पाक सेना क्यों तैयार हुई सियाचिन से हटने के लिए?

पाक सेना क्यों तैयार हुई सियाचिन से हटने के लिए?

पाक सेना क्यों तैयार हुई सियाचिन से हटने के लिए?

भारत के साथ बातचीत के लिए तैयार पाक सेनाधिकारी

पाक विदेश मंत्रालय बोला, भारत से संबंध सुधारना चाहते हैं

विजय श्रीवास्तव,

दिल्ली। भारत तो आखिर भारत है, पराक्रम में भी और पद में भी। भारत से लड़ते लड़ते शायद पाक को इस बात का अहसास हो गया है कि भारत से दुश्मनी मोल लेने से आज तक कुछ हासिल नहीं हुआ बल्कि आज तक पाक को हर क्षेत्र में मुंह की खानी पड़ी है। जानकार सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार हर मोर्चे पर भारत से मात खाने के बाद अब पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करके कहा है कि हम भारत से सियाचिन पर बात करने को तैयार हैं।

सियाचिन मसले पर भारत से संबंध सुधारने को बातचीत की पहल

ऐसा माना जाता है कि सियाचिन दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में से एक है। ऐसे में भयंकर ठंड में भी भारतीय सेना के जवान हर बार उन पर हर बार भरी पड़ते हैं। यही कारण है कि पाकिस्तान सियाचिन से पूरी तरह से सैनिकों को हटाने के प्रस्ताव पर भारत के साथ बातचीत को तैयार है। खुद पाक विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारने और सियाचिन पर बात करने के पक्ष में है। सियाचिन की कड़ाके की ठंड के बावजूद भारतीय सेना के हजारों जवान हर समय मुस्तैदी से वहां तैनात रहते हैं। भारतीय सेना ने साल ऑपरेशन मेघदूत के द्वारा 1984 में इस इलाके पर फतेह का परचम लहराया था।

पाकिस्तान ने संभावनाओं को नहीं नकारा

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने शुक्रवार को सियाचिन से पाक सैनिकों को हटाने की संभावना को नकारा नहीं है। उन्होंने कहा कि पाक भारत के साथ संबंध सुधारने और सार्थक और रचनात्मक परिणामों के लिए लगातार बातचीत करने के लिए प्रतिबद्ध है। पाकिस्तान ने दावा किया है कि कई मौकों पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान और विदेश मंत्री ने इस मामले पर हमारी स्थिति व्यक्त की है। लेकिन पाक ने भारत पर माहौल को खराब करने का आरोप भी लगाया है। पाक ने कहा कि रचनात्मक बातचीत के लिए अनुकूल माहौल के लिए भारत को भी आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है।

भारत की ओर से भी बातचीत का माहौल

भारतीय थलसेना अध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने 15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस से पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि भारत सियाचिन से सेना हटाने के खिलाफ नहीं लेकिन भारत कि यह शर्त है कि पाकिस्तान को वास्तविक जमीनी स्थिति रेखा (एजीपीएल) को मानना होगा। भारत और पाक की 110 किलोमीटर लंबी एजीपीएल दोनों को अलग करती है। अपनी पीसी में जनरल नरवणे ने कहा था कि 1984 में सियाचिन में सेना की तैनाती पाकिस्तान के यथास्थिति को एकतरफा बदलने के प्रयास का परिणाम था। इसी कारण उस समय भारत जवाबी कार्रवाई करने के लिए मजबूर हुआ था।

क्यों है जरूरी सियाचिन खाली करना?

आपको बता दें कि सियाचिन को सेना मुक्त करने के मामले पर पहले भी 13 बार वार्ता हो चुकी है। इस मसले पर अंतिम बार वार्ता जून 2012 में रावलपिंडी में हुई थी। एक बात तो साफ है कि साल्तोरो पहाड़ियों पर कब्जे को लेकर अपने-अपने दावे करके भारत और पाकिस्तान को कोई सामरिक बढ़त नहीं हासिल होने वाली है। तो फिर कोई रास्ता निकालकर बात करने में ही फायदा है। अब दस साल बाद एक बार फिर उम्मीद जगी है कि दोनों देशों के बीच संबंध सुधर सकते हैं।

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