
जयपुर के दुर्लभजी अस्पताल में शव को लेकर हंगामा: पहले पैसे, फिर बॉडी, मंत्री किरोड़ीलाल मीणा बोले- “शव के साथ खिलवाड़”
बिल न चुकाने पर अस्पताल ने शव रोकने का लगाया आरोप
मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने सरकार की कमजोर मॉनिटरिंग मानी
अस्पताल प्रशासन ने मृतक के परिवार को लौटाई ₹5.75 लाख की राशि
जयपुर,dusrikhabar.com। संतोकबा दुर्लभजी हॉस्पिटल में एक शव को लेकर बड़ा हंगामा खड़ा हो गया। मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल ने बिल का भुगतान नहीं होने के कारण शव देने से इनकार कर दिया। इस पर कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा तुरंत मौके पर पहुंचे और हस्तक्षेप के बाद शव परिजनों को सौंपा गया। मंत्री ने इस घटना को “शव के साथ खिलवाड़” बताया और कहा कि प्रदेश के निजी अस्पताल सरकारी योजनाओं का लाभ आमजन तक नहीं पहुंचा रहे हैं।
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पूरा मामला विस्तार से
दौसा जिले के महवा क्षेत्र के रहने वाले विक्रम मीणा (42) का 13 अक्टूबर को बालाजी मोड़ पर सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल होने के बाद दुर्लभजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। परिजनों के अनुसार, अस्पताल ने न तो आयुष्मान भारत योजना में भर्ती किया और न ही मां योजना के तहत इलाज देने को तैयार हुआ, बल्कि कैश पेमेंट की मांग की।
13 दिनों के इलाज के दौरान बिल 8 लाख रुपए से अधिक का बन गया। शनिवार को विक्रम की मौत हो गई, जिसके बाद अस्पताल ने कहा कि बकाया राशि जमा किए बिना शव नहीं दिया जाएगा। परिजनों ने बताया कि उन्होंने 6 लाख 39 हजार रुपए पहले ही जमा करवा दिए थे, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने 1.79 लाख रुपए और मांगे। जब परिवार ने इसकी शिकायत कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा से की, तो वे रविवार सुबह 10:30 बजे अस्पताल पहुंचे।

मंत्री किरोड़ीलाल मीणा की सख्त प्रतिक्रिया
मंत्री ने कहा – “अस्पताल प्रशासन ने पैसे न देने पर शव को 24 घंटे तक रोककर रखा, यह शव के साथ खिलवाड़ है।”
उन्होंने गांधीनगर थाना पुलिस को निर्देश दिया कि पीड़ित की शिकायत पर अस्पताल प्रशासन के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए।
किरोड़ी ने अपनी ही सरकार पर निशाना साधते हुए कहा – “राजस्थान में कई निजी अस्पताल सरकारी योजनाओं में रजिस्टर्ड होने के बावजूद जनता को लाभ नहीं दे रहे हैं। मैं मानता हूं कि हमारी सरकार की मॉनिटरिंग कमजोर है। इस मुद्दे पर मैंने मुख्य सचिव से बात की है।”

बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ की प्रतिक्रिया
मदन राठौड़ ने कहा – “सरकार ने व्यवस्था और कानून बनाया है, जिसका पालन सभी को करना चाहिए। जहां भी कानून की अवहेलना होगी, वहां कार्रवाई जरूर होगी। हालांकि, निजी अस्पतालों को भी मानवता दिखानी चाहिए। धन सब कुछ नहीं है, अस्पताल सेवा का केंद्र हैं, और शव रोकना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं।”
कांग्रेस नेता जूली का हमला: बीजेपी के कुशासन का परिणाम
कांग्रेस नेता जूली ने इस घटना को भाजपा के कुशासन का परिणाम बताते हुए कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र की स्थिति बिगड़ती जा रही है और आमजन को न तो सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है और न ही निजी अस्पतालों से राहत।
अस्पताल प्रशासन का पक्ष: लौटाए ₹5.75 लाख
दुर्लभजी हॉस्पिटल के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर जॉर्ज थॉमस ने बताया कि मरीज को दूसरे अस्पताल से रेफर किया गया था और उसका जनाधार कार्ड एक्टिव नहीं था, इसलिए उसे सरकारी योजना के तहत नहीं लिया जा सका। परिजनों ने कैश ट्रीटमेंट की सहमति दी थी।
उन्होंने कहा – “हमने मरीज का सर्वश्रेष्ठ इलाज किया, लेकिन दुर्भाग्य से उनकी मृत्यु हो गई। हमने ₹80,000 की छूट भी दी, पर परिजनों ने शेष राशि नहीं चुकाई। बाद में, हमने मृतक की पत्नी को ₹5.75 लाख रुपए तीन चेक के माध्यम से लौटाए हैं।”
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