वैदिक पंचांग और आपका आज..कालाष्टमी

वैदिक पंचांग

पंचांग (Panchang) ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार कैसे शुभ होगा?

जानिए वैदिक पंचांग से पितृपक्ष के तरीके और उपाय (वैदिक पंचांग)

सेलीब्रिटी ज्योतिष पूनम गौड़

दिनांक – 6 अक्टूबर 2023
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – आश्विन
पक्ष – कृष्ण
तिथि – सप्तमी 06:34 तक तत्पश्चात अष्टमी
नक्षत्र – आर्द्रा 21:32 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
योग – परिघ 05:31(7अक्टूबर) तक तत्पश्चात शिव
राहुकाल – 13:30 – 15:00 बजे तक

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दिन की शुरुआत

(वैदिक पंचांग) सूर्योदय – 06:16
सूर्यास्त – 18:02
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
सर्वार्थ सिद्धि योग – 21:32 से 06:17(7अक्टूबर)
व्रत पर्व – महालक्ष्मी व्रत पूर्ण 6 अक्टूबर
चन्द्रोदय समय – कोई नहीं
जीवित्पुत्रिका व्रत 6 अक्टूबर
कालाष्टमी 6 अक्टूबर
अष्टमी श्रद्ध 6 अक्टूबर शुक्रवार
नवमी श्राद्ध 7 अक्टूबर शनिवार’ सौभाग्यवती श्राद्ध
दशमी श्राद्ध 8 अक्टूबर रविवार
एकादशी श्राद्ध 9 अक्टूबर सोमवार
एकादशी व्रत 10 अक्टूबर मंगलवार
द्वादशी श्रद्धा 11 अक्टूबर बुधवार, सन्यासियों का श्राद्ध
त्रयोदशी श्राद्ध 12 अक्टूबर गुरुवार
चतुर्दशी श्राद्ध 13 अक्टूबर शुक्रवार, अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों का श्राद्ध
सर्वपितृ अमावस्या 14 अक्टूबर शनिवार, सर्व पितृ अमावस्या

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अष्टमी पर नारियल खाने से क्या होता है

💥 विशेष:- सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है और शरीर का नाश होता है। अष्टमी को नारियल किसी भी रूप में सेवन करने से बुद्धि का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)(वैदिक पंचांग)

👉श्राद्ध के दिन और व्रत के दिन स्त्रि सहवास तथा तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

👉महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल अष्टमी से प्रारम्भ होता है। महालक्ष्मी व्रत, गणेश चतुर्थी के चार दिन पश्चात् आता है। महालक्ष्मी व्रत निरन्तर सोलह दिनों तक मनाया जाता है। उत्तर भारत में अनुसरित पूर्णिमान्त कैलेण्डर के अनुसार, इस व्रत का समापन आश्विन माह की कृष्ण अष्टमी को होता है। तिथियों के घटने-बढ़ने के आधार पर, उपवास की अवधि पन्द्रह दिन अथवा सत्रह हो सकती है। इस व्रत का पालन धन व समृद्धि की देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये किया जाता है।

अष्टमी यानि देवी राधा की जयंती (वैदिक पंचांग)

👉भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को देवी राधा की जयन्ती के रूप में भी मनाया जाता है। देवी राधा जयन्ती को राधा अष्टमी के नाम से जाना जाता है। जिस दिन महालक्ष्मी व्रत आरम्भ होता है, वह दिन अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन दूर्वा अष्टमी व्रत भी होता है। दूर्वा अष्टमी पर दूर्वा घास की पूजा की जाती है। इस दिन को ज्येष्ठ देवी पूजा के रूप में भी मनाया जाता है, जिसके अन्तर्गत निरन्तर त्रिदिवसीय देवी पूजन किया जाता है।

👉जीवित्पुत्रिका व्रत एक अत्यन्त महत्वपूर्ण उपवास दिवस है। जीवित्पुत्रिका व्रत में, माताएँ अपनी सन्तानों की सुरक्षा व स्वास्थ्य के लिये पूरे दिन तथा पूरी रात तक निर्जला उपवास करती हैं।

👉आश्विन माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी पर जीवित्पुत्रिका व्रत किया जाता है। यह उपवास मुख्य रूप से भारत के बिहार, झारखण्ड तथा उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। नेपाल में, जीवित्पुत्रिका व्रत, जितिया उपवास के रूप में लोकप्रिय है।

👉अश्विन हिन्दू धर्म का सप्तम महिना है। अश्विन नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने के कारण इसका नाम अश्विन पड़ा (अश्विनीनक्षत्रयुक्ता पौर्णमासी यत्र मासे सः)। आश्विन मास का संबंध अश्विनौ से है जो सूर्य के दो पुत्र हैं और देवताओं के चिकित्सक हैं। इस मास का एक नाम क्वार भी है। (उत्तर भारत हिन्दू पंचांग के अनुसार) से अश्विन का आरम्भ हो चुका है। (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अभी भाद्रपद मास चल रहा है)।

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अश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी (वैदिक पंचांग)

👉महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 106 के अनुसार “तथैवाश्वयुजं मासमेकभक्तेन यः क्षिपेत्। प्रज्ञावान्वाहनाढ्यश्च बहुपुत्रश्च जायते।।” जो अश्विन मास को एक समय भोजन करके बिताता है, वह पवित्र, नाना प्रकार के वाहनों से सम्पन्न तथा अनेक पुत्रों से युक्त होता है ।

👉आश्विने भौमावास्याम जायते खलु पार्वती। विविध विपदाम धनक्षयं पापाचारम वर्धते।।
महाभारत अनुशासन पर्व के अनुसार जो अश्विन मास में ब्राह्माणों को घृत दान करता है, उस पर दैव वैद्य अश्विनीकुमार प्रसन्न होकर उसे रूप प्रदान करते हैं।

👉शिवपुराण के अनुसार अश्विन में धान्य दान करने से अन्न तथा धन की वृद्धि होती है।

👉अग्निपुराण के अनुसार अश्विन के महिने में गोरस- गाय का घी, दूध और दही तथा अन्न देनेवाला सब रोगों से छुटकारा पा जाता है।

👉आश्विने कृष्णपक्षे तु षष्ठ्यां भौमेऽथ रोहिणी। व्यतीपातस्तदा षष्ठी कपिलानन्तपुण्यदा।।
अश्विन महिने के कृष्णपक्ष की षष्ठी के दिन मंगलवार, रोहिणी नक्षत्र और व्यतिपात हो तो वह अनंत पुण्य देने वाला कपिला षष्टी योग कहा जाता है। यह योग बहुत दुर्लभ है।

👉शिवपुराण के अनुसार सती ने अश्विन मास में नंदा (प्रतिपदा, षष्ठी और एकादशी) तिथियों में भक्तिपूर्वक गुड़, भात और नमक चढाकर भगवान शिवका पूजन किया और उन्हें नमस्कार करके उसी नियम के साथ उस मास को व्यतीत किया।

👉अश्विन कृष्णपक्ष को पितृपक्ष महालय के नाम से जाना जाता है जिसमें पितृ ऋण से मुक्त होने तथा पितरों को तृप्त करने के उद्देश्य से श्राद्ध किया जाता है।

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बिना धन के ऐसे करें श्राद्ध

👉अगर श्राद्धकर्म करने के लिए आपके पास बिल्कुल भी धन नहीं है तो आपको उधार मांगकर धन लेना चाहिए और श्राद्ध करना चाहिए। अगर आपको कोई उधार नहीं दे रहा तो पितरों के उद्देश्य से पृथ्वी पर भक्ति विनम्र भाव से सात आठ तिलों से जलाञ्जलि ही दे दें। अगर यह भी संभव नहीं तो कहीं से चारा लाकर गौ को खिला दें। और अगर इतना भी संभव नहीं तो अपनी बगल दिखाते हुए सूर्य तथा दिक्पालों से कहें :

“न मेऽस्ति वित्तं न धनं चान्यच्छ्राद्धोपयोग्यं स्वपितॄन्‌नतोऽस्मि।
तृप्यन्तु भत्त्या पितरो मयैतौ कृतौ भुजौ वर्त्मनि मारुतस्य।।”

अर्थात ‘मेरे पास श्राद्धकर्म के योग्य न धन-संपति है और न कोई अन्य सामग्री। अत: मै अपने पितरों को प्रणाम करता हूँ। वे मेरी भक्ति से ही तृप्तिलाभ करे। मैंने अपनी दोनों भुजाएं आकाश में उठा रखी हैं। ऐसा विवरण विष्णुपुराण तृतीयांश, अध्यायः 14 तथा वराहपुराण अध्याय 13 में मिलता है।

👉पूनम गौड़ से ज्योतिषीय सलाह लेने के लिए 8826026945 पर व्हाट्सएप्प करें।

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