से करना चाहिए करना चाहिए।

9. गरीबों को भोजन: पंचमी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा को पितरों के नाम से गरीबों, जरूरतमंदों और कन्याओं को भोजन करवाएं। नलकूप, धर्मशाला, वृद्धाश्रम आदि में दान करें।

10. धूप दें: गुड़ घी को मिलाकर सुगंधित धूप दें, जब तक वह जले तब तक •’ॐ पितृदेवताभ्यो नम’: का जप करें और इसी मंत्र से आहुति दें।

👉सर्वदा श्राद्ध के प्रारम्भ, अंत तथा पिण्डदान के समय सावधानचित्त होकर तीन-तीन बार अमृत मंत्र का पाठ करना चाहिए। इससे पितृगण शीघ्र वहाँ आ जाते हैं और राक्षसगण भाग जाते हैं।

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वायुपुराण के अनुसार अमृत मंत्र :

देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।
नमः स्वधायै स्वाहायै नित्यमेव भवन्त्युत।।

👉“समस्त देवताओं, पितरों, महायोगिनियों, स्वधा एवं स्वाहा सबको हम नमस्कार करते हैं। ये सब शाश्वत फल प्रदान करने वाले हैं।”

👉स्कन्दपुराण तथा अग्निपुराण में “भवन्त्युत” के स्थान पर “नमो नमः” का प्रयोग हुआ है।

👉श्राद्ध पक्ष में अपनाए जाने वाले सभी मुख्य नियम:

👉🏻 श्राद्ध के दिन भगवदगीता के सातवें अध्याय का माहात्म पढ़कर फिर पूरे अध्याय का पाठ करना चाहिए एवं उसका फल मृतक आत्मा को अर्पण करना चाहिए।

👉🏻 श्राद्ध में एक विशेष मंत्र उच्चारण करने से, पितरों को संतुष्टि होती है और संतुष्ट पितर आपके कुल खानदान को आशीर्वाद देते हैं।
मंत्र ध्यान से पढ़े :
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा।

👉🏻जिसका कोई पुत्र न हो, उसका श्राद्ध उसके दौहिक (पुत्री के पुत्र) कर सकते हैं। कोई भी न हो तो पत्नी ही अपने पति का बिना मंत्रोच्चारण के श्राद्ध कर सकती है।

👉🏻पूजा के समय गंध रहित धूप प्रयोग करें और बिल्व फल प्रयोग न करें और केवल घी का धुआं भी न करें।

👉 पूनम गौड़ से ज्योतिषीय सलाह लेने के लिए 8826026945 पर व्हाट्सएप्प करें।

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